रशिया, ब्रिटेन और वियतनाम के साथ भारत करेगा ‘लॉजिस्टिक्स’ समझौता

नई दिल्ली – रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच काफ़ी अहम ‘रेसिप्रोकल लॉजिस्टिक्स सपोर्ट’ समझौता होगा। इस समझौते की वजह से दोनों देश एक दूसरे के लष्करी अड्डों का इस्तेमाल कर सकेंगे और भारत को आर्कटिक स्थित रशियन नौसेना अड्डा भी उपलब्ध हो सकेगा। इसके अलावा ब्रिटेन और वियतनाम के साथ भी भारत इसी स्वरूप का समझौता कर सकता है, ऐसा दावा संबंधित एक समाचार पत्र ने सरकारी सूत्रों के दाखिले से किया है। बीते सप्ताह में भारत ने जापान के साथ और उससे पहले अमरीका, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों के साथ ‘लॉजिस्टिक’ समझौता किया है। भारत की नौसेना और वायुसेना का दायरा बढ़ानेवाले इन समझौतों के खिलाफ़ चीन ने पहले ही धमकियां देना शुरू किया था।

Logistics-agreementअक्तूबर महीने में रशियन राष्ट्राध्यक्ष भारत यात्रा करेंगे। भारत और रशिया की बीते कई दशकों से जारी मित्रता की पृष्ठभूमि पर राष्ट्राध्यक्ष पुतिन की यह यात्रा बड़ी अहम साबित होगी और इस अवसर पर दोनों देश रक्षा संबंधित अहम समझौता करेंगे। पुतिन की इस यात्रा के दौरान भारत और रशिया ‘रेसिप्रोकल लॉजिस्टिक्स सपोर्ट’ (एआरएलएस) समझौते पर भी हस्ताक्षर करेंगे, यह जानकारी भारत में नियुक्त रशिया के सहायक राजदूत रोमन बाबूश्‍कीन ने बीते सप्ताह में ही साझा की थी। इस समझौते के अनुसार भारत और रशिया एक दूसरे के लष्करी अड्डे, बंदरगाह का इस्तेमाल कर सकेंगे। इस समझौते के मुद्दों पर अभी भी चर्चा जारी होने की जानकारी सामने आ रही है।

यह समझौता भारत के लिए रणनीतिक नज़रिए से बड़ा अहम साबित होगा, ऐसे दावे भी किए गए हैं। इस समझौते की वजह से भारतीय नौसेना को आर्कटिक क्षेत्र में स्थित रशिया का बंदरगाह भी उपलब्ध होगा और जहाज़ में ईंधन भरने के लिए एवं अन्य आवश्‍यक रखरखाव के कामों के लिए भारतीय विध्वंसक एवं जहाज़ रशियन बंदरगाह का इस्तेमाल कर सकेंगे। इससे पहले भारत ने रशिया के पूर्वी क्षेत्र में अपना निवेश बढ़ाने के दृष्टीकोन से गतिविधियां शुरू की हैं। इसके अलावा भारत आर्कटिक क्षेत्र में कॉरिडोर का निर्माण करने की सोच में होने के समाचार प्राप्त हुए थे। भारत इस क्षेत्र में संयुक्त ऊर्जा प्रकल्प का निर्माण भी करेगा। अब लॉजिस्टिक समझौते के बाद रशिया के इस क्षेत्र में भारत का रास्ता अधिक आसान होगा, ऐसे दावे किए जा रहे हैं।

रशिया समेत ब्रिटेन और वियतनाम के साथ भी भारत ‘लॉजिस्टिक्स’ समझौता करेगा, ऐसे समाचार प्रसिद्ध हो रहे हैं। इस मुद्दे पर दोनों देशों के साथ चर्चा हो रही है, यह बात भी भारतीय अधिकारी ने कही हैं। भारत ने वियतनाम के साथ ‘लॉजिस्टिक्स’ समझौता होने पर भारत को वियतनाम के नौसेना अड्डों का इस्तेमाल करना संभव होगा। वियतनाम ने इससे पहले भी भारत को अपना नौसेना अड्डा उपलब्ध करने की तैयारी दिखाई थी। साउथ चायना सी के मुद्दे पर चीन और वियतनाम का विवाद जारी है। इस पृष्ठभूमि पर रशिया और वियतनाम के साथ यह समझौता होने पर चीन के लिए चुनौती बन सकती है।

इसी बीच बीते कुछ वर्षों में हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की गतिविधियां और निवेश में बढ़ोतरी हो रही है। तभी भारत ने भी इंडो-पैसिफिक एवं उसके आगे के देशों के साथ सामरिक सहयोग बढ़ाना शुरू किया है। बीते सप्ताह में भारत ने जापान के साथ ‘लॉजिस्टिक्स’ समझौता किया। इस समझौते की वजह से साउथ चायना सी में तैनात भारत के युद्धपोत रखरखाव के कामों के लिए जापान के बंदरगाह का उपयोग कर सकेंगे तथा जापान अपने युद्धपोत अंड़मान निकोबार के समुद्री क्षेत्र में तैनात करेगा। भारत और जापान ने यह रक्षा सहयोग करके चीन के खिलाफ मोर्चा बनाया है, ऐसा आरोप चीन का मुखपत्र कर रहा है। इसके अलावा भारत ने अमरीका, फ्रान्स, सिंगापु और ऑस्ट्रेलिया के साथ ‘लॉजिस्टिक्स’ समझौता करके रक्षा सहयोग बढ़ाया है।

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