चीन के विरोध में खड़े हुए तैवान और जापान का भारत नेतृत्व करे – चीन विरोधी जनतंत्र के समर्थक गुट की माँग

टोरंटो/नवी दिल्ली – चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के विरोध में जारी लड़ाई में भारत ने जापान और तैवान जैसे जनतांत्रिक देशों का गुट बनाकर उसका नेतृत्व करे, यह माँग ‘ग्लोबल कैम्पेन फॉर डेमोक्रैटिक चायना’ नामक गुट ने की है। मानव अधिकारों के समर्थक, विश्‍लेषक और चीन से उत्पीड़न हो रहे अल्पसंख्यांकों के गुट के प्रतिनिधि का वेबिनार हाल ही में हुआ। इस दौरान जनतांत्रिक देश एवं विश्‍वभर के व्यापारी संगठन भी चीन के विरोध में एक हो जाएं, यह निवेदन किया गया। विश्‍वभर में चीन के विरोध में आक्रामक हो रहा मोर्चा और भारत की बढ़ रही अहमियत चीन को बेचैन कर रही है।

नेतृत्व

दो दिन पहले १ अक्तुबर के दिन चीन का ‘नैशनल डे’ था। इस अवसर पर विश्‍वभर के कम से कम २५ देशों के ५० शहरों में चीन की आक्रामकता एवं दमन नीति के विरोध में जोरदार प्रदर्शन हुए। उत्तर अमरीका से एशिया और यूरोपिय देशों में इन प्रदर्शनों का आयोजन किया गया था। इनमें से हाँगकाँग में एक प्रदर्शनकारी ने भारत का राष्ट्रध्वज हाथ में लिए हुए चीन के विरोध में किए प्रदर्शन माध्यमों को ध्यान आकर्षित करनेवाली घटना साबित हुई थी। चीन के खिलाफ़ आक्रामकता से लड़ रहे भारत को यह हमारा समर्थन होने का ऐलान भी इस प्रदर्शनकारी ने किया था। इस घटना की वजह से हाँगकाँग के निवासी एवं आग्नेय एशियाई देशों के लिए भारत आशास्थान बना होने की बात भी सामने आयी थी।

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चीन की इसी दमन नीति और विस्तारवादी भूमिका के विरोध में दो दिन पहले ही ‘ग्लोबल कैम्पेन फॉर डेमोक्रैटिक चायना : युनायटिंग अगेन्सट चायनीज कम्युनिस्ट पार्टिज्‌ रिप्रेस्वि रेजिम’ नामक गुट ने वेबिनार का आयोजन करके मोर्चा खोला है। बीते कई दशकों से चीन ने तैवानी, तिब्बती, उइगर, मंगोलियन एवं अब हाँगकाँग के निवासियों के खिलाफ़ अपने बल का प्रयोग किया है, यह आलोचना भी इस दौरान की गई। चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत की कार्रवाई में हज़ारों अल्पसंख्यांक मारे गए हैं, यह आरोप इस वेबिनार में किया गया। तिब्बती, उइगर और मंगोलियन प्रतिनिधियों एवं समर्थकों ने यह आरोप किया। चीन की दमन नीति एवं विस्तारवाद के विरोध में आक्रामक भूमिका अपनाने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने बड़ी देरी की है और इसकी बड़ी कीमत यहां के गुटों को एवं चीन के पड़ोसी देशों को चुकानी पड़ रही है, यह चिंता इस वेबिनार में व्यक्त की गई।

ऐसी स्थिति में, चीन में राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग की हुकूमत और कम्युनिस्ट पार्टी के विरोध में भारत ने तैवान और जापान जैसे अन्य एशियाई देशों को साथ मिलाना होगा। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के विरोध में जारी संघर्ष में भारत जैसा जनतांत्रिक ज़िम्मेदार देश अहम भूमिका निभा सकता है, यह बयान इस वेबिनार में किया गया। चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के विरोध में आयोजित किया गया यह पहला ही वेबिनार होने का दावा किया जा रहा है। इस अवसर पर विश्‍वभर में चीन के विरोध में प्रदर्शन जारी रखने का आवाहन भी किया गया।

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