तैवान के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष को ‘मिस्टर डेमोक्रसी’ कहकर भारत ने चीन को लगाई फटकार

नई दिल्ली/तैपेई – ‘तैवान के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डॉ.ली तेंग हुई उर्फ मिस्टर डेमोक्रसी के निधन पर ‘तैपेई असोसिएशन ऑफ इंडिया’ तीव्र शोक व्यक्त कर रहा है और तैवानी जनता के शोक में हम शामिल हैं’, इन शब्दों में भारत ने तैवान के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष के निधन पर प्रतिक्रिया दर्ज़ की है। तैवान के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष का ज़िक्र बतौर ‘मिस्टर डेमोक्रसी’ करके भारत ने चीन को फटकार लगाई है। भारत और चीन के बीच सीमा पर बना तनाव अभी कायम है और पीछे हटने का नाटक करनेवाले चीन ने असल में सीमा पर अतिरिक्त तैनाती करना शुरू किया है, ऐसी जानकारी सामने आ रही है। इस पृष्ठभूमि पर भारत ने चीन के कड़े विरोधक रहे तैवान के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष के प्रति सराहना करनेवाले शब्दों का प्रयोग करना ध्यान आकर्षित करनेवाला साबित होता है।

India-Taiwanगुरूवार, ३० जुलाई को तैवान के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डॉ.ली तेंग हुई का निधन हो गया। वर्ष १९८८ से २००० के दौरान १२ वर्षों तक डॉ.ली तेंग हुई ने तैवान का नेतृत्व किया। तैनान की जनता को सीधे राष्ट्राध्यक्ष का चुनाव करने का अधिकार प्रदान करके देश में जनतंत्र अधिक मज़बूत करने में उन्होंने अहम भुमिका निभाई थी। डॉ. ली तेंग हुई ने अपने कार्यकाल में तैवान पर बना चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत का प्रभाव कम करनेवाले कई निर्णय भी लिए थे। उन्हीं के कार्यकाल में भारत ने वर्ष १९९५ में ‘तैपेई असोसिएशन ऑफ इंडिया’ नामक राजनीतिक दफ्तर शुरू किया था।

यह पार्श्‍वभूमि ध्यान में रखकर डॉ. ली तेंग हुई के निधन पर भेजे गए शोक संदेश में भारत ने उनकी ‘मिस्टर डेमोक्रसी’ कहकर सराहना करना अहम साबित होता हैं। भारत ने इससे पहले तैवान के मुद्द पर स्पष्ट और सक्रिय भूमिका अपनाना टाल दिया था। लेकिन कोरोना महामारी और चीन ने सरहदी क्षेत्र में शुरू की हुई गतिविधियों के बाद भारत ने भी चीन के लिए संवेदनशील बने मुद्दों पर आक्रामकता दिखाई है। इसमें तिब्बत और हाँगकाँग के साथ तैवान के मुद्दे का भी समावेश है।

India-Taiwanमई महीने में तैवान की राष्ट्राध्यक्षा त्साई ईंग वेन के शपथग्रहण समारोह के लिए भारत के दो सांसद वर्च्युअली उपस्थित रहे थे। इस दौरान भारत ने प्रदान किए अपने बधाई संदेश में आज़ादी और जनतंत्र का स्पष्टरूप से ज़िक्र किया था। डॉ.ली तेंग हुई के निधन पर भेजे गए शोक संदेश में भी तैवान के जनतंत्र का ज़िक्र किया गया है। यह ज़िक्र यानी तैवान की आज़ादी और जनतंत्र को ठुकरा रही चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत को दिया गया तमाचा होने की बात समझी जा रही है। शोक संदेश देने के बाद भारत ने तैवान में अपने राजनीतिक दफ्तर के इलाके में डॉ.ली तेंग हुई का ‘मेमोरियल’ बनाने का ऐलान किया है। यह निर्णय चीन के लिए और एक झटका साबित होता है।

भारत ने पिछले महीने ही गौरांगलाल दास इस वरिष्ठ राजनीतिक अधिकारी को तैवान में अपना दूत नियुक्त किया है। दास ने इससे पहले चीन और अमरीका जैसे प्रमुख देशों में राजनीतिक अधिकारी के तौर पर काम किया है। इतने वरिष्ठ अधिकारी को तैवान में नियुक्त करने का यह पहला अवसर है।

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