भारत-रशिया समुद्री क्षेत्र में साझेदारी बढ़ाएंगे – जहाज़ निर्माण उद्योग पर ज़ोर देने के संकेत

नई दिल्ली – भारत और रशिया मिलकर जहाज़ निर्माण उद्योग खड़ा करेंगे और जहाज़ों का निर्माण शुरू कर रहे हैं। साथ ही दोनों देश ‘इंटरनैशनल नॉर्थ-साउथ ट्रान्सपोर्ट कॉरिडोर’ (आएनएसटीसी) और व्लादिवोस्तक-चेन्नई शिपिंग लिंक का निर्माण करके समुद्री क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की दिशा में कोशिश कर रहे हैं। साथ ही भारत आर्क्टिक क्षेत्र में कॉरिडोर का निर्माण करने की सोच में होने की बात भी सामने आयी है। अक्तूबर महीने में रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन भारत आ रहे हैं। इससे पहले दोनों देशों के बीच बढ़ रहा यह सहयोग ध्यान आकर्षित करनेवाला साबित होता है।

जहाज़ निर्माण

भारत और रशिया के बीच जहाज़ की यातायात शुरू करने के मुद्दे पर वेबिनार का आयोजन किया गया था। इस वेबिनार को रशिया के उद्योग और उप-व्यापारमंत्री ओल्ग रायज़ेनस्तव और भारत के नौकानयन राज्यमंत्री मनसुख मांडविय उपस्थित रहे। इस दौरान दोनों देशों के नेताओं में जहाज़ निर्माण, दुरूस्ती, इनलैंड वॉटर वे, पोर्ट सेक्टर पर चर्चा हुई। इस वेबिनार को रशिया में नियुक्त भारत के राजदूत डी.बी.वेंकटेश वर्मा ने संबोधित किया। इस दौरान भारत और रशिया के बीच समुद्री क्षेत्र में सहयोग का अवसर होने की बात वर्मा ने कही।

इस वेबिनार में जहाज़ निर्माण का उद्योग और जहाज़ निर्माण पर जोर दिया गया। भारत और रशिया के जहाज़ क्षेत्र में कई अवसर उपलब्ध हैं, यह बात भी इस दौरान कही गई। बीते वर्ष रशिया में वार्षिक परिषद का आयोजन किया गया था। तब भारत और रशिया के बीच समुद्री सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई थी। ‘आयएनएसटीसी’ के तहत हिंद महासागर के माध्यम से मुंबई को रशिया के सेंट पिटर्सबर्ग समेत ईरान और अज़रबैजान से जोड़ा जाएगा। साथ ही चेन्नई-व्लादिवोस्तक शिपिंग लिंक का प्रस्ताव भी विचार में होने की बात इस वेबिनार में कही गई। वर्तमान में भारत से रशिया के लिए यूरोप के मार्ग से सामान भेजा जाता है। नई शिपिंग लिंक की वजह से भारत-रशिया संबंध मज़बूत होने के लिए सहायता होगा।

भारत हिंद महासागर के क्षेत्र में रशिया को शामिल करने के लिए कोशिश कर रहा है। हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियां देखें तो इस क्षेत्र में भारत-रशिया का सहयोग काफी अहम साबित होता है। इसी बीच भारत आर्क्टिक क्षेत्र में भी निवेश करने के लिए उत्सुक है। आर्क्टिक क्षेत्र प्राकृतिक खनिज और इंधन संपत्ति से भरा होने से इस क्षेत्र में निवेश करना भारत के लिए फायदेमंद साबित होगा। भारत रशिया के साथ नॉर्दर्न सी रूट के माध्यम से कनेक्ट होने की कोशिश कर रहा है। इस मुद्दे पर भारत और रशिया की चर्चा जारी है। साथ ही आर्क्टिक क्षेत्र में संयुक्त ऊर्जा परियोजना का निर्माण करने की तैयारी भी भारत ने रखी है।

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