रशिया में चीन-पाकिस्तान के साथ युद्धाभ्यास करने से भारत ने किया इन्कार

नई दिल्ली – अगले महीने में रशिया में होनेवाले ‘कैवाकैज़-२०२०’ युद्धाभ्यास में भारतीय सेना का दल शामिल नहीं होगा। इस युद्धाभ्यास में चीन और पाकिस्तान का समावेश होने से भारत ने यह निर्णय लिया है। रशिया को जल्द ही इस निर्णय से अवगत कराया जाएगा। सितंबर महीने में रशिया में होनेवाली ‘एससीओ’ की बैठक के लिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह उपस्थित रहेंगे। लेकिन, इस बैठक में भारत के रक्षामंत्री चीन के प्रतिनिधि से भेंट नहीं करेंगे, यह ऐलान कुछ दिन पहले ही किया गया था। लद्दाख की प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर बढ़ रहे तनाव की पृष्ठभूमि पर भारत के यह दोनों निर्णय चीन को कड़े संदेश देनेवाले साबित हो रहे हैं।

युद्धाभ्यास

कुछ घंटे पहले ही ‘साउथ ब्लॉक’ में अहम बैठक हुई। इस बैठक में विदेशमंत्री एस.जयशंकर और रक्षाबल प्रमुख जनरल बिपीन रावत भी उपस्थित थे। इसी बैठक में रशिया में होनेवाले ‘कैवाकैज़’ युद्धाभ्यास का मुद्दा उपस्थित किया गया। अगले महीने में होनेवाले इस बहुराष्ट्रीय युद्धाभ्यास में भारत अपना रक्षा दल भेजे, यह माँग रशिया ने की थी। भारतीय रक्षाबल ने इससे पहले भी रशिया में आयोजित युद्धाभ्यास में शामिल हुआ था। लेकिन, चीन के साथ सीमा पर तनाव निर्माण होने की स्थिति में इस युद्धाभ्यास के लिए अपने सैनिकों को भेजना उचित नहीं होगा, यह निर्णय इस बैठक में होने की जानकारी सेना के सूत्रों ने दी। साथ ही मौजूदा स्थिति में विश्‍वभर में कोरोना वायरस का संक्रमण फैल रहा है, इस बात पर भी सूत्रों ने ध्यान आकर्षित किया।

युद्धाभ्यास

इसके बावजूद रशिया में होनेवाली ‘शांघाय को-ऑपरेशन ऑर्गनाईज़ेशन’ (एससीओ) के रक्षामंत्रियों की बैठक के लिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह उपस्थित रहेंगे। ४ से ६ सितंबर को रही इस बैठक में भारतीय रक्षामंत्री से भेंट करने के लिए हम उत्सुक हैं, यह प्रतिक्रिया रशिया के रक्षामंत्री सर्जेई शोईगू ने दर्ज़ की है। तभी, भारत ने भी कहा है कि, रशिया के साथ होनेवाली इस बैठक में कुछ अहम मुद्दों पर चर्चा होगी। इस बैठक में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के रक्षामंत्री से भेंट करने से इन्कार करके चीन के विस्तारवाद का मुद्दा उपस्थित करेंगे। इस कारण राजनाथ सिंह की इस रशिया यात्रा की ओर देखा जा रहा है।

बीते तीन महीनों में राजनीतिक और लष्करी बातचीत होने के बाद भी चीन की सेना ने पैन्गॉन्ग त्सो, देपसॉन्ग, फिंगर क्लिफ और गोग्रा हाईटस्‌ से वापसी नहीं की है। चीन की इस क्षेत्र में बड़ी मात्रा में सेना की तैनाती करने की बात बयान करनेवाले सैटेलाईटस्‌ से प्राप्त फोटो और ख़बरें भी प्रसिद्ध हुए थे। चीन के कम से कम ४० हज़ार सैनिक इस क्षेत्र में तैनात होने का दावा किया जा रहा है। तभी, भारत ने भी उतनी ही तादाद में सेना तैनाती करके चीन को प्रत्युत्तर दिया है। इस सेना तैनाती के अलावा बातचीत के दौर भी शुरू हैं। लेकिन, चीन के साथ हो रही लष्करी एवं राजनयीक बातचीत असफल हुई तो लष्करी कार्रवाई का विकल्प अपनाया जाएगा, यह इशारा भारत के रक्षाबलप्रमुख जनरल बिपीन रावत ने कुछ दिन पहले दिया था।

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