प्रमुख देशों ने संज्ञान लेने से ‘मिशन शक्ति’ की अहमियत रेखांकित हुई

वॉशिंगटन/मास्को: भारत ने उपग्रह नष्ट करने की क्षमता सिद्ध करने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रिया प्राप्त हो रही है| भारत ने नष्ट किए उपग्रह से बने कुडे के बारे में अमरिका सवाल कर रही है| इसे भारत के ‘डीआरडीओ’ के प्रमुख जी.सतीश रेड्डी इन्होंने जवाब दिया है| अगले ४५ दिनों में यह कुडा नष्ट होगा, यह जानकारी उन्होंने दी है| तभी, भारत के इस परीक्षण की वजह से अमरिका ने ‘स्पेस फोर्स’ का गठन करने का किया निर्णय उचित है, यह सिद्ध हुआ है, ऐसा अमरिका के अस्थायि रक्षा मंत्री पैट्रिक शैनहॅन इन्होंने कहा है|

बुधवार के दिन भारत ने ‘मिशन शक्ति’ सफल होने का ऐलान करके उपग्रह नष्ट करने की क्षमता प्राप्त करने की बात घोषित की थी| यह क्षमता रखनेवाले चार देशों में भारत का समावेश हुआ है| सामरिक नजरिए से यह बात काफी अहम साबित होती है| इस वजह से भारत अपने पर हेरगिरी करनेवाले उपग्रह नष्ट कर सकता है, यह संदेशा पुरे दुनिया को प्राप्त हुआ है| खास तौर पर चीन जैसे भारत के प्रतिस्पर्धी देश की कार्रवाईयों का विचार किया जाए तो भारत ने प्राप्त की हुई यह क्षमता काफी अहम साबित होती है, ऐसा भारतीय विश्‍लेषकों का कहना है| यह होते हुए भी चीन इस परिक्षण को लेकर भारत पर आलोचना करने के लिए तैयार नही| अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इस मामले में भारत पर आलोचना करने से दूरी रखी है|

प्रमुख देशों, संज्ञान, मिशन शक्ति, अहमियत रेखांकित, वॉशिंगटन, मास्कोवर्ष २००७ में चीन ने अपना उपग्रह नष्ट करने के बाद दुनिया भर से इस परीक्षण पर तीव्र प्रतिक्रिया सामने आ रही थी| चीन अंतरिक्ष का लष्करीकरण कर रहा है, यह आरोप प्रमुख देशों ने किया था| चीन ने उपग्रह नष्ट करने के बाद इससे करीबन तीन हजार से भी अधिक टुकडे अतंरिक्ष में फैले है और इससे अन्य उपग्रहों को खतरा बन रहा है, इस बात पर अमरिका एवं अन्य देशों ने ध्यान दिलाया था| बल्कि ऐसा करने के लिए चीन ने अपना उपग्रह नष्ट किया है, यह आरोप हो रहे थे| जापान ने इस मामले में चीन पर कडी आलोचना की थी| उसके बाद जापान ने नष्ट किए गए उपग्रह के कुडे से अपने उपग्रहों का नुकसान ना हो, इस लिए विशेष यंत्रणा विकसित की थी| इस वजह से चीन की इस कार्रवाई की काफी बडी गुंज दुनिया भर में सुनाई दी थी| लेकिन, भारत ने उपग्रह नष्ट करने का ऐलान करने के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस प्रकार की प्रतिक्रिया दर्ज नही की है|

कुछ नरम शब्दों में अमरिका के अस्थायि रक्षा मंत्री शैनाहॅन इन्होंने भारत के परीक्षण पर चिंता जताई| इस वजह से अंतरिक्ष में निर्माण हुए कुडे पर शैनाहॅन इन्होंने सवाल किया| साथ ही भारत के इस परीक्षण की वजह से अमरिका ने ‘स्पेस फोर्स’ का गठन करने का किया निर्णय उचित था, यह साबित हुआ है, ऐसा शैनाहॅन इन्होंने कहा है| उसी समय अमरिका के उप राष्ट्राध्यक्ष माईक पेन्स इन्होंने अपना देश चीन और रशिया के साथ अंतरिक्ष की नई स्पर्धा में उतर रहा है, यह ऐलान किया| वर्ष १०६० की तरह अभी भी अतंरिक्ष के लिए स्पर्धा शुरू हुई है और इस समय यह स्पर्धा अधिक तीव्र होने का दावा अमरिकी उप राष्ट्राध्यक्ष ने किया है|

तभी, रशिया की अतंरिक्ष संस्था के प्रमुख दिमित्री रोगोझिन इन्होंने अतंरिक्ष में हथियारों की स्पर्धा कब की शुरू हुई है और हम इस स्पर्धा का हिस्सा बने है, यह संकेत देनेवाला वक्तव्य किया है| भारत ने किए परीक्षण के बाद सामने आ रही यह प्रतिक्रिया भविष्य की गतिविधियों के संकेत दे रही है| उचित समय पर भारत ने उपग्रह नष्ट करने की क्षमता सिद्ध की है, यही इससे स्पष्ट हो रहा है| साथ ही अमरिका की विश्‍लेषिका एशले टेलिस इन्होंने अभी भी इस मोर्चे पर भारत को काफी दूरी तय करनी है, यह दावा किया है|

वही, भारत इस प्राप्त क्षमता की वजह से पाकिस्तान के सभी उपग्रह नष्ट कर सकता है, लेकिन, चीन के सभी उपग्रह नष्ट करना भारत के लिए मुमकिन नह| लेकिन, भारत के सभी उपग्रह नष्ट करने की क्षमता चीन रखता है, यह दावा अमरिका की ‘मॅसॅच्युसेटस् इन्स्टिट्युट ऑफ टेक्नॉलॉजी’ के राजनीति विज्ञान विभाग के प्राध्यापक विपीन नारंग इन्होंने कहा है|

इस दौरान अंतरिक्ष के लष्करी करण के विरोध में कितनी भी चिंता व्यक्त हो रही हो, फिर भी अमरिका, रशिया और चीन यह देश अंतरिक्ष की शस्त्रस्पर्धा में उतरने की बात स्पष्ट हुई है और इस मोर्चे पर भारत को पीछे रहना संभव नही, यही बात इन सभी प्रतिक्रियाओं से फिर एक बार स्पष्ट हुआ है| इस वजह से भारत ने पहले ही उपग्रह नष्ट करने की प्राप्त की हुई क्षमता दुनिया के सामने रखने का निर्णय करके उचित दिशा में कदम बढाए, दिख रहा है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.