‘आरसीईपी’ पर हस्ताक्षर करने से भारत ने किया इन्कार

बैंकॉक – रिजनल कॉम्प्रिहेन्सीव्ह इकॉनॉमिक पार्टनरशिप(आरसीईपी) समझौते पर भारत समेत अन्य १५ देश हस्ताक्षर करें, इसके लिए चीन ने बडी आक्रामकता के साथ कोशिश की| अमरिका के साथ शुरू व्यापारयुद्ध से अपनी अर्थव्यवस्था पर हो रहा दुष्परिणाम कम करने के लिए चीन यह आक्रामकता दिखा रहा है| पर, ‘आरसीईपीको लेकर भारत ने रखी चिंता का हल निकाला नही गया, यह कहकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समझौते पर हस्ताक्षर करने से डटकर इन्कार किया| इस समझौते के विषय में भारत की भूमिका की ओर दुनिया भर के विश्लेषकों का ध्यान लगा था|

थाइलैंड के बैंकॉक में आसियान एवं ईस्ट एशिया समिट इन परिषदों का आयोजन किया गया है| इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए है| इन परिषदों मेंआरसीईपीपर अंतिम बातचीत होकर इन १६ देशों में मुक्त व्यापार समझौता होगा, यह बातचीत शुरू हुई थी| भारत के साथ चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, ब्रुनेई, लाओस, कंबोडिया, वियतनाम, म्यानमार, फिलिपाईन्स, थायलैंड, सिंगापूर, ऑस्ट्रेलिया, न्यूझीलैंड यह देशआरसीईपीमें शामिल है| यह समझौता होने पर दुनिया का ४० प्रतिशत व्यापार और ३५ प्रतिशत जागतिकजीडीपीका हिस्सा रखने वाला यह सबसे बडा मुक्त व्यापारी क्षेत्र बनेगा| भारत के अलावा अन्य देशों की इस समझौते पर सहमति होने की चर्चा हो रही थी

बदले जागतिक स्थिति का विचार करकेआरसीईपीमें आवश्यक बदलाव किए गए नही है| यह समझौता अपने मूल उद्देश्य से दूर गया है और यह न्याय एवं संतुलित नही है| भारत ने इस समझौते के विषय पर व्यक्त की हुई चिंता पर हल निकालने में सफलता हासिल नही हुई है, यह कहकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समझौते पर हस्ताक्षर करने से स्पष्ट इन्कार किया| भारत को क्षेत्रिय एकात्मता एवं व्यापारी जुडाव की उम्मीद है| पर, इसके लिए जरूरी संतुलन इस समझौते में नही है, यह बात प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट की| इस वजह से इस समझौते के लिए आक्रामकता के साथ कोशिश कर रहे चीन को झटका लगा है| यह समझौता हो, इसके लिए चीन अपना प्रभाव बडी आक्रामकता के साथ इस्तेमाल कर रहा था, यह बात भी स्पष्ट हुई थी|

अमरिका और चीन के बीच में तीव्र व्यापारयुद्ध शुरू है| इसका असर चीन की अर्थव्यवस्था पर हुआ है और चीन का विकास दर लगातार गिरावट का सामना कर रहा है| ऐसी स्थिति बरकरार रही तो चीन का काफी बडा नुकसान होगा, यह बात स्पष्ट दिख रही है| ऐसे में चीन ने इस आर्थिक संकट पर हल निकालने की कडी कोशिशें शुरू की है| इसी के तहेतआरसीईपीसमझौता करके अपना बाजार विस्तारने के लिए और आर्थिक क्षेत्र में वर्चस्व स्थापित करने के लिए चीन काफी उत्सुक है| पर, भारत अपनी भूमिका पर डटकर कायम रहकरआरसीईपीपर हस्ताक्षर करने से इन्कार करने से चीन को झटका लगता दिख रहा है|मोदी

इसी बीच प्रधानमंत्री मोदी ने बैंकॉक में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबे, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन, म्यानमार की स्टेट कौन्सिलर आँग सैन स्यू की से भेंट करके द्विपक्षीय बातचीत की|

जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबे और प्रधानमंत्री मोदी के साथ हुई द्विपक्षीय बातचीत के दौरान इंडोपैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता का मुद्दा सबसे उपर रहा|

इस क्षेत्र के अविकसित देशों में शांति, स्थिरता और विकास के लिए सहयोग करने पर प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री एबे के बिच सहमति होने की बात कही जा रही है|

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