प्रधानमंत्री मोदी इंडोनेशिया में दाखिल

जकार्ता: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडोनेशिया में दाखिल हुए हैं। उसके बाद वह मलेशिया एवं सिंगापुर को भेंट देंगे। फिलहाल शुरू होने वाली गतिमान गतिविधियों के पृष्ठभूमि पर प्रधानमंत्री के इस दौरे को बहुत बड़ा राजनैतिक एवं सामरिक महत्व प्राप्त हुआ है। विशेष रूप से इंडोनेशिया ने अपने सबांग बंदरगाह भारत को देने की तैयारी दिखाने की वजह से प्रधानमंत्री के इंडोनेशिया भेंट की तरफ विश्लेषकों का ध्यान केंद्रित हुआ है।

इंडोनेशिया, दाखिल, नरेंद्र मोदी, सबांग बंदरगाह, भारत को देने, तैयारी, जकार्ता, मलेशिया, सिंगापुर मंगलवार की शाम प्रधानमंत्री मोदी इंडोनेशिया में दाखिल हुए। बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी इंडोनेशिया के राष्ट्राध्यक्ष ज्यूको विडोडो इन से चर्चा करेंगे। प्रधानमंत्री के तौर पर पहली बार इंडोनेशिया के भेंट पर होने की बात कहकर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने इस दौरे पर समाधान व्यक्त किया है। भारत एवं इंडोनेशिया में सागरी सुरक्षा सहयोग एवं व्यापार के विस्तार का बहुत बड़ा अवसर होने की बात भी प्रधानमंत्री मोदी ने अपने इस दौरे से पहले ध्यान में दिलाई। अपने इस दौरे में प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्राध्यक्ष विडोड़ो इनके संभावित इंडिया इंडोनेशिया सीईओ फोरम को संबोधित करने वाले हैं। तथा इंडोनेशिया में वास्तव्य करने वाले भारतीय को भी प्रधानमंत्री एक कार्यक्रम द्वारा संबोधित करेंगे।

भारत एवं इंडोनेशिया में ऐतिहासिक मैत्रीपूर्ण संबंध होकर दोनों देशों में प्राचीन समय से सांस्कृतिक स्तर पर सौहार्द होने की बात कहकर अपने इस दौरे की वजह से दोनों देशों में अधिक दृढ़ संबंध प्रस्थापित होंगे ऐसा विश्वास प्रधानमंत्री ने व्यक्त किया है। दौरान इंडोनेशिया में अपने सबांग बंदरगाह विकसित करने के लिए भारत को अवसर देने की तैयारी दिखाई है। इसकी वजह से प्रधानमंत्री मोदी इनकी यह भेंट अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

सबांग बंदरगाह मलक्का की खाड़ी क्षेत्र में है, इसकी वजह से मलक्का की खाड़ी क्षेत्र पर भारत का प्रभाव अधिक बढ़ने वाला है। चीन के इस क्षेत्र पर भारत का प्रभाव कम करने के लिए योजनाबद्ध प्रयत्न शुरू है। चीन का व्यापारी परिवहन इस क्षेत्र से हो रहा हैं और अगर चीन ने भारत के विरोध में आक्रामक कार्रवाई की तो भारत किसी भी क्षण इस क्षेत्र में चीन का व्यापारी गतिरोध कर सकता है, ऐसा एहसास चीन को हुआ है। इसलिए चीन ने अपना वर्चस्व प्रस्थापित करने के लिए योजनाबद्ध गतिविधियां शुरू की थी। तथा इस क्षेत्र में अन्य देशों के साथ चीन ने सहयोग बढ़ाने की धारणा स्वीकारी थी। पर इस क्षेत्र के देशों को चीन से ज्यादा भारत पर अधिक विश्वास होने की बात समय-समय पर स्पष्ट हुई है।

इंडोनेशिया ने अपना बंदरगाह विकसित करने के लिए भारत को अवसर देने की तैयारी दिखाई है और चीन के वहां के प्रभाव के विरोध में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इंडोनेशिया एवं इस क्षेत्र के अन्य देशों के साथ भारत के बढ़ते संबंध भारत के एक्ट ईस्ट धारणा को अधिक बल दे रहे हैं। आने वाले समय में यह सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका संपन्न कर सकते हैं। इंडोनेशिया के बैठ के बाद प्रधानमंत्री मोदी मलेशिया का दौरा करेंगे और क्वालालंपुर से मलेशिया नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री महाथिर से मुलाकात करेंगे तथा उसके बाद प्रधानमंत्री सिंगापुर में शांग्रीला परिषद में शामिल होने वाले हैं।

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