कोरोना की पृष्ठभूमि पर भारत ने अफ्रिकी देशों को प्रदान की अनाज़ की सहायता

नई दिल्ली – कोरोना की महामारी और नैसर्गिक आपत्ति की पृष्ठभूमि पर भारत ने अफ्रिकी देशों को बड़ी मात्रा में अनाज़ की सहायता करने की बात सामने आयी है। भारतीय नौसेना के ‘आयएनएस ऐरावत’ नामक युद्धपोत से २७० मेट्रिक टन अनाज सुदान, दक्षिणी सुदान, जिबौती एवं इरिट्रिया को भेजा गया है, यह जानकारी विदेश मंत्रालय ने साझा की। इन देशों को कोरोना की महामारी के साथ ही नैसर्गिक आपत्ति की वजह से बड़ा नुकसान भुगतना पड़ा है और मानवता के नज़रिये से भारत ने इन देशों को सहायता प्रदान करने की बात स्पष्ट की गई। इससे पहले भारत ने कोरोना के संकट का मुकाबला करनेवाले अफ्रिकी देशों को वैद्यकीय सहायता एवं वहां फंसे पड़े नागरिकों को वापिस लाने के लिए सहयोग किया था।

india-africa-corona२४ अक्तुबर के दिन मुंबई के बंदरगाह से ‘आयएनएस ऐरावत’ युद्धपोत सुदान, दक्षिणी सुदान, जिबौती एवं इरिट्रिया की सहायता के लिए अनाज़ लेकर निकल पड़ी। इस जहाज़ से १५५ मेट्रिक टन आटा, ६५ मेट्रिक टन चावल और ५० मेट्रिक टन शक्कर की सहायता भेजी गई है। यह जहाज़ इस यात्रा के दौरान जिबौती, मसावा, पोर्ट सुदान और मोम्बासा में रुकेगा। कई सदियों की कोशिश से भारत और अफ्रिकी देशों के संबंध मज़बूत हुए हैं। इसी कारण अफ्रिकी देश और जनता के पीछे भारत ने हमेशा साथ निभाया है और इन देशों के विकास में एवं मानवता के नज़रिये से भारत ने हमेशा से ही सहयोग किया है, यह बयान विदेश मंत्रालय ने जारी किए निवेदन में किया गया है।

इससे पहले भारत ने कोरोना का मुकाबला करनेवाले १३ अफ्रिकी देशों को मानवता के नज़रिये से सहायता प्रदान की। भारत ने इन देशों को आवश्‍यक औषधि, इंजेक्शन, थर्मामीटर, क्लोरोक्वीन, पैरासिटामोल, आयबुप्रोफेन के एक लाख युनिट्स एवं दो लाख युनिट् ऐंटिबायोटिक्स की आपूर्ति की है। बीते महीने में ही भारत और अफ्रिकी देशों की विशेष वर्चुअल बैठक हुई थी। इस बैठक में, भारत ने यह वादा किया था कि, अफ्रिकी महाद्विप के लिए भारत हमेशा के लिए विश्‍वस्नीय और मज़बूत साझेदार साबित होगा। इस पृष्ठभूमि पर भारत ने प्रदान की हुई सहायता अहम साबित होती है।

बीते दो दशकों में चीन ने अफ्रिकी महाद्विप में काफी मात्रा में निवेश करके अपना प्रभाव बढ़ाने में सफलता प्राप्त की थी। लेकिन, कोरोना की पृष्ठभूमि पर चीन के इस वर्चस्व को झटके लग रहे हैं और भारत अपना स्थान मज़बूत करने के लिए तेज़ कदम उठा रहा है, यही बात मानवता के नज़रिये से प्रदान की गई सहायता से दिख रही है।

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