भारत एवं कझाकस्तान रक्षा सहयोग बढ़ाएंगे

अस्ताना: भारत के विदेश मंत्री सुषमा स्वराज कझाकस्तान के दौरे पर हैं। सामरिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण होनेवाले इस देश के साथ भारत रक्षा सहयोग अधिक दृढ़ करने की घोषणा उस समय विदेश मंत्री स्वराज ने की। रक्षा के साथ व्यापार, ऊर्जा और सूचना तंत्रज्ञान क्षेत्र में भी दोनों देश सहयोग बढ़ाने की बात उस समय विदेश मंत्री स्वराज ने कही है। दौरान भारतीय लष्कर की एक टुकड़ी कझाकस्तान के अलमाटी शहर में कझाकी सैनिकों को प्रशिक्षण देने की याद सुषमा स्वराज ने दिलाई है।

मध्य एशियाई देशों के साथ भारत का सहयोग बढाने विदेश मंत्री स्वराज ३ दिन के दौरे पर हैं। कजाकस्तान से अपने दौरे की शुरुआत करके विदेश मंत्री स्वराज ने विदेश मंत्री कैरात अब्द्राख़मनोव्ह से भेंट की है। उस समय विदेश मंत्री स्वराज ने दोनों देशों में पारंपारिक मित्रता दिखाई है। कझाकस्तान यह मध्य आशिया का भारत का सबसे बड़ा व्यापारी सहयोगी होने का दाखिला स्वराज ने दिया है।

भारत, कझाकस्तान, सुषमा स्वराज, रक्षा सहयोग, बढ़ाएंगे, अस्ताना, तंत्रज्ञान क्षेत्रसन २००५ से २०१६ के १० वर्षों के कालखंड में भारत ने कझाकस्तान में लगभग २५ करोड़ डॉलर का निवेश किया है। तथा इस कालखंड में कझाकस्तान ने भी भारत में विविध क्षेत्रों में साढ़े आठ करोड डॉलर का निवेश करने की बात स्वराज ने कही है।

स्वराज ने इस दौरे में भारत एवं कझाकस्तान में व्यापार निवेश तथा सूचना तंत्रज्ञान, पर्यटन, दवाइयां निर्मिती क्षेत्र एवं संयुक्त सिनेमा निर्माण इस क्षेत्र में सहयोग पर चर्चा की है। तथा दोनों देशों के नागरिकों को एक दूसरों से संवाद बढ़ाने के बारे में भी विदेश मंत्री स्वराज ने विदेश मंत्री कैरात अब्द्राख़मनोव्ह से चर्चा की है।

आनेवाले समय में दोनों देश द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय सहयोग विकसित करने के लिए व्यापक प्रयत्न करने की गवाही विदेश मंत्री स्वराज ने दी है। तथा पिछले २ वर्षों में भारत और कझाकस्तान में सहयोग रक्षा एवं रक्षा विषयक सहयोग अधिक दृढ़ हुआ है, इसकी तरफ स्वराज ने ध्यान केंद्रित किया है।

कझाकस्तान के लष्करी पथक कुछ महीनों पहले भारत में आए थे। भारतीय लष्कर ने उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया था। फिलहाल भारतीय लष्कर का एक पथक कझाकस्तान के अल्माटी में होकर वहां इस पथक से कझाकस्तान के जवानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, इसकी जानकारी स्वराज ने दी है।

कझाकस्तान के खनिज की भारत में निर्यात की जाती है। इसकी जानकारी भी उस समय स्वराज है दी है। यह सहयोग बढ़ाने के लिए भारत को रुचि होने की बात विदेश मंत्री ने कहीं है। दौरान कझाकस्तान के बाद विदेश मंत्री स्वराज किरिगिझीस्तान और उझ्बेकिस्तान जा रही हैं। ईंधन वायु तथा अन्य नैसर्गिक स्रोत से समृद्ध इन मध्य आशियाई देशों के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए भारत ने प्रयत्न शुरू किए है, विदेश मंत्री स्वराज का कझाकस्तान, किरिगीझिस्तान और उझ्बेकिस्तान का दौरा इन प्रयत्नों का भाग होने का दावा किया जा रहा है।

पाकिस्तान ने मार्ग खुला करके दिया तो अफगानिस्तान द्वारा मध्य एशियाई देश भारत को व्यापारी रुप से जोड़े जा सकते हैं। पर पाकिस्तान ने इस बारे में आज तक बाधा होने की भूमिका का स्वीकार किया है। पर ईरान का छाबर बंदरगाह भारत के लिए उपलब्ध होने से परिस्थिति बदली है और छाबर द्वारा अफगानिस्तान को माल परिवहन करना भारत के लिए आसान हुआ है। इसकी वजह से मध्य एशियाई देशों के साथ भारत का व्यापार अधिक आसान हो सकता है। इससे भारत के विदेश मंत्रि के इस दौरे का महत्व अधिक बढ़ता जा रहा है।

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