मिसाइलों के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर हुआ हैं – ‘डीआरडीओ’ के प्रमुख सतिश रेड्डी

india-missiles-comboनई दिल्ली – ब्रह्मोस, पृथ्वी, शौर्य, एचएसटीडीवी, स्मार्ट, रुद्रम जैसे १० मिसाइलों का मात्र पांच सप्ताहों में सफल परीक्षण करनेवाला भारत ‘मिसाइल निर्माण’ के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हुआ है। भारतीय सेना की माँग के अनुसार आवश्‍यक मिसाइलों का देश में ही निर्माण करने की क्षमता ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ (डीआरडीओ) ने प्राप्त की है। तो विश्‍व में फिलहाल सबसे गतिमान ‘ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाईल’ की तुलना में दोगुनी गति से हमला करनेवाले ‘हायपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल’ का भारत अगले चार-पांच वर्षों में निर्माण करेगा, यह ऐलान ‘डीआरडीओ’ के प्रमुख डॉ.सतीश रेड्डी ने किया।

drdo_chiefभारत के मिसाइल एवं अन्य हथियारों के विकास का काम कर रहे ‘डीआरडीओ’ के प्रमुख रेड्डी ने एक वृत्तसंस्था को साझा की हुई जानकारी में देश की मिसाइल क्षमता में बड़ी बढ़ोतरी होने की बात कही है। बीते पांच से छह वर्षों में भारत ने मिसाइल निर्माण क्षेत्र में यह सफलता हासिल की है और निजी कंपनियां भी अब हमारी माँग के अनुसार यंत्रणा विकसित कर रही हैं, यह जानकारी भी ‘डीआरडीओ’ के प्रमुख ने प्रदान की। कोरोना के संकट काल में भी ‘डीआरडीओ’ के वैज्ञानिकों ने अपनी ज़िम्मेदारी पहचानकर काम रोका नहीं है और अलग अलग मिसाइल यंत्रणाओं पर काम जारी है। सभी यंत्रणाओं पर अच्छा काम हो रहा है और जल्द ही अधिक यंत्रणाओं का परीक्षण किया जाएगा, यह बात डॉ.रेड्डी ने कही।

मिसाइल, राड़ार, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली, टोर्पेडो, तोप और संपर्क यंत्रणा के साथ अन्य लष्करी उपकरणों के निर्माण में भारत आत्मनिर्भर बना है, यह विश्‍वास ‘डीआरडीओ’ के प्रमुख ने व्यक्त किया। अब तक भारतीय रक्षाबलों ने आयात किए हुए हथियारों पर ‘डीआरडीओ’ के वैज्ञानिक अनुसंधान का काम कर रहे हैं और अब स्वदेशी यंत्रणा तैयार करने की कोशिश में जुटे हैं। इसके आगे रक्षाबलों को विदेश से रक्षा सामान के आयात की आवश्‍यकता नहीं रहेगी, यह दावा भी ‘डीआरडीओ’ के प्रमुख ने किया। हमें भारत को प्रगत तकनीक का देश बनाना है और इसके लिए ‘डीआरडीओ’ के वैज्ञानिकों ने अतिप्रगत और जटिल तकनीक पर अपना ध्यान केंद्रीत किया है, यह बात डॉ.रेड्डी ने इस साक्षात्कार में कही।

india-ngramकुछ दिन पहले ही भारत ने किए बह्मोस मिसाइल के परीक्षण के बारे में बोलते समय ‘डीआरडीओ’ के प्रमुख ने भारत के सबसे तेज़ क्रूज़ मिसाईल की गति अगले दिनों में दोगुनी होगी, यह जानकारी भी साझा की। विश्‍व का सबसे गतिमान क्रूज़ मिसाईल साबित हुआ ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल २.८ मैक गति से हमला करती हैं। ‘सुखोई-३०एमकेआय’ नामक लड़ाकू विमान पर होनेवाली ‘ब्रह्मोस’ की तैनाती इस मिसाइल को सबसे घातक बनाती है, यह दावा किया जा रहा है। लेकिन, अगले चार-पांच वर्षों में ‘सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज़ मिसाइल’ भारतीय रक्षाबलों के बेड़े में मौजूद होगा, यह बयान ‘डीआरडीओ’ के प्रमुख ने किया। इस ‘सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल’ की गति छह से सात मैक तक होगी, यह जानकारी उन्होंने प्रदान की।

बीते सप्ताह में परीक्षण किया गया ‘रूद्रम मिसाइल’ शत्रु के राड़ार की खोज करके उसे तबाह करने की क्षमता रखता है और इस वजह से भारतीय वायुसेना को लाभ ही होगा, यह दावा ‘डीआरडीओ’ के प्रमुख ने किया। इसी बीच मौजूदा स्थिति में निर्माणाधिन ‘स्मार्ट मिसाइल असिस्टेड रिलिज टोर्पेडो’ (स्मार्ट) यंत्रणा भारतीय नौसेना के लिए पनडुब्बी विरोधी युद्ध में सहायक साबित होगी, यह बयान डॉ.रेड्डी ने किया। शत्रु की पनडुब्बियों की बड़ी दूरी से ही खोज करने की क्षमता यह यंत्रणा रखती है यह बात भी उन्होंने कही। चीन और पाकिस्तान के साथ बढ़ रहे तनाव की पृष्ठभूमि पर ‘डीआरडीओ’ के प्रमुख ने किया यह ऐलान अहमियत रखता है।

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