भारतीय संस्कृति के प्रतिबिंब वाले स्वदेशी खिलौनों का निर्माण करें – प्रधानमंत्री का आवाहन

नई दिल्ली – खिलौने बच्चों के मन को अच्छा आकार देते हैं। इसी वजह से देश के आंगनवाड़ी और स्कूलों में आनेवाले छात्रों का सभी मायने में विकास करना है तो भारतीय संस्कृति से जुड़नेवाले खिलौनों का इस्तेमाल करें, यह आवाहन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। आत्मनिर्भर भारत उपक्रम के तहत भारत में ही खिलौनों का निर्माण करने का आवाहन प्रधानमंत्री ने कारखानों से किया है। देश के युवा आगे आकर अपनी कुशलता का इस्तेमाल करके खिलौनों का निर्माण करें और ‘वोकल फॉर लोकल’ को प्रोत्साहित करें, यह संदेश प्रधानमंत्री ने दिया।

इस क्षेत्र के संबंधितों के साथ प्रधानमंत्री ने हाल ही में एक बैठक की। इस दौरान बोलते समय प्रधानमंत्री ने स्वदेशी निर्माण के लेकिन भारत की संस्कृति का प्रतिबिंब वाले खिलौनों का निर्माण करने का आवाहन किया। खिलौने, भारतीय संस्कृति के प्रतीक समझे जाते है। आंगनवाड़ी और स्कूलों में छात्रों को खिलौने की बड़ी अहमियत होती है, यह बात प्रधानमंत्री ने बड़ी तीव्रता से कही। साथ ही यह खिलौने ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का प्रतिनिधित्व करते हैं, यह बात भी प्रधानमंत्री ने आगे कही।

देश के कई कारीगर उत्कृष्ठ खिलौने बनाते हैं। उन्हें अवसर दिया गया तो देश में बड़ी मात्रा में खिलौनों का उत्पादन होगा, यह बयान भी प्रधानमंत्री ने किया। इसके अलावा देश के युवा तकनीक और कल्पकता का इस्तेमाल करके खिलौने का निर्माण करना होगा। इसका दर्जा अच्छा रखना होगा। इससे देश के खिलौनों को अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में स्थान प्राप्त होगा, यह विश्‍वास प्रधानमंत्री ने व्यक्त किया। इस वजह से भारत के ‘आत्मनिर्भर भारत’ उपक्रम को गति प्राप्त होगी, यह बात भी प्रधानमंत्री ने कही। देश के जिस हिस्से में हस्तकला का इस्तेमाल करके खिलौने तैयार किए जाते हैं, उन हिस्सों का पर्यटन के लिए भी इस्तेमाल करना संभव होगा, यह बात प्रधानमंत्री ने कही।

चीन के साथ बढ़ रहे तनाव के बाद भारत ने ‘मेड इन चायना’ पर बहिष्कार करना तय किया है। भारत ने धीरे धीरे हरएक क्षेत्र से चीन का निवेश कम करने की गतिविधियां शुरू की हैं और भारत खिलौनों का बाज़ार भी इससे अलग नहीं रख रहा है। भारत करीबन ७०% खिलौने चीन से आयात करता है। वर्ष २०१९-२० के वर्ष में भारत ने चीन से ४,००० करोड़ रुपयों के खिलौने आयात किए थे। लेकिन, अब भारत ने चीन पर बनी निर्भरता कम करने लगा है। आत्मनिर्भर भारत उपक्रम के तहत अब भारत में ही उत्पादन शुरू किया जा रहा है।

प्रति वर्ष के गणेशोत्सव की पृष्ठभूमि पर चीन से बड़ी मात्रा में ‘मेड इन चायना’ मूर्तियां आयात होती रही हैं। चीन से भारत में हर वर्ष ५०० करोड़ रुपयों के मूर्तियां निर्यात हो रही थीं। लेकिन, इस वर्ष भारतीय नागरिकों ने चीन के सामान से मुंह मोडकर ‘मेड इन इंडिया’ मूर्ती के लिए प्राथमिकता दिखाई। ‘कन्फरडेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स’ (सीएआयटी) ने यह जानकारी साझा की।

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