भारत रशिया से २ विध्वंसक की खरीदारी करेगा

नई दिल्ली: एस-४०० इस हवाई सुरक्षा यंत्रणा के लिए भारत और रशिया में हुए करार के बाद अमरिका से भारत पर प्रतिबंध जारी करने की चेतावनी दी जा रही है। पर इसे नजरअंदाज करते हुए भारत एवं रशिया में एक और महत्वपूर्ण करार संपन्न हुआ है। ९५ करोड़ डॉलर्स के इस करार के अंतर्गत भारत अपने नौदल के लिए रशिया से एडमिरल ग्रिगोरोविच श्रेणी के दो युद्ध नौकाओं की खरीदारी करने वाला है। यह युद्धनौका ब्रह्मोस मिसाइल से सज्ज होंगी।

रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन इनके भारत में आने के कुछ ही दिन पहले रशिया से एडमिरल ग्रेगोरोविच श्रेणी के चार विध्वंसक खरीदारी करने के प्रस्ताव को रक्षा विषयक मंत्री गटने मंजूरी दी थी। इसके अनुसार दो युद्धनौकाओ का निर्माण रशिया में तथा दो अन्य युद्धनौकाओं का निर्माण भारत में होने वाला है। सन २०१६ में इस संदर्भ में दोनों देशों के सरकार में प्राथमिक करार संपन्न हुआ था। पर इन दो विध्वंसक के कीमत के संदर्भ में समझौता पूर्ण न होने से राष्ट्राध्यक्ष पुतिन इनके दौरे में इस संदर्भ में अंतिम करार नहीं हुआ था।

रशिया, २ विध्वंसक, खरीदारी, करेगा, भारत, हवाई सुरक्षा यंत्रणापर इस खरिदारी को लेकर हाल ही में दोनों देशों की चर्चा पूरी हुई और पिछले हफ्ते में दोनों देशों में इस संदर्भ में अंतिम करार होने का वृत्त सामने आया है। यह करार दो युद्ध नौकाओं के लिए हुआ है एवं यह युद्ध नौका उपयोग के लिए तैयार होने के दावे किए जा रहे हैं। इसके अलावा एडमिरल ग्रेगोरोविच श्रेणी के और दो युद्ध नौकाओ के निर्माण के लिए आगे चल कर दोनों देशों में करार हो सकता है, ऐसा कहा जा रहा है।

एडमिरल ग्रेगोरोविच श्रेणी के विध्वंसक फिलहाल भारतीय नौदल में होने वाले तलवार श्रेणी के विध्वंसक का प्रगत रूप है। भारत ने रशिया से सन २००३ से २०१३ के दौरान तलवार श्रेणी के ६ विध्वंसक की खरीदारी की है।

३६२० टन की एडमिरल ग्रेगोरोविच श्रेणी के विध्वंसक की गति प्रति घंटा ३० सागरी मिल होकर यह युद्धनौका पनडुब्बी विरोधी युद्ध के साथ हवाई हमला और जमीन पर युद्ध के लिए भी प्रभावी तौर पर उपयोग मे आ सकती है। इस विध्वंसक पर भारत और रशिया ने संयुक्त तौर पर तैयार किए ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल तैनात किए जा सकते हैं। इसके सिवाय इन विध्वंसक पर हेलिकॉप्टर तैनात करने की विशेष व्यवस्था है।

दौरान अमरिका ने रशिया पर प्रतिबंध जारी किए हैं। इसके लिए एक विशेष कानून भी अमरिका में मंजूर हुआ है और इस कानून के अंतर्गत रशिया के साथ रक्षा एवं अन्य क्षेत्र में सहयोग करने वाले देशों पर प्रतिबंध जारी करने का प्रावधान किया है। इसकी वजह से भारत को अमरिका के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। अमरिका ने इससे पहले भी भारत को वैसे ही चेतावनी दी थी। एस-४०० इस हवाई मिसाइल यंत्रणा के लिए रशिया के साथ करार होने पर भी अमरिका ने संभाव्य निर्बंध के विषय मे संकेत दिए थे। पर किससे क्या खरीदारी करना है, इसका निर्णय लेने का सार्वभौम अधिकार भारत को है, इसमें कोई भी दखलंदाजी भारत सहन नहीं कर सकता, ऐसा भारत ने स्पष्ट किया था।

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