भारत-जापान ने ‘एन्क्रिप्टेड एप्स’ के ‘बैकडोअर ऐक्सेस’ की कंपनियों से की माँग

नई दिल्ली – अमरीका, ब्रिटेन, कनाड़ा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैण्ड इन पांच देशों के ‘फाईव आईज्‌ अलायन्स’ के साथ भी अब भारत और जापान ने भी तकनीक के क्षेत्र की कंपनियों के सामने ‘एंड टू एंड एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन्स’ के ‘बैकडोअर ऐक्सेस’ की माँग की है। सोशल मीडिया पर दिए जा रहे संदेश जाँच एजन्सीज्‌ को पढ़ना संभव हो, इस उद्देश्‍य से यह माँग की गई है। तकनीक के क्षेत्र की कंपनियों ने ‘एंड टू एंड एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन्स’ में जाँच एजन्सीज्‌ को प्रवेश मुहैया किया जाए तो काफी संख्या में अपराधिक मामलों की जड़े खंगालना संभव होगा। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा साबित होनेवाले गंभीर अपराधिक मामलों की जाँच करने में महसूस हो रही कठिनाई भी इससे दूर हो जाएगी, यह दावा किया जा रहा है।

‘एंड टू एंड एन्क्रिप्टेड’ के तहत सोशल मीडिया के संदेश सिर्फ भेजनेवाला और प्राप्त करनेवाला ही पढ़ सकता है। कोई तीसरा व्यक्ति, यहां तक कि, वह ऐप तैयार करनेवाली कंपनी भी वह संदेश पढ़ नहीं सकती। जाँच एजन्सी को भी यह संदेश पढ़ने की अनुमति नहीं होती। इस वजह से सायबर गुनाहगारी में बढ़ोतरी होती है। इसके साथ ही आतंकी संगठन भी ऐसे ऐप्स का गलत इस्तेमाल करते हैं। इसी कारण ‘फाईव आईज्‌ अलायन्स’ के देशों के साथ ही भारत और जापान ने भी यह ‘ऐक्सेस’ प्राप्त करने के लिए एकसाथ कोशिश शुरू की है। चीन को रोकने के लिए ‘फाईव आईज्‌ अलायन्स’ में जापान को शामिल करने के लिए हाल ही में गतिविधियां शुरू होने के समाचार प्राप्त हुए थे। इस पृष्ठभूमि पर इन ‘फाईव आईज्‌ अलायन्स’ गुट के साथ ही अब भारत और जापान को रक्षा के मुद्दे पर एक होना बड़ी अहमियत रखता है।

सिर्फ ‘मेसेजिंग ऐप्लिकेशन’ ही नहीं बल्कि ‘डिवाईस एन्क्रिप्शन’, ‘कस्टम एन्क्रिप्टेड ऐप्लिकेशन’ से संबंधित जानकारी भी इन देशों को आवश्‍यक है। इससे पहले ‘फाईव आईज्‌ अलायन्स’ के गुट ने वर्ष २०१८ और २०१९ में इस तरह की माँग की थी। अब इस गुट के साथ भारत और जापान भी तकनीक के क्षेत्र की कंपनियों के सामने यह माँग रख रहे हैं। ‘प्रायवसी’ और ‘सायबर’ सुरक्षा के लिए प्राथमिकता देनी ही होगी। लेकिन, इससे यंत्रणाओं को गंभीर अपराधिक मामलों की जाँच में कठिनाई होती है और देश की सुरक्षा के लिए खतरा बनता है, यह बयान इन सातों देशों ने किया है और इस पर संबधित कंपनियां समझदारी से हल निकालें, यह इशारा भी इन देशों ने दिया है।

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