भारत अमरिका और पडौसी देशों के साथ लष्करी सहकार्य बढाए- अमरिकी अभ्यास गुट की सलाह

वॉशिंगटन: भारत और चीन की सेना डोकलाम में एकदूसरे के सामने खड़ी थी। इस बात की दखल लेकर अमरिका के ख्यातनाम अभ्यास गुट ने भारत की आने वाले समय में सुरक्षा विषयक चुनौतियों का सामना करने के लिए कुछ सिफारिशें की हैं। इसमें पाकिस्तान का अपवाद छोड़कर अन्य पडौसी देशों की लष्कर को प्रशिक्षण देना, स्पेशल फ़ोर्स विकसित करने की सलाह का समावेश है। इसके साथ अमरिका जैसे देश की नौसेना के साथ हिन्द महासागर क्षेत्र में नियमित रूपसे संयुक्त गश्त लगाने की सिफारिश भी इस गुट ने अपनी रिपोर्ट में की है।

सिफारिशें

‘अटलांटिक कौंसिल’ इस अमरिकी अभ्यास गुट के ‘द साउथ एशिया सेंटर’ ने इस सन्दर्भ में विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। भारत गोपालस्वामी और रॉबर्ट मैनिंग लिखित ‘द सायनो-इंडियन क्लाश एंड द न्यू जिओपॉलिटिक्स ऑफ़ दे इंडो-पसिफ़िक’ इस रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण चीजों का उल्लेख किया गया है। भारत और चीन के बिच व्यापारी और अन्य स्तर पर सहकार्य कायम है, फिर भी आने वाले समय में डोकलाम जैसी परिस्थिति निर्माण हो सकती है, ऐसा इशारा दिया गया है। इसे टालने के लिए दोनों देश चर्चा करे, ऐसी सलाह इस रिपोर्ट में दी गई है।

चीन का सामर्थ्य और महत्वाकांक्षा की वजह से हिन्द महासागर क्षेत्र से लेकर पसिफ़िक महासागर तक के क्षेत्र में निर्माण हुआ असंतुलन दूर करने के लिए भारत और अमरिका अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, ऐसा इस रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है। हिन्द महासागर क्षेत्र में भारत और अमरिका संयुक्त गश्त लगाए। अपनी नौसेना के निर्माण के लिए भारत अमरिका और जापान का सहकार्य स्वीकार करे, इस वजह से भारत और चीन की नौसेना के बिच का भेद कम करना भारत को मुमकिन हो जाएगा, ऐसा दावा इस रिपोर्ट में किया गया है। इसीके साथ ही भारत अमरिका और जापान के साथ ‘मालाबार’ युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को भी शामिल करले, ऐसी मांग इस रिपोर्ट में की गई है।

साथ ही भूटान, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका इन देशों की सेना को प्रशिक्षण दे और इसके लिए स्वतंत्र अकादमी शुरू की जाए, ऐसी शिफारिश इस रिपोर्ट में की गई है। साथ ही भारत अपनी सीमारेखा पर लष्कर की चौकियों को बढाए और स्पेशल फोर्सेज विकसित करे, ऐसा इस रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है। पाकिस्तान कब्जे वाले कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक करके भारतने हम सीमित युद्ध के लिए हैं, ऐसा दिखा दिया था, इसका उल्लेख इस रिपोर्ट में किया गया है। साथ ही सभी भारतीय रक्षा दलों का एकही मध्यवर्ती केंद्र हो और इसमें केन्द्रीय गृह मंत्रालय और गुप्तचर संस्था रॉ का भी समावेश हो, ऐसा निष्कर्ष इन रिपोर्ट में रखा गया है।

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