व्यापारीक हितसंबंधों को अधिक अहमियत देकर चीन के खतरे को अनदेखा करना यूरोप के लिए महंगा साबित होगा – नाटो के पूर्व प्रमुख की यूरोपिय महासंघ को चेतावनी

ब्रुसेल्स/बीजिंग – ‘अंतरराष्ट्रीय स्तर के भू-राजनीतिक तनाव और स्थानीय स्तर की आर्थिक चुनौतियों की पृष्ठभूमि पर यूरोपिय महासंघ के नेता चीन के मुद्दे पर आसान मार्ग अपनाने के मोह में फंस सकते हैं। विवादित मुद्दे टालकर चीन के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए प्राथमिकता देने की भूमिका अपनाई जा सकती है। लेकिन, यह काफी बड़ी गलती साबित होगी। चीन के खतरों को लेकर अब आम भूमिका अपनाना यूरोपिय महासंघ के लिए आगे महंगा साबित होगा’, ऐसी चेतावनी नाटो के पूर्व प्रमुख एंडर्स फॉग रासमुसेन ने दी है।

चीन की राजधानी बीजिंग में गुरुवार के दिन ‘ईयू-चाइना समिट’ शुरू हुई। इसमें बोलते समय यूरोपिय कमिशन की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने चीन के साथ मतभेद होने की बात कबूल की। व्यापारीक हितसंबंधों को अधिक अहमियत देकर चीन के खतरे को अनदेखा करना यूरोप के लिए महंगा साबित होगा - नाटो के पूर्व प्रमुख की यूरोपिय महासंघ को चेतावनीयह मतभेद खत्म करने के लिए चीन ने उचीत ढ़ंग से संवाद करान होगा, ऐसा आवाहन भी उन्होंने किया। वहीं, चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने राजनीतिक व्यवस्था अलग होने का मुद्दा उठाकर यूरोपिय महासंघ चीन के साथ विवाद खड़ा न करें, यह इशारा देते हुए आक्रामक रवैया दिखाया। ऐसे बैठक के शुरू में ही दोनों के मतभेद सामने आए हैं।

पिछले कुछ महीनों में यूरोपिय महासंघ में भी चीन विरोधी भावना मज़बूत होती देखी जा रही है। सितंबर महीने में यूरोपिय कमिशन की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने यूरोप पहुंच रही इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया था। इसके बाद अक्टूबर महीने में चीन निर्यात हो रहे संवेदनशील प्रौद्योगिकी पर रोक लगाने के संकेत दिए थे। यूरोपिय संसद ने भी प्रतिद्वंद्वी देशों के विरोध में व्यापार एवं निवेश पर प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की थी।

व्यापारीक हितसंबंधों को अधिक अहमियत देकर चीन के खतरे को अनदेखा करना यूरोप के लिए महंगा साबित होगा - नाटो के पूर्व प्रमुख की यूरोपिय महासंघ को चेतावनीउससे पहले कोरोना की महामारी, साउथ चाइना सी की गतिविधियां हाँगकाँग में हुई घटनाएं, उइगरवंशियों पर हो रहे अत्याचार और नए कानून के मुद्दों पर चीन और यूरोपिय महासंघ के बीच लगातार विवाद होता देखा गया था। लेकिन, चीन विरोधी आक्रामक भूमिका अपनाने से महासंघ दूर रहा है। जर्मनी और फ्रान्स जैसे प्रमुख देशों के राष्ट्राध्यक्ष ने किए चीन के दौरे में भी व्यापारीक संबंधकों पर अधिक जोर दिया गया था। इस वजह से महासंघ फिर एक बार चीन को लेकर सौम्य भूमिका अपनाएगा, ऐसी चर्चा माध्यमों में शुरू हुई थी।

इस पृष्ठभूमि पर नाटो के पूर्व प्रमुख रासमुसेन ने यूरोपिय महासंघ के नेतृत्व के कान खींचकर भविष्य के संकट की ओर ध्यान आकर्षित किया है। आर्थिक सहयोग पर बोलते समय झिंजियांग, व्यापारीक हितसंबंधों को अधिक अहमियत देकर चीन के खतरे को अनदेखा करना यूरोप के लिए महंगा साबित होगा - नाटो के पूर्व प्रमुख की यूरोपिय महासंघ को चेतावनीहाँगकाँग और ताइवान के मुद्दे को अनदेखा करना महासंघ के नेतृत्व के लिए संभव नहीं होगा, ऐसा इशारा रासमुसेन ने दिया। चीन ने ताइवान पर हमला करके कब्ज़ा किया तो यूरोपिय देशों को इसके बड़े खतरनाक परिणाम भुगतने पड़ेंगे, ऐसे स्पष्ट शब्दों में उन्होंने आगे के संकट का अहसास कराया है।

अमेरिका ने ताइवान के मुद्दे पर पुख्ता भूमिका अपनाई है, लेकिन, यूरोपिय महासंघ के पास इसकी कमी दिखती है, ऐसी फटकार नाटो के पूर्व प्रमुख ने लगाई। यूरोप के कुछ नेता ताइवान के पक्ष में भूमिका अपना रहे हैं, फिर भी महासंघ का नेतृत्व साथ मिलकर ऐसा करते दिख नहीं रहा है, ऐसा कहकर रासमुसेन ने अपनी नाराज़गी व्यक्त की। बीजिंग में आयोजित परिषद में ताइवान के मुद्दे पर मौन रखा तो ऐसा करना आगे यूरोप के लिए महंगा साबित होगा, यह इशारा भी उन्होंने दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published.