हॉंगकॉंग में हुए उघुरवंशियों के समर्थन प्रदर्शन

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरहॉंगकॉंग – छह महीनों से अधिक समय से चीन की शासक कम्युनिस्ट पार्टी को चुनौती दे रहे हॉंगकॉंग के प्रदर्शनों ने अपना दायरा बढाने की गतिविधियां तेज की है| रविवार के दिन हॉंगकॉंग के प्रदर्शनकारियों ने चीन से उत्पीडीत हुए उघुरवंशियों का मुद्दा उठाया और हॉंगकॉंग उघुरवंशियों के साथ खडा है, यह संदेशा भी दिया| हॉंगकॉंग के प्रदर्शनकारियों की यह कृति चीन को और भी उकसानेवाली साबित होगी, यह दावा विश्लेषक कर रहे है|

पिछले महीने में हॉंगकॉंग में हुए स्थानिय चुनावों में जनतांत्रिक गुटों ने विक्रमी और ऐतिहासिक जीत प्राप्त की थी| इसके साथ ही अमरिका ने हॉंगकॉंग के मुद्दे पर कानून को दी हुई मंजुरी शहर के जनतांत्रिक प्रदर्शनों को और भी बल प्रदान करनेवाली साबित हुई थी| इस वजह से चीन की हुकूमत और हॉंगकॉंग का चीन समर्थक प्रशासन कडी कार्रवाई की धमकी दे रहे है, फिर भी हॉंगकॉंग के प्रदर्शकोंने अपने प्रदर्शन आगे भी जारी रखने का संकल्प किया था

प्रदर्शन शुरू रखने के साथ ही चीन की हुकूमत के विरोध में हो रहा संघर्ष और तीव्र करने के लिए अलग अलग प्लैन करने के संकेत भी दिए गए थे| रविवार के दिन हॉंगकॉंग के प्रदर्शनकारियों ने उघुरवंशियों का मुद्दा उठाकर अपनी झांकी दिखाई| इस दौरान वर्ष १९४९ से चीन अपनी ही जनता पर कैसे अत्याचार कर रहा था, यह बात सामने रखकरहॉंगकॉंगभी ऐसे ही उत्पीडन का हिस्सा हो सकता है, यह दावा प्रदर्शनकारियों ने किया|

पिछले कुछ वर्षों में चीन को उघुरवंशियों के मुद्दे पर लगातार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना का सामना करना पडा है| संयुक्त राष्ट्रसंघ समेत जागतिक स्तर की कई संस्था और प्रमुख देशों ने इस मुद्दे पर चीन को फटकार लगाई है| चीन के झिंजिआंग प्रांत में रहनेवाले लगभग ११ लाख उघुरवंशी इस्लाम धर्मिय लोगों पर अत्याचार करने का आरोप भी चीन पर लगाया गया है| इस मुद्दे को लेकर अमरिका ने भी चीन पर प्रतिबंध लगाए है|

ऐसी स्थिति में हॉंगकॉंग की जनता ने यह मुद्दा सामने रखना चीन के नेताओं के लिए नया सीरदर्द साबित हो सकता है| पिछले छह महीनों से शुरू प्रदर्शन कुचलने में कायमाबी ना मिलने से चीन के नेताओं में पहले से ही बेचैनी का माहौल बना है| ऐसे में अब हॉंगकॉंग के प्रदर्शनकारियों ने उघुरवंशी इस्लामधर्मियों पर चीन में हो रहे अत्याचारों का मुद्दा उठाकर चीन को और भी उकसाने की कोशिश की है, यह दावा विश्लेषक कर रहे है|

हॉंगकॉंग में पिछले छह महीनों से हो रहे प्रदर्शनों में प्रमुखता से छात्र और युवकों का समावेश रहा है| पर, अब इन प्रदर्शनों में अन्य उम्र के लोग?भी शामिल हो रहे है और यह बदलाव हॉंगकॉंग की चीन समर्थक प्रशासन और चीन में हुकूमत कर रहे नेताओं की कठिनाईयों में बढोतरी करनेवाला है|

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