१०६. हायटेक संशोधन-विकास का मूलमंत्र

इस्रायल ने विज्ञान-तंत्रज्ञान क्षेत्र के संशोधन में की प्रगति का हम जायज़ा ले रहे हैं|

सन १९४८ में जब इस्रायल आज़ाद हुआ, उस समय रहनेवाले हालातों को मद्देनज़र करते हुए, ‘क्या यह देश टिक सकेगा’, ऐसी ही आशंका किसी के भी मन में उठना स्वाभाविक ही था| लेकिन यह देश केवल टिका ही नहीं, बल्कि आज़ादी मिलने के बाद के गत लगभग ७० सालों की कालावधि में – जीवनस्तर (‘स्टँडर्ड ऑफ लिव्हिंग’), प्रतिव्यक्ति आय (‘पर-कॅपिटा जीडीपी’), अभिनव संकल्पनाएँ ढूँढ़नेवाले देश (‘ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स’) ऐसीं कई जागतिक सूचियों में इस्रायल का नंबर हर साल लगातार ऊपर जाता दिखायी दे रहा है| इसका प्रमुख कारण, विज्ञान-तंत्रज्ञान के संशोधन-विकास क्षेत्र में इस्रायल ने पकड़ा हुआ ज़ोर, यही है|

इस्रायल के जन्म से लेकर आज तक के उसके इस प्रवास को मोटे तौर पर २ भागों में बॉंटा जा सकता है| दुनिया के कुल मिलाकर ‘ट्रेंड’ के अनुसार, १९९० के दशक तक साधारणतः विज्ञान का उपयोग करके विभिन्न क्षेत्रों में नये नये आविष्कारों की खोज होती रही| लेकिन बाद के दौर में तंत्रज्ञान में हो रही प्रचंड प्रगति के कारण, इस विज्ञान का उपयोग कर उच्चतंत्रज्ञान में संशोधन एवं विकास तेज़ी से होने लगा था| ख़ासकर सन १९८९ में हुए सोव्हिएत युनियन के विघटन के बाद अगले दशक भर में वहॉं से जो लाखों ज्यू स्थलांतरित इस्रायल लौटने लगे, उनमें संशोधक, इंजिनियर्स ऐसे उच्चशिक्षितों की संख्या अधिक थी| उससे भी इस्रायल में संशोधन की रफ़्तार तेज़ होने में मदद हुई|

इस्रायलस्थित संशोधन का एक प्रमुख केंद्र – वाईझमन इन्स्टिट्युट ऑफ सायन्स

इस्रायल के जन्म से पहले से ही विभिन्न क्षेत्रों में जो संशोधन शुरू हुआ था, उसका फ़ायदा इस्रायल को जन्म से ही प्राप्त हुआ| लेकिन किसी भी क्षेत्र में हुआ संशोधन यह हालॉंकि उपयोगी ही होता है, लेकिन महज़ ढ़ीले-बिखरे स्वरूप में अलग अलग संशोधन करने के बजाय, यदि उनका एक-दूसरे के साथ जितना हो सके उतना समग्रतापूर्वक संबंध स्थापित किया जा सका, तो ही उनका अधिक से अधिक अच्छा इस्तेमाल कर सकते हैं, यह बात इस्रायली नेताओं ने पहचानी और इन सभी संशोधनों का सुसूत्रीकरण करने की दृष्टि से गतिविधियॉं शुरू कीं|

साथ ही, संशोधन चाहे कितना भी अच्छा क्यों न हों, उसे केवल ‘संशोधन’ स्तर पर ही रख नहीं सकते; बल्कि उसका जनसामान्यों के लिए उपयोग होना भी आवश्यक होता है और उसके लिए महत्त्वपूर्ण है उद्योगक्षेत्र| इसपर ग़ौर करके इस्रायली सरकार ने अपनी नीतियों में आमूलाग्र बदलाव किये|

संशोधनकेंद्र और उद्योगक्षेत्र इनमें निरन्तर संपर्क बना रहें इसलिए विभिन्न युनिव्हर्सिटीज़् में ‘युनिव्हर्सिटी रिसर्च अँड डेव्हलपमेंट फाऊंडेशन्स’ की स्थापना की गयी| युनिव्हर्सिटी के संशोधक दुनिया में उनके अपने क्षेत्र में चल रहीं गतिविधियों से सदैव परिचित कैसे रहेंगे, साथ ही, उनके अभिनव संशोधन ये मार्केट में व्यवहार्य रूप में कैसे जाये जा सकते हैं, इसका खयाल ये फाऊंडेशन्स रखते हैं|

उसीके साथ, युनिव्हर्सिटीज् में चलनेवाले संशोधन का उपयोग व्यवहारिक दृष्टि से कर सकें इसके लिए, संभवतः युनिव्हर्सिटीज् के आसपास ही सायन्स-बेस्ड इंडस्ट्रियल पार्क्स का निर्माण किया गया|

इन विभिन्न संशोधनों में और उनपर आधारित प्रोजेक्ट्स में सुसूत्रीकरण (कोऑर्डिनेशन) होने के लिए ‘नॅशनल काऊन्सिल फॉर रिसर्च अँड डेव्हलपमेंट’ (एनसीआरडी) का निर्माण किया गया| देश में चल रहे विज्ञान-तंत्रज्ञान के संशोधन-विकासकार्य का निरन्तर जायज़ा लेते रहना और राष्ट्रीय उद्देशों की आपूर्ति करने की दृष्टि से उसमें होनेवाले बलस्थानों की और कमियों की सूचि बनाकर, उसके अनुसार नीति मेंआवश्यक सभी फेरफार करने की सूचना करना यह एनसीआरडी का कार्य है|

साथ ही, ‘संशोधन और अभिनवता’ को ‘पूँजीनिवेश और मार्केटिंग’ के साथ जोड़ने के लिए; अर्थात् संशोधनक्षेत्र तथा उद्योगक्षेत्र ये एक-दूसरे के लिए अधिक से अधिक पूरक साबित होने के लिए – कृषि, दूरसंचार, रक्षा, ऊर्जा, स्वास्थ्य, उद्योग, व्यापार ऐसे कई सरकारी डिपार्टमेंट्स में ‘चीफ सायंटिस्ट’ इस पद का निर्माण किया गया|

वैज्ञानिक, संशोधक, इंजिनियर्स, उद्योजक, साथ ही विभिन्न डिपार्टमेंट्स के ‘चीफ सायंटिस्ट्स’ सदस्य होनेवाला यह ‘एनसीआरडी’, सरकार को विज्ञान नीति निश्‍चित करने के लिए और विभिन्न प्राथमिकताएँ निश्‍चित करने में सहायता करता है|

रिमूव्हेबल स्टोरेज क्षेत्र में अग्रसर मानी जानेवाली सॅनडिस्क कंपनी का इस्रायलस्थित संशोधन-विकास केंद्र

वहीं, निजी क्षेत्र में भी संशोधन को बढ़ावा कैसे मिलेगा, इससे संबंधित योजनाएँ ‘चीफ सायंटिस्ट’ बनाते हैं| अपने अपने डिपार्टमेंट के क्षेत्र में नयीं नयीं संकल्पनाएँ खोजना, उनमें से अच्छी कल्पनाओं का चयन कर उनपर संशोधन-विकास को प्रोत्साहन देना और अच्छी संकल्पनाओं का रूपांतरण व्यवहार्य उत्पादनों में करने के लिए आवश्यक निधि देश-विदेशों से प्राप्त करना, ये चीफ सायंटिस्ट के काम हैं|

जैसा कि सारी दुनिया में देखा जाता है, इस्रायल में भी युनिव्हर्सिटीज् के विभिन्न डिपार्टमेंट्स ये ही विज्ञान-तंत्रज्ञान संशोधन के प्रमुख केंद्र हैं| इस्रायली सरकार भी उसके महत्त्व को जानकर इन युनिव्हर्सिटीज् के संशोधनों पर सालाना लगभग २५-३० करोड़ डॉलर्स खर्च करती है| लेकिन उसीके साथ, अब निजी स्तर पर के उद्योगक्षेत्र में भी इस विज्ञान-तंत्रज्ञान संशोधन-विकास ने अच्छाख़ासा ज़ोर पकड़ा है और उसके ज़रिये लाखों इस्रायली नागरिकों को रोज़गार के अवसर उपलब्ध हो चुके हैं|

विज्ञान-तंत्रज्ञान क्षेत्र में अग्रसर मानी जानेवालीं कई बहुराष्ट्रीय बड़ीं विदेशी कंपनियों के संशोधन-विकास केंद्र इस्रायल में हैं|

इस्रायल में विभिन्न क्षेत्रों के संशोधन-विकास के लिए समर्पित तक़रीबन १८०० से भी अधिक कंपनियॉं हैं| कई जागतिक बहुराष्ट्रीय कंपनियों के संशोधन-विकास केंद्र इस्रायल में भी हैं|

आज के ज़माने में तंत्रज्ञानप्रगति के अहम पड़ाव माने जानेवालीं – सेलफोन (मोटोरोला), सेन्ट्रिनो प्लॅटफॉर्म (इंटेल), पेन ड्राईव्ह, किंडल प्लॅटफॉर्म (ऍमॅझॉन), आयसीक्यू चॅट, विन्डोज् ऑपरेटिंग सिस्टिम का अहम हिस्सा (मायक्रोसॉफ्ट) ऐसीं कई बातें उनके सामने ब्रॅकेट्स में लिखीं बहुराष्ट्रीय कंपनियों के इस्रायलस्थित संशोधन-विकास केंद्रों में तैयार हुईं हैं|

यह सबकुछ देखने के बाद सवाल उठता है कि जिसका अस्तित्व तक टिकेगा या नहीं ऐसी आशंका जतायी जा रही थी, वह इस्रायल विज्ञान-तंत्रज्ञान में इतना प्रगत (ऍडवान्स्ड) कैसे हुआ?

इसका जवाब हायटेक संशोधन-विकास के मूलमंत्र को जान गयी सरकार की नीतियों में छिपा है|(क्रमश:)

– शुलमिथ पेणकर-निगरेकर

 

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