पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी न्यायालय ने हफीज सईद को सुनाई 32 साल के कारावास की सज़ा

इस्लामाबाद – पाकिस्तान में बहुत बड़े पैमाने पर राजकीय उथल-पुथल हो रही है कि तभी इस देश के आतंकवाद विरोधी न्यायालय ने उल्लेखनीय फैसला सुनाया। मुंबई पर हुए 26/11 के हमले का सूत्रधार होनेवाले हफीज सईद को, आतंकवाद विरोधी न्यायालय ने अन्य दो मामलों में 32 साल के कारावास की सजा सुनाई है। इससे पहले आतंकवाद से संबंधित पाँच मामलों में हफीज सईद को 36 साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी। इससे हफीज सईद के कारावास की अवधि 68 सालों पर गई है ।

लाहोर के आतंकवाद विरोधी न्यायालय ने सुनाई इस सजा की ख़बर भारतीय माध्यमों में चर्चा में रही। 26/11 के आतंकवादी हमले में होनेवाले हफीज सईद के सहभाग के सबूत भारत ने पाकिस्तान को सौंपे थे। लेकिन पाकिस्तान के न्यायालय ने ये सबूत अमान्य किये। लेकिन अन्तर्राष्ट्रीय दबाव के चलते हफीज सईद को दूसरे मामलों में उलझाकर, वह कारावास में रहेगा, इसका प्रबंध पाकिस्तान ने किया था। एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने की जान तोड़ कोशिश कर रहे पाकिस्तान ने, हफीज सईद पर अन्य अपराधों के आरोप दर्ज करके अपनी छवि सुधारने की कोशिश शुरू की है।

कुछ साल पहले पाकिस्तान में सिर उठाकर घूमफिरकर भारत को धमकियाँ देने वाला सईद हालांकि फिलहाल जेल में है, फिर भी भारत ने उस पर की जा रही कार्रवाइयों पर हमेशा ही शक ज़ाहिर किया था। हफीज सईद को जेल में रखकर पाकिस्तान की सरकार और सेना उसे रक्षा प्रदान कर रही है, ऐसा भारत ने कहा है। जेल में होनेवाले पाकिस्तान के आतंकवादियों को पूरी तरह आजादी दी जाती है। उनका कारावास यह केवल दुनिया को दिखाने के लिए होता है, ऐसा दोषारोपण भारत ने इससे पहले किया था।

पिछले महीने में ही भारत के एनआईए के न्यायालय ने हफीज सईद, सय्यद सलाहुद्दीन समेत कश्मीरी आतंकवादी नेताओं के विरोध में आरोप पत्र दाखिल करा लिया था। उस पृष्ठभूमि पर, पाकिस्तान ने हफीज सईद के विरोध में की यह कार्रवाई दुनिया का ध्यान आकर्षित कर रही है। इसके जरिए अपनी छवि सुधारकर, अपना देश कानून के मुताबिक चलता है, यह दिखाने की कोशिश पाकिस्तान कर रहा है।

हफीज सईद के सिर पर अमरीका ने लगभग एक करोड़ डॉलर्स का इनाम रखा था। यह अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवादी होने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र संघ ने की थी। फिर भी पाकिस्तान ने हफीज सईद पर कठोर कार्रवाई करना टाला था। इसी कारण सईद को अब सुनाई गई कारावास की सज़ा पर भी सवाल उपस्थित हो रहे हैं।

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