तुर्की सरकार और जनता की तरफ से सोने के निवेश में बड़ी बढ़ोत्तरी

इस्तांबुल: पिछले साल तुर्की में राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन के खिलाफ हुई लष्करी बगावत असफल होने के बाद, एर्दोगन ने इसके पीछे अमरिका में रह रहे फेतुल्लाह गुलेन इस धर्मगुरु का हाथ होने का आरोप किया था। गुलेन को अमरिका समर्थन दे रहा है ऐसा दावा करते हुए, एर्दोगन ने तुर्की जनता को अमरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने का आवाहन किया था। इस पृष्ठभूमि पर तुर्की जनता और मध्यवर्ती बैंक की तरफ से करीब ४७ टन सोना ख़रीदे जाने की जानकारी सामने आयी है।

तुर्की की बगावत के बाद देश की अर्थव्यवस्था को बड़े पैमाने पर झटका लगना शुरू हुआ था। तुर्की की मुद्रा लिरा का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मूल्य भी बड़े पैमाने पर गिरना शुरू हुई थी। इस पृष्ठभूमि पर राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने तुर्की जनता को उनकी बचत सोने में निवेश करने का और अमरिकी डॉलर का इस्तेमाल टालने का आवाहन किया था। इस आवाहन को तुर्की की जनता ने अच्छा समर्थन दिया है, इस की जानकारी नए आंकड़ों से सामने आयी है।

तुर्की जनता ने इस साल १७ टन सोना खरीद ने की बात सामने आयी है। इस में सोने की इटें और सिक्कों का भी समावेश है, जिससे सोने मे निवेश बढने की बात स्पष्ट हुई है। तुर्की जनता सोने की तरफ मुड़ रही है, ऐसे में राष्ट्रीय स्तर पर देश के मध्यवर्ती बैंक ने भी सोने की खरीदारी में बढ़ोत्तरी करने की बात सामने आयी है।

तुर्की के मध्यवर्ती बैंक ने इस साल में अब तक करीब ३०.४ टन सोना ख़रीदा है। १९८० के बाद एक ही साल में सोने की इतने बड़े पैमाने पर खरीदारी करने की तुर्की की यह पहली बारी है। इस खरीदारी के बाद तुर्की में सोने के आरक्षित भंडारों की संख्या ४८० टन तक पहुंची है। सोने के सर्वाधिक आरक्षित भंडार वाले देशों में तुर्की ११ वे स्थान पर है।

तुर्की के अलावा रशिया, चीन और कझाकस्तान जैसे देशों ने भी इस साल सोने की बड़े पैमाने पर खरीदारी करने की बात सामने आयी है। रशिया और चीन अमरिकी डॉलर को विकल्प निर्माण करने की कोशिश कर रहे हैं, उसके लिए सोने के आरक्षित भंडार में बढ़ोत्तरी कर रहे हैं। चीन ने देश में सोने का व्यवहार करने वाले स्वतंत्र एक्सचेंज भी स्थापन किए हैं।

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