चीन में विदेशी निवेश का तीन दशकों का निच्चांक – वर्ष २०२२ की तुलना में ८२ प्रतिशत गिरावट

बीजिंग – चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने प्रौद्योगिदी और अन्य क्षेत्र की कंपनियों पर चलाया दंड़ा, विदेशी कंपनियों के लिए मुश्किले खड़ी कर रहे नए नियम और अमेरिका के प्रतिबंधों की पृष्ठभूमि पर विदेशी निवेशकों ने चीन को पीठ दिखाई है। रविवार को चीन के व्यापार मंत्रालय ने जारी किए आंकड़ों से इसकी पुष्टि हो रही है। वर्ष २०२३ के दौरान चीन में सीर्फ ३३ अरब डॉलर डायरेक्ट विदेशी निवेश किया गया है और ह पिछले तीन दशकों का निच्चांक है।

पिछले महीने चीन की अर्थव्यवस्था की गिरावट होने का वृत्त सामने आया था। ‘नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स’ ने चीनी अर्थव्यवस्था का विकास दर ५.२ प्रतिशत होने की जानकारी साझा की थी। चीन में विदेशी निवेश का तीन दशकों का निच्चांक - वर्ष २०२२ की तुलना में ८२ प्रतिशत गिरावटयह वष १९९० के बाद का एक नीच्चांक होने की ओर विश्लेषकों ने ध्यान आकर्षित किया था। कुछ पश्चिमी अभ्यास गुट और रिसर्च ग्रुप्स ने चीन की अर्थव्यव्था का विकास दर महज डेढ़ प्रतिशत होने का दावा किया था। साथ ही चीन के शेअर बाजार में पिछले दो सालों के दौरान छह ट्रिलियन डॉलर से भी अधिक नुकसान होने की जानकारी स्पष्ट हुई थी।

एक के बाद एक सामने आयी इस जानकारी के कारण चीन की अर्थव्यवस्था बड़े संकट में होने के संकेत प्राप्त हुए थे। रविवार को चीन के ‘स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ फॉरिन एक्सचेंज’ (सेफ) ने जानकारी साझा करने के बाद इसकी फिर से पुष्टि हुई है। वर्ष २०२३ में विदेशी निवेशकों ने चीन में सीर्फ ३३ अरब डॉलर का निवेश करने का ऐलान ‘सेफ’ ने किया है। वर्ष २०२१ में चीन में ३४३ अरब डॉलर और वर्ष २०२२ में करीबन १७० अरब डॉलर निवेश किया गया था। लेकिन, इस वर्ष निवेश में ८० प्रतिशत से भी ज्यादा निगरावट होने की जानकारी सामने आयी है।

डायरेक्ट विदेशी निवेश की हुई इस गिरावट के पीछे पश्चिमी निवेशकों का खत्म हुआ भरोसा प्रमुख वजह होने की बात कही जा रही है। पिछले कुछ सालों में चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने ‘रिअल इस्टेट’ सहित प्रौद्योगिकी क्षेत्र पर कार्रवाई का ड़ंडा चलाया था। इसके बाद चीन की संसद ने जासूसी संबंधित बनाए नए कानून में विदेशी कंपनियों को लक्ष्य किया गया था। दूसरी ओर ताइवान, तिब्बत एवं रशिया के मुद्दे पर अमेरिका और यूरोपिय देशों ने चीन पर प्रतिबंध लगाना शुरू किया है। इससे विदेशी निवेशकों में बेचैनी है और चीन में किया निवेश वापस लेने पर चीन के निवेशक जोर दे रहे हैं।

दो दिन पहले ही चीन के विदेश मंत्री वैंग यी ने चीन को वैश्विक अर्थव्यवस्था से बाहर नहीं कर सके और ऐसा करना ऐतिहासिक भूल साबित होगी, ऐसी धमकी दी थी। इसके पीछे पश्चिमी देशों सहित निवेशकों ने चीन की निर्भरता कम करने के लिए उठाये कदम और उसेस बनी बेचैनी वजह होने की बात कही जा रही है।

पिछले दशक तक तेज़ आर्थिक प्रगति करने के दावे कर रही चीनी अर्थव्यवस्था फिलहाल गोते खाते दिख रही है। अमेरिका विरोधी व्यापार युद्ध और कोरोना के फैलाव की पृष्ठभूमि पर चीन की अर्थव्यवस्था की कमज़ोरी स्पष्ट हुई है। चीन ने लगभग तीन दशकों से चलाया आर्थिक प्रगति के मोड्युल का अन्त होने के दावे भी पश्चिमी माध्यम और विश्लेष कर रहे हैं। पिछले साल की गिरावट के कारण अर्थव्यवस्था जल्द समय में सामान्य होने की संभावना खत्म होने का अहसास भी विश्लेषकों ने किया है।

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