पोलैण्ड पर कार्रवाई नहीं की गई तो यूरोपिय महासंघ बिखर जाएगा – महासंघ के वरिष्ठ अधिकारी का इशारा

ब्रुसेल्स/वार्सा – पोलैण्ड द्वारा यूरोपिय महासंघ को दी गई चुनौती का प्रत्युत्तर नहीं दिया गया तो यूरोपिय महासंघ बिखर जाएगा, ऐसा गंभीर इशारा महासंघ के वरिष्ठ अधिकारी वेरा जुरोवा ने दिया है। बीते कुछ महीनों में ‘ब्रेक्ज़िट’ के मुद्दे पर ब्रिटेन और महासंघ के बीच लगातार विवाद चल रहा है। साथ ही हेंगरी जैसे कुछ देश महासंघ की कार्यपद्धति पर नाराज़ होने की बात भी सामने आयी है। इस पृष्ठभूमि पर पोलैण्ड की चुनौती की वजह से महासंघ में बेचैनी बढ़ी है और वरिष्ठ अधिकारी का यह इशारा उसी का हिस्सा होने की बात दिख रही है।

eu-poland-2यूरोपिय महासंघ पोलैण्ड पर अतिरिक्त अधिकार जताने की कोशिश कर रहा है, ऐसा आरोप पोलैण्ड की शासक ‘लॉ ऐण्ड जस्टिस पार्टी’ लगातार लगा रही है। इन्हीं आरोपों की पृष्ठभूमि पर पोलैण्ड के प्रधानमंत्री मैटेस्झ मोराविकी ने देश के उच्चतम अधालत में याचिका दायर की थी। इस पर पोलैण्ड की संवैधानिक अदालत ने निर्णय दिया है। पोलैण्ड की इस अदालत ने यूरोपिय महासंघ के समझौते में दर्ज़ प्रावधान पोलैण्ड के नियमों से मेल नहीं खाते, यह बयान किया है। सदस्य देश द्वारा महासंघ के कानूनी दायरे को सरेआम चुनौती देने की यह पहली ही घटना मानी जाती है।

इस चुनौती की वजह से पोलैण्ड महासंघ से ‘एक्ज़िट’ करेगा, इस चर्चा ने जोर पकड़ा था। महासंघ इस पर लगातार तीव्र प्रतिक्रिया दर्ज़ कर रहा है और वरिष्ठ अधिकारी वेरा जुरोवा का इशारा इसी प्रतिक्रिया का हिस्सा है। ‘पोलैण्ड के संवैधानिक अदालत के निर्णय से एक नया चरण शुरू होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इसी वजह से इसके खिलाफ कार्रवाई करना अहम है। यूरोपिय महासंघ के नियमों का समानतत्व का महासंघ के सभी सदस्य देशों द्वारा पालन करना आवश्‍यक है। ऐसा नहीं हुआ तो महासंघ बिखरने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी’, ऐसा इशारा महासंघ के वेरा जुरोवा ने दिया है।

eu-poland-1बीते कुछ वर्षों में पोलैण्ड और महासंघ के बीच अलग-अलग मुद्दों पर विवाद होने की बात भी सामने आ रही है। पोलैण्ड के शासक परंपरागत यूरोप का प्रतिनिधित्व करते हैं और महासंघ की उदार विचारधारा का विरोध कर रहे हैं। माध्यमों की स्वतंत्रता से शरणार्थियों तक के कई मुद्दों पर महासंघ ने अपनाई नीति को लेकर पोलैण्ड ने स्पष्ट नाराज़गी जताई थी। सदस्य देश को प्राप्त होनेवाली आर्थिक सहायता अन्य मुद्दों से जोड़ने के लिए भी पोलैण्ड ने विरोध दर्शाया है और यह भी फिलहाल बड़ा अहम मुद्दा बना हुआ है।

पोलैण्ड ने वर्ष २००४ में महासंघ की सदस्यता प्राप्त की है और सेंट्रल यूरोप के प्रमुख सदस्य देश के तौर पर पहचाना जाता है। पोलैण्ड की अर्थव्यवस्था महासंघ के अन्य सदस्य देशों से बड़ी मात्रा में जुड़ गई है। इस पृष्ठभूमि पर पोलैण्ड ने अलग होने का निर्णय किया तो इन देशों की अर्थव्यवस्था बिखर सकती है, यह दावा विश्‍लेषक कर रहे हैं। साथ ही पोलैण्ड की जनता ने महासंघ से बाहर होने से इन्कार करने की बात अलग-अलग सर्वेक्षणों से सामने आयी है और इसी हफ्ते पोलैण्ड में महासंघ के समर्थन में एक रैली के आयोजन की बात भी सामने आयी है।

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