‘ब्रेक्ज़िट बिल’ के मसले पर ब्रिटेन और यूरोपिय महासंघ में तनाव

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लंदन/ब्रुसेल्स – यूरोपिय महासंघ से बाहर होने के बाद ब्रिटेन से महासंघ को अदा हो रही रकम के मुद्दे पर नया विवाद शुरू हुआ है। यूरोपिय महासंघ ने यह इशारा दिया था कि, अगले कुछ वर्षों के दौरान ब्रिटेन को ४७.५ अरब यूरो अदा करने होंगे। लेकिन, ब्रिटेन ने दावा किया है कि, यूरोपिय महासंघ अधिक रकम माँग रहा है और भुगतान करने की असल रकम कम है। बीते कुछ महीनों में कोरोना की वैक्सीन, मछली पकड़ने का मुद्दा, नॉर्दन आयर्लैंड एवं मांस उत्पादनों की निर्यात जैसे मुद्दों पर ब्रिटेन और महासंघ के बीच तनाव जारी था और अब ‘ब्रेक्ज़िट बिल’ के विवाद पर इनका संघर्ष अधिक भड़कने के आसार दिखाई दे रहे हैं।

यूरोपिय महासंघ ने बीते महीने के अन्त में अकाउंटस्‌ की जानकारी सार्वजनिक की थी और इसमें यह ऐलान किया था कि, ब्रिटेन को महासंघ को ४७.५ अरब यूरो देने होंगे। लेकिन, महासंघ का यह दावा ब्रिटेन ने ठुकराया है। ‘महासंघ की माँग हमें स्वीकार नहीं है। यह रकम उनके अनुमान पर तय की गई है। इसमें महासंघ से ब्रिटेन को प्राप्त होनेवाली निधी का ज़िक्र ही नहीं है। इस रकम का विचार किया जाए तो ब्रिटेन को काफी कम रकम चुकानी पड़ेगी। ब्रिटेन को यूरोपिय महासंघ को ४१ से ४५ अरब यूरो चुकाने पड़ेंगे और इससे संबंधित जानकारी जल्द ही संसद में रखी जाएगी’, ऐसा ब्रिटीश प्रवक्ता ने कहा है।

Brexit-bill-UK-EU-02-300x169लेकिन, ब्रिटेन की इस भूमिका पर यूरोपिय महासंघ ने प्रतिक्रिया दर्ज़ की है। ‘महासंघ ने घोषित की हुई रकम अंतिम है और इसमें बदलाव नहीं होगा। यह आँकड़े ब्रिटेन के साथ किए गए समझौते के आधार पर तय किए गए हैं। हमने इस मसले की पूरी जानकारी ब्रिटीश सरकार से साझा की है। ब्रिटेन ने देय रकम की पहली किश्‍त अदा की है और अब इसके आगे इस मुद्दे पर कोई भी चर्चा नहीं होगी या रकम में बदलाव होने का सवाल ही नहीं बनता’, ऐसा प्रत्युत्तर महासंघ के प्रवक्ता बैलाज़स्‌ उज्वारी ने दिया है।

Brexit-bill-UK-EU-300x200ब्रिटेन में इस मुद्दे पर माहौल गरमाना शुरू हुआ है और सत्तापक्ष के सदस्यों ने यूरोपिय महासंघ पर जोरदार आलोचना करना शुरू किया है। महासंघ ब्रिटेन को निचोड़कर पूरी रकम वसूलने की कोशिश कर रहा है, ऐसी नाराज़गी एँड्य्रू ब्रिजन ने व्यक्त की है। यह विवाद अधिक बिगड़ा तो महासंघ के साथ किए समझौते से ब्रिटेन बाहर निकले, इस माँग को बल प्राप्त होगा, यह इशारा भी उन्होंने दिया। ब्रिटेन के सत्तापक्ष ने प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन से यह माँग की है कि, इस मामले पर पुख्ता भूमिका अपनाएँ और इसमें बदलाव ना करें।

ब्रिटेन द्वारा महासंघ को हर वर्ष अदा होनेवाली रकम का विषय ‘ब्रेक्ज़िट’ की मुहिम का प्रमुख मुद्दा था। ‘ब्रेक्ज़िट’ का समर्थन कर रहे गुटों ने महासंघ से बाहर निकलने के बाद ब्रिटेन को सालाना बड़ी रकम अदा करनी नहीं पड़ेगी, यह दावा किया था। ‘ब्रेक्ज़िट’ के लिए किए गए अंतिम समझौते में सहमति से ब्रिटेन ने कुछ रकम अदा करना तय किया था, फिर भी सोच समझकर यह रकम तय की जाएगी, यह स्पष्ट किया गया था।

लेकिन, अब इसी मसले पर विवाद होने लगा है और ‘ब्रेक्ज़िट’ के विषय पर निर्माण हुआ तनाव अब अधिक तीव्र होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

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