यूरोपिय महासंघ को कानूनी चुनौती देने के बाद पोलैण्ड में ‘एक्ज़िट’ की चर्चा हुई तेज़

Poland-Exitवार्सा – ‘ब्रेक्ज़िट’ के मुद्दे पर यूरोपिय महासंघ और ब्रिटेन के बीच तनाव अधिक बढ़ रहा है और इसी बीच पोलैण्ड की ‘एक्ज़िट’ की जोरदार चर्चा शुरू हुई है। पोलैण्ड की संवैधानिक अदालत ने बीते हफ्ते यूरोपिय महासंघ के समझौते के प्रावधान पोलैण्ड के नियमों से मेल नहीं खाते, यह निर्णय दिया था। इस निकाल का पोलैण्ड के प्रधानमंत्री मैटेस्ज़ मोराविकी और शासक पार्टी ने समर्थन किया है। साथ ही महासंघ के नेता, यूरोपिय संसद एवं पोलैण्ड के विपक्षी दलों ने इसके खिलाफ तीव्र प्रतिक्रिया दर्ज़ की है। इस पृष्ठभूमि पर पोलैण्ड भी महासंघ से बाहर निकलने की संभावना जताई जा रही है और माध्यमों के साथ राजनीतिक दायरे में भी इसकी बड़ी चर्चा शुरू हुई है।

पोलैण्ड की शासक ‘लॉ ऐण्ड जस्टिस पार्टी’ संविधान एवं न्यायीक यंत्रणा में कई सुधार कर रही है। साथ ही यूरोपिय महासंघ की शरणार्थी, प्रसार माध्यमों के अधिकार एवं अन्य कुछ मुद्दों की नीतियों का पोलैण्ड ने विरोध किया है। यूरोपिय महासंघ पोलैण्ड पर अतिरिक्त अधिकार जताने की कोशिश कर रहा है, यह आरोप भी शासक पार्टी ने लगाया है। इसी पृष्ठभूमि पर सरकार ने पोलैण्ड की संवैधानिक अदालत में यूरोपिय महासंघ के अधिकारों को लेकर एक मुकदमा दायर किया था।

गुरूवार के दिन इस पर पोलैण्ड की अदालत ने यह निर्णय दिया कि, यूरोपिय महासंघ के नियमों को प्राथमिकता देने की ज़रूरत नहीं है। महासंघ के समझौते के कुछ प्रावधान भी पोलैण्ड के संविधान से मेल नहीं खाते, ऐसा अदालत ने अपने निर्णय में कहा है। पोलैण्ड के न्यायाधीश ने यूरोपिय महासंघ के नियमों का इस्तेमाल करके अपने सहयोगियों के निर्णय से इन्कार ना करें, यह आदेश भी दिए हैं। सदस्य देश ने महासंघ के नियमों के दायरे को सरेआम चुनौती देने की यह पहली घटना मानी जाती है।

अदालत के इस निर्णय का पोलैण्ड के प्रधानमंत्री मैटेस्ज़ मोराविकी और सत्ता पक्ष के नेताओं ने समर्थन किया है। ‘हमें अन्य देशों की तरह ही अधिकार हैं और इसका सम्मान किया जाए, यह हमारी माँग है। हमसे दुय्यम दर्जे के देश की तरह बर्ताव ना करें’, यह इशारा प्रधानमंत्री मैटेस्ज़ मोराविकी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। शासक पार्टी के कुछ प्रमुख नेताओं ने भी अदालत के इस आदेश का समर्थन किया है।

Mateusz-Morawieckiलेकिन, महासंघ में इस पर तीव्र प्रतिक्रिया दर्ज़ हुई है। फ्रान्स और जर्मनी ने संयुक्त निवेदन जारी करके यूरोपिय महासंघ के नियम और कानून का पोलैण्ड पालन करे, यह इशारा दिया है। यूरोपियन कमिशन ने अपने निवेदन में पोलैण्ड के निर्णय पर गंभीर चिंता जताई है। यूरोपियन संसद की उपाध्यक्षा कैटरिना बार्ली ने पोलैण्ड की आर्थिक सहायता रोकने की धमकी दी है। ऐसी पृष्ठभूमि पर पोलैण्ड के साथ महासंघ के राजनीतिक दायरे एवं माध्यमों में पोलैण्ड की ‘एक्ज़िट’ का मुद्दा उठा है।

पोलैण्ड ने वर्ष २००४ में महासंघ की सदस्यता प्राप्त की थी और सेंट्रल यूरोप के शीर्ष सदस्य देश के तौर भी पहचान बनाई है। पोलैण्ड के अन्य प्रमुख नेता डोनाल्ड टस्क ने महासंघ के वरिष्ठ अधिकारी के तौर पर भी कार्य किया है। पोलैण्ड की अर्थव्यवस्था महासंघ के अन्य सदस्य देशों से बड़े पयमाने पर जुड़ी हुई है। इस पृष्ठभूमि पर पोलैण्ड ने बाहर होने का निर्णय करने पर इनकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ढ़ह सकती है, ऐसा कहा जा रहा है। पोलैण्ड के शासक ‘एक्ज़िट’ के ज्यादा उत्साही नहीं हैं, बल्कि अलग अलग सर्वेक्षण से पोलिश जनता का भी इसे विरोध होने की बात सामने आयी है।

लेकिन, इसी दौरान बीते कुछ वर्षों में पोलैण्ड और महासंघ के बीच अलग अलग मुद्दों पर विवाद होने की बात भी सामने आ रही है। पोलैण्ड के शासक पारंपरिक यूरोप का प्रतिनिधित्व करते हैं और महासंघ की उदार विचारधारा का विरोध कर रहे हैं। माध्यमों की स्वतंत्रता से शरणार्थियों तक के कई मुद्दों से जुड़ी महासंघ की नीति पर पोलैण्ड ने स्पष्ट नाराज़गी जताई है। सदस्य देश को प्राप्त हो रही आर्थिक सहायता अन्य मुद्दों से जोड़ने के लिए भी पोलैण्ड ने विरोध किया है और यह भी फिलहाल विवाद का प्रमुख मुद्दा बना हुआ है। महासंघ को जताया जा रहा विरोध यानी शासक पार्टी ने ‘एक्ज़िट’ के लिए शुरू की हुई गतिविधियों का हिस्सा होने का दावा पोलैण्ड के विपक्षी दल कर रहे हैं।

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