तालिबान ने अपनाई सख्त नीति के कारण अफ़गानिस्तान में अफीम के उत्पादन में हुई ९९ प्रतिशत गिरावट

लंदन/संयुक्त राष्ट्र – पिछले वर्ष तालिबान की हुकूमत ने अफ़गानिस्तान में अफीम के उत्पाद पर रोक लगाने का ऐलान किया था। इसके बाद वहां पर अफीम के उत्पादन में ९९ प्रतिशत गिरावट हुई है। पिछले साल अफ़गानिस्तान के लगभग सवा लाख हेक्टर जमीन पर अफीम की खेती हो रही थी। लेकिन, तालिबान ने रोक लगाने के बाद अब एक हज़ार हेक्टर से भी कम जमीन का इस्तेमाल नशीले पदार्थों की खेती के लिए हो रहा है, ऐसी जानकारी लंदन स्थित ‘ऐल्कीस’ नामक गुट ने प्रदान की। 

अफीम के उत्पादनअफीम उत्पादन कम होने के साथ ही अफ़गानिस्तान में गेहूं का उत्पादन बढ़ने के मुद्दे पर भी इस गुट ने ध्यान आकर्षित किया है। इसी बीच तालिबान की हुकूमत में अफ़गानिस्तान में हुए इस बदलाव को संयुक्त राष्ट्र संघ ने अनदेखा किया है, ऐसी आलोचना रशियन वृत्तसंस्था ने किया है। उल्टा तालिबान के नेतृत्व में अफ़गानिस्तान में आतंकवाद बढ़ने का आरोप संयुक्त राष्ट्र संघ ने लगाया है।

अफ़गानिस्तान ही अमरीका और यूरोपिय देशों तक अफीम की निर्यात करे देश के तौर पर जाना जाता है। अफ़गानिस्तान में अमरिकी सेना तैनात थी तब तक इस देश में अफीम का उत्पादन भारी जोरों पर था। विश्व के ९० प्रतिशत अफीम की तस्करी सीर्फ अफ़गानिस्तान से ही होती है। पाकिस्तान के रास्ते इस अफीम की तस्करी होने की बात कई बार स्पष्ट हुई थी। पाकिस्तान की गुप्तचर यंत्रणा ‘आयएसआय’ और पाकिस्तान की सेना इस तस्करी में शामिल होने के आरोप लगाए गए थे। अफ़गानिस्तान का हेल्मंड प्रांत अफीम की खेती के लिए बदनाम था। 

अफीमलेकिन, तालिबान ने अफ़गानिस्तान में अपनी हुकूमत स्थापित करने के बाद तालिबान का प्रमुख हैबतुल्ला अखुंदझदा ने पिछले वर्ष अप्रैल महीने में अफीम की खेती पर पाबंदी घोषित की थी। हेल्मंड प्रांत के अफ़गानी किसान अफीम की खेती छोड़कर अन्य उत्पादनों का विकल्प अपनाए, ऐसे आदेश तालिबान ने दिए थे। इस अफीम की तस्करी पर निर्भर अफ़गान जमीनदारों ने तालिबान के इस निर्णय की आलोचना की थी। तालिबान ने अफीम के खेतों पर ट्रैक्टर घुमाने का वीडियो वायरल होने के बाद पश्चिमी देशों से इसपर आलोचना होने की विचित्र बात सामने आयी थी। नशीले पदार्थों के कारोबार पर कार्रवाई कर रहे तालिबान की सराहना करने के बजाय पश्चिमी देश अफीम की खेती कर रहे किसानों की अधिक फिक्र कर रहे हैं, यह भी इससे स्पष्ट हुआ था।

इसके बाद भी तालिबान ने अफ़गानिस्तान में अफीम के उत्पादन पर कार्रवाई करना जारी रखा। इस वजह से मात्र एक वर्ष में अकेले हेल्मंड प्रांत के अफीम के उत्पादन में रेकॉर्ड गिरावट होने का दावा सैटेलाईट एवं जांच रपट के माध्यम से भौगोलिक जानकारी प्रदान कर रही ‘अल्कीस’ नामक ब्रिटेन स्थित गुट ने किया है। अफ़गानिस्तान में अफीम के उत्पादन में हुई यह गिरावट स्पष्ट करने के लिए इस गुट ने सैटेलाईट से प्राप्त फोटो जारी किए हैं। साथ ही तालिबानी कमांडर की निगरानी में अफीम के खेतों पर ट्रैक्टर चलाए जाने के फोटो भी इस गुट ने पेश किए हैं।

लेकिन, तालिबान ने अफीम के उत्पाद पर लगाई रोक के बावजूद अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में अफीम की तस्करी कम नहीं हुई हैं, इसपर इस गुट ने ध्यान आकर्षित किया है। अफ़गानिस्तान के जमीन दारों ने अफीम का भंड़ारण करके रखने की वजह से नशीले पदार्थों की कीमते ५०० से ६९१ प्रतिशत बढ़ने की ओर इस गुट ने ध्यान आकर्षित किया है।

वर्ष २००१ में अमरीका ने अफ़गानिस्तान पर हमला करने से पहले भी ऐसी ही स्थिति थी। उस समय की तालिबानी हुकूमत ने अफीम के उत्पाद पर रोक लगाने के बाद इसकी कीमतों का उछाल देखा गया था। लेकिन, लगातार दो वर्ष की पाबंदी के बाद अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में अफीम का भंड़ार खत्म होने लगा था। आगे ९/११ के आतंकवादी हमले के बाद अमरीका ने अफ़गानिस्तान की तालिबानी हुकूमत को हटाया और इसके बाद इस देश में अफीम का उत्पादन फिर से बढ़ने लगा, ऐसा इस गुट का कहना है।

इसी बीच, तालिबानी हुकूमत ने अफीम के उत्पादन पर की हुई इस कार्रवाई को लेकर ब्रिटेन स्थित गुट ने बनाई रपट का संज्ञान रशियन वृत्तसंस्था ने लिया है। लेकिन, संयुक्त राष्ट्रसंघ या पश्चिमी माध्यम इसपर ध्यान नहीं दे रहे हैं, ऐसी तीव्र आलोचना रशियन वृत्तसंस्था ने की है।

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