भारत और फ्रान्स के विदेश मंत्रियों की चर्चा

नई दिल्ली – विदेश मंत्री एस जयशंकर और भारत के दौरे पर आए फ्रान्स के विदेश मंत्री जीन-येस ली द्रियान के बीच द्विपक्षीय चर्चा संपन्न हुई। दोनों देशों में व्यापार और सामरिक सहयोग बढ़ाने का मुद्दा इस चर्चा में अग्रस्थान पर था। उसी समय, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत और ऑस्ट्रेलिया के साथ त्रिपक्षीय सहयोग विकसित करने की तैयारी फ्रान्स ने की है। इसके जरिए ये तीनों देश, सागरी क्षेत्र और अंतरिक्ष की चुनौतियों को मात देने के लिए एकजुट से काम करनेवाले हैं।

‘इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटीव्ह’ इस कार्यक्रम में फ्रान्स सहभागी होनेवाला है। इसका भारत ने स्वागत किया है। साथ ही भारत, फ्रान्स और ऑस्ट्रेलिया के इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में त्रिपक्षीय सहयोग की घोषणा, यह ली द्रियान के भारत दौरे की बहुत ही अहम बात साबित होती है। राजधानी नई दिल्ली में भारत की ‘रायसेना डॉयलॉग’ यह सुरक्षाविषयक परिषद शुरू हुई है। इसमें फ्रान्स के विदेश मंत्री ली द्रियान के साथ ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री भी सहभागी होनेवालीं हैं। इस कारण इस त्रिपक्षीय सहयोग की घोषणा का औचित्य अधिक ही बढ़ा है।

बता दें, फिलहाल भारत और फ्रान्स का वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार १० अरब डॉलर इतना है। दोनों देशों के बीच व्यापार को इससे कई गुना बड़ा अवसर है, यह बताकर ये सारे अवसर पाने के लिए आवश्यक कदम उठाने की बात विदेश मंत्री जयशंकर और विदेश मंत्री ली द्रियान ने मान्य की। सन २०१९ तक फ्रान्स में पढ़ाई के लिए आनेवाले भारतीय छात्रों की संख्या दस हज़ार इतनी थी। यह संख्या २० हज़ार तक ले जाने का ध्येय फ्रान्स ने सामने रखा है। विदेश मंत्री ली द्रियान ने यह जानकारी दी।

इस वर्ष में फ्रान्स के वरिष्ठ नेताओं ने तीन बार भारत का दौरा किया है। इससे यही स्पष्ट हो रहा है कि दोनों देशों के बीच सहयोग अधिक से अधिक दृढ़ बनता चला जा रहा है। ख़ासकर भारत ने फ्रान्स से रफायल लड़ाकू विमान की खरीद करने के बाद यह सहयोग अधिक ही मजबूत बना था। फ्रेंच नौसेना का भारतीय नौसेना के साथ समन्वय जानबूझकर बढ़ाया जा रहा है। दोनों देशों के बीच युद्धाभ्यासों का प्रमाण भी बढ़ा है।

जल्द ही फ्रान्स का विमानवाहक युद्धपोत ‘चार्ल्स दी गॉल’ भारतीय युद्ध पोतों के साथ संयुक्त अभ्यास करनेवाला होने की जानकारी सामने आई है। कुछ दिन पहले बंगाल की खाड़ी में फ्रान्स का ‘ली पेरूस’ अभ्यास संपन्न हुआ। इसमें फ्रान्स की नौसेना ने भारत समेत क्वाड के सदस्य होनेवाले अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलियन नौसेनाओं के साथ अभ्यास किया था।

अमरीका के बायडेन प्रशासन की चीनविषयक अस्पष्ट नीति को मद्देनज़र रखते हुए, भारत-फ्रान्स-ऑस्ट्रेलिया ने, हिंद महासागर क्षेत्र में चीन से होनेवाले खतरे को ध्यान में रखकर त्रिपक्षीय सहयोग विकसित करने की तैयारी की है, ऐसा माध्यमों का कहना है। आनेवाले समय में तीनों देशों को इस सहयोग का बहुत बड़ा सामरिक फायदा मिलेगा, ऐसा स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है। केवल फ्रान्स ही नहीं, बल्कि ब्रिटेन भी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बाहर भारत के साथ सहयोग करने के लिए उत्सुक दिख रहा है। जर्मनी ने भी इस क्षेत्र में उसे दिलचस्पी होने के संकेत दिए थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published.