किर्गिज़स्तान में जारी हिंसक प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि पर आपातकाल का ऐलान

बिश्‍केक – एक समय पर सोवियत युनियन का अंग रहे मध्य एशिया के किर्गिज़स्तान में आपातकाल का ऐलान किया गया है। राष्ट्राध्यक्ष सुरोनबई जीनबेकोव ने २१ अक्तुबर तक देश में आपातकाल जारी रहेगा, यह ऐलान किया हैं और राजधानी बिश्‍केक में सेना तैनात करने के आदेश जारी किए हैं। बेलारूस, आर्मेनिया और अज़रबैजान के बाद अब रशियन प्रभावक्षेत्र का हिस्से वाले चौथे देश में नया संकट उभरने से राष्ट्राध्यक्ष पुतिन की सामने नई चुनौती खड़ी होने की बात समझी जा रही है।

बीते सप्ताह में किर्गिज़स्तान में चुनाव कराए गए। इन चुनावों में राष्ट्राध्यक्ष जीनबेकोव से संबंधित दो दलों को सबसे अधिक मत प्राप्त हुए थे। विपक्षी दलों को महज एक तिहाई मत प्राप्त हुए थे। इस पर नाराज़गी व्यक्त करके विपक्ष के दलों ने चुनावों में गड़बड़ी होने के आरोप किए। लेकिन, सरकार ने इन आरोपों से इन्कार करने से राजधानी बिश्‍केक समेत अन्य शहरों में बड़ी मात्रा में प्रदर्शन शुरू हुए। शुरू में शांति से हो रहे यह प्रदर्शन रात के समय सुरक्षा बलों ने कार्रवाई करने के बाद हिंसक हुए। प्रदर्शनकारियों ने सरकारी इमारत एवं जेलों पर हमले किए। इस दौरान पूर्व राष्ट्राध्यक्ष एवं सरकारी अधिकारियों समेत कई लोगों को रिहा किया गया।

विरोधकों ने एकजुट होकर प्रदर्शनों का दायरा और भी बढ़ाया। राजधानी बिश्‍केक के साथ कई हिस्सों में लूट, आगजनी एवं पथराव की घटनाएं हुईं। पूर्व राष्ट्राध्यक्ष की गाड़ी पर गोलीबारी भी की गई। प्रदर्शनकारियों का दबाव बढ़ने से चुनाव आयोग ने रविवार ४ अक्तुबर को हुए चुनाव रद करने का निर्णय किया। इसके बाद राष्ट्राध्यक्ष जीनबेकोव ने सियासी दलों को नई अंतरिम सरकार स्थापित करने के निर्देश दिए। सरकार गठित होकर राजनीतिक स्थिरता प्राप्त होते ही इस्तीफा दने की तैयारी भी उन्होंने दिखाई। लेकिन, सियासी दलों में बड़ी मात्रा में मतभेद होने की वजह से अभी भी नई सरकार गठित नहीं हो सकी है और प्रदर्शन अभी भी जारी हैं। इसी दौरान राष्ट्राध्यक्ष ने सीधे जनता के सामने आने से एवं सार्वजनिक ठिकानों पर उपस्थित रहना टाल दिया है और इस कारण से उनके भविष्य को लेकर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं।

शनिवार के दिन संसद ने सदिर झपारोव को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त करने का ऐलान किया। लेकिन, उन्हें प्राप्त समर्थन पर सवाल किए जा रहे हैं। रशिया ने किर्गिज़स्तान में बनी मौजूदा स्थिति यानी गड़बड़ी और अराजकता की स्थिति होने का बयान करके इस पर तीव्र चिंता व्यक्त की है। रशिया में राष्ट्राध्यक्ष पुतिन की अध्यक्षता में हुई बैठक में किर्गिज़स्तान के मुद्दे पर चर्चा होने की जानकारी प्रवक्ता ने साझा की है। किर्गिज़स्तान  रशिया की पहल से गठित हुई ‘कलेक्टिव सिक्युरिटी ट्रीटि ऑर्गनायज़ेशन’ का सदस्य है। और इसके अनुसार सदस्य देश में सियासी एवं सुरक्षा से संबंधित व्यवस्था नाकाम होने पर रशिया सहायता करेगी, यह प्रावधान किया गया है। इस वजह से किर्गिज़स्तान में उभरा संकट बरकरार रहने पर इसमें हस्तक्षेप करने के लिए रशिया मज़बूर होगी, यह समझा जा रहा है। किर्गिज़स्तान में रशिया का रक्षा अड्डा भी मौजूद होने से यह देश सामरिक नज़रिये से भी रशिया के लिए बड़ा अहम समझा जाता है।

बीते दो महीनों में रशिया के प्रभाव क्षेत्र का हिस्सा रहे देशों में एक के बाद समस्याएं खड़ी होती हुई दिख रही हैं। अगस्त महीने में बेलारूस में हुए चुनाव के बाद राष्ट्राध्यक्ष अलेक्ज़ांडर लुकाशेन्को के विरोध में जोरदार और व्यापक प्रदर्शन शुरू हुए। यह प्रदर्शन अभी तक जारी है। इसके बाद आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच बीते १३ दिनों से जोरदार युद्ध हो रहा है। रशिया ने इस युद्ध में मध्यस्थता करने की कोशिश शुरू की है, लेकिन, इसे जल्द कामयाबी प्राप्त होने की संभावना नहीं है। इसके बाद अब किर्गिज़स्तान में अराजकता की स्थिति बनी है।

रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने बीते दशक से एक समय पर सोवियत युनियन का अंग रहे देशों को दुबारा अपने प्रभावक्षेत्र में शामिल करने के लिए बड़ी जोरदार गतिविधियां शुरू की थीं। इसके लिए आर्थिक सहायता प्रदान करने के साथ ही सियासी और रक्षा क्षेत्र का सहयोग मज़बूत करने के लिए कुछ संगठनों का निर्माण भी किया था। अमरीका के साथ पश्‍चिमी देश पुतिन की यह कोशिश रोकने के लिए अलग अलग स्तर पर गतिविधियां करने में जुटे हैं। इस पृष्ठभूमि पर रशियन राष्ट्राध्यक्ष की योजनाओं को कुछ मात्रा में झटके महसूस होने की बात बीते दो महीनों में हुई घटनाओं से सामने आ रही है, और यह बात ध्यान आकर्षित करती है।

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