७६ हज़ार करोड़ रुपयों से भी अधिक राशि के रक्षा सामान की देश में भी खरीद करने का ‘डीएसी’ का निर्णय

नई दिल्ली – रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई ‘डिफेन्स एक्विझेशन काऊन्सिल’ (डीएसी) की बैठक में काफी अहम निर्णय किया गया। देश के उद्योग क्षेत्र से करीबन ७६,३९० करोड़ रुपयों के रक्षा सामान और यंत्रणा की खरीद करने के प्रस्ताव को ‘डीएसी’ ने हरी झंड़ी दिखाई। इनमें नौसेना के लिए करीबन आठ नवीनतम विध्वंसक (कॉर्वेटस्‌) का समावेश हैं। इन आठ विध्वंसकों के लिए करीबन ३६ हज़ार करोड़ रुपयों का प्रावधान किया गया।

दो दिन पहले ही भारतीय नौसेना के बेड़े के दो विध्वंसक सेवा निवृत्त हुई थी। आनेवाले समय में इस तरह से सेवा निवृत्त होनेवाले विध्वंसक, युद्धपोत और पनडुब्बियों की संख्या बढ़ती रहेगी। इसका असर नौसेना की क्षमता पर हो सकता है। इसी कारण समय पर नए विध्वंसक और युद्धपोतों का नौसेना के बेड़े में समावेश करते रहना अनिवार्य हुआ हैं। इसका संज्ञान लेकर आधुनिक क्षमता के आठ नवीनतम विध्वंसकों की खरीद नौसेना करेगी।

सुरक्षा प्रदान करने के साथ ही गश्‍त और निगरानी करने की क्षमता यह प्रगत विध्वंसक करेंगे। इनकी रचना भारतीय नौसेना की ज़रूरतों के अनुसार की जाएगी। इसके लिए नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल होगा। यह प्रक्रिया देश में ही पुरी होगी, ऐसा रक्षा मंत्रालय ने निवेदन में कहा हैं। इसके अलावा डॉर्निअर विमान और सुखोई-३० एमकेआई का एरो इंजन तैयार करने का कान्ट्रैक्ट ‘हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड’ (एलएएल-हल) को प्रदान करने का निर्णय ‘डीएसी’ ने घोषित किया।

इसके अलावा सेना के लिए ‘रब टेरेन फोर्क लिफ्ट ट्रक्स’, ‘ब्रीज लेईंग टैन्कस्‌’, ‘व्हिल्ड आर्मड् फायटिंग वेहिकल्स’ और ‘वेपन लोकेटिंग राड़ार्स’ की भी खरीद होगी, यह जानकारी रक्षा मंत्रालय ने प्रदान की। यह सभी उपकरण देश में ही तैयार होंगे। इसी बीच, रक्षा सामान और हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार बना भारत आनेवाले समय में रक्षा सामान के निर्यातक के तौर पर विश्‍व के सामने आने की कोशिश कर रहा हैं। इसके लिए रक्षासामान देश में ही तैयार हो और इसमें निजी उद्योग क्षेत्र को शामिल करने के लिए सरकार पहल कर ही हैं।

इस नीति का असर दिखाई देने लगा हैं और रक्षा सामान के निर्माण और इसके अनुसंधान को गति प्राप्त होने लगी हैं।

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