कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल १५० डॉलर्स तक उछलेगी – जे.पी.मॉर्गन का इशारा

Christyan-Malekवॉशिंग्टन – कच्चे तेल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं और इसी बीच ‘ओपेक’ तथा उससे जुड़े गुट मॉंग के अनुसार उचित सप्लाई करने की क्षमता नहीं रखते| इसकी वजह से अगले दो वर्षों में ईंधन की कीमतें प्रति बैरल १५० डॉलर्स तक उछल सकती हैं, यह इशारा अंतरराष्ट्रीय वित्तसंस्था जे.पी.मॉर्गन के वरिष्ठ अधिकारी ने दिया| कोरोना के नए वेरियंट के खौफ से फिलहाल कच्चे ईंधन की कीमत ७० डॉलर्स के नीचे उतर रही हैं| इस पृष्ठभूमि पर जे.पी.मॉर्गन की यह चेतावनी ध्यान आकर्षित कर रही है|

ओपेक के सदस्य देशों की भूमि में तेल के काफी भंड़ार मौजूद हैं| लेकिन, इसका खनन करके तेज़ी से सप्लाई बढ़ाने के लिए आवश्यक पूँजी एवं अन्य तकनीक उनके पास नहीं है| इसकी वजह से उन्हें प्राप्त ईंधन के यह भंड़ार यानी सिर्फ एक आभास है’, यह दावा जे.पी.मॉर्गन के ‘ऑइल ऍण्ड गैस रिसर्च’ विभाग के प्रमुख क्रिसचन मैलेक ने किया| तेल की कीमत नियंत्रण से बाहर जाने पर बाज़ार में तुरंत अतिरिक्त सप्लाई करने की ओपेक की क्षमता कम है, इस ओर भी मैलेक ने ध्यान आकर्षित किया|

Oil-Price-highइसलिए वर्ष २०२२ में कच्चे तेल की कीमतें १२५ डॉलर्स प्रति बैरल और २०२३ में १५० डॉलर्स तक बढ़ सकती हैं, यह इशारा मैलेक ने दिया| कोरोना की महामारी की वजह से मॉंग कम होने पर ओपेक और संबंधित देश सप्लाई कम करेंगे, यह दावा भी उन्होंने किया| कच्चे तेल की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी को लेकर बीते दो हफ्तों में दिया गया यह दूसरा बड़ा इशारा है| दो हफ्ते पहले विश्‍व की शीर्ष ईंधन कंपनियों में से एक ‘रोज़नेफ्ट’ ने कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होने का अनुमान व्यक्त किया था|

तच्चे तेल की कीमतें २०२२ के दूसरी छमाही में प्रति बैरल १२० डॉलर्स तक उछल सकते हैं’, यह इशारा रोज़नेफ्ट के उपाध्यक्ष ओटाबोक करिमोव ने दिया| था| उन्होंने अपने बयान के समर्थन में कम निवेश एवं उत्पादन बढ़ाने की संभावना ना होने से कीमतों में बढ़ोतरी होगी, ऐसा कहा था| बीते महीने कच्चे तेल की कीमतों ने ८६ डॉलर्स का रिकार्ड स्थापित किया था| फिलहाल कोरोना के ‘ओमीक्रोन’ वेरियंट के खौफ से तेल की कीमत गिरकर ७० डॉलर्स तक पहुँची है|

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