भारत ईरान से कर रहे कच्चे तेल की आयात विक्रमी स्तर पर

नई दिल्ली, दि. १८ (वृत्तसंस्था) – भारत ईरान से खरीद रहे कच्चे तेल की आयात विक्रमी स्तर पर जा पहुँची है| पिछले १५ साल में पहली ही बार भारत ने इतने बड़े पैमाने पर ईरान से कच्चे तेल की आयात की है| इस साल के जनवरी महीने में इरान आर्थिक निर्बंधो से मुक्त होने के बाद, इंधनसंपन्न ईरान और इंधन की आयात करनेवाले भारत के बीच सहयोग बढ़ा है, ऐसा दिखायी दे रहा है|

oil-shipping_650x400_61460635279- भारत ईरानफिलहाल भारत ईरान से हररोज़ ५ लाख ७६ हजार बैरल (बीपीडी) इतना कच्चा तेल आयात कर रहा है| पिछले साल के अगस्त महीने में भारत ईरान से प्रति दिन १ लाख ९९ हजार बैरल्स इतना कच्चा तेल आयात कर रहा था| इससे यह स्पष्ट रूप से दिखायी दे रहा है कि पिछले साल की तुलना में इस साल ईरान से होनेवाली इंधनआयात में तीन गुना बढ़ोत्तरी हुई है| ख़ास तौर पर, वादग्रस्त परमाणु कार्यक्रम की वजह से अमरीका और मित्र देशो ने ईरान पर थोंपे आर्थिक प्रतिबंध उठा दिये जाने के बाद भारत की तरफ से इंधन आयात की व्याप्ति बढ़ा दी गई है| पिछले आठ महीने में ईरान से हुई इंधन आयात ८४ प्रतिशत बढ़ गई है, यह बात नयी जानकारी से स्पष्ट हुई  है|

ईरान पर प्रतिबंध लगाने से पहले भारत ईरान से भारी मात्रा में कच्चे तेल की आयात करता था| लेकिन ईरान पर अमरीका और संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा प्रतिबंध डाले जाने के बाद दोनो देशों के इंधनसंबंधित सहयोग पर भारी असर हुआ था| लेकिन ईरान पर ड़ाले हुये निर्बंध हटने के बाद, दोनों देशों के बीच का सहयोग नये स्तर पर जा पहुँचा है, ऐसा दिखायी दे रहा है|

इस साल के मई महीने में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ईरान यात्रा पर गये थे| उस वक्त दोनो देशों के बीच १२ समझौते संपन्न हुए थे| इस समय, उर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ईरान के राष्ट्राध्यक्ष हसन रोहानी और सर्वोच्च नेता आयातुल्ला खामेनी के बीच चर्चा हुई थी| इसमें ग्वादर बंदरगाह के विकास के साथ ही, अफगानिस्तान और मध्य एशिया को जोड़नेवाले मार्ग के बारे में समझौता हुआ था| साथ ही, ईरान सागरी इंधनवाहिनी द्वारा भारत को इंधनवायु देने के लिये प्रयास कर रहा है|

भारत ईरान का छाबर बंदरगाह विकसित कर रहा है और इस बंदरगाह को अफगानिस्तान से होकर भारत के साथ जोड़नेवाले प्रकल्प का काम शुरू हो चुका है| इससे ईरान, अफगानिस्तान और भारत के बीच कारोबार को बढ़ावा मिलेगा और इसका बहुत बड़ा फ़ायदा तीनो देशों को मिलनेवाला है| इस वजह से, भारत और ईरान के संबंध केवल इंधन आयात और निर्यात करने तक मर्यादित रहनेवाले नहीं, बल्कि इससे दोनो देशों के बीच व्यापारी, राजनीतिक और सामरिक स्तर पर भी सहयोग बढ़नेवाला है| इसका असर दोनो देशों के इंधनसंबंधित सहयोग पर पड़ा हुआ देखने को मिल रहा है|

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