बाटला हाऊस मुठभेड़ मामले में न्यायालय ने ‘इंडियन मुजाहिद्दीन’ के आरिज खान को फाँसी सुनाई

नई दिल्ली – बाटला हाऊस मुठभेड़ का गुनाहगार होनेवाले ‘आरिज खान’ को दिल्ली सत्र न्यायालय ने फाँसी की सज़ा सुनाई। सन २००८ में हुई इस मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस के ‘मोहन चंद शर्मा’ शहीद हुए थे। इस कारण, इंडियन मुजाहिद्दीन का आतंकी होनेवाले आरिज खान को सुनाई गई फाँसी की सज़ा पर देशभर में संतोष व्यक्त किया जा रहा है। १३ साल के बाद शहीद मोहन चंद शर्मा को इन्साफ मिला, ऐसी सार्वत्रिक प्रतिक्रिया आ रही है।

बाटला हाऊस

यह मामला ‘रेअरेस्ट ऑफ रेअर’ यानी बहुत ही अनोखा है, ऐसा बताकर दिल्ली सत्र न्यायालय ने आरिज खान को फाँसी की सज़ा सुनाई। आरिज खान समाज के लिए खतरनाक है, ऐसा सत्र न्यायालय ने यह सज़ा सुनाते समय कहा है। उसी समय आरिज खान को ११ लाख का जुर्माना भी सुनाया गया। इनमें से दस लाख रुपये, शहीद मोहनचंद शर्मा के परिवार को दिए जानेवाले हैं।

८ मार्च को सत्र न्यायालय ने आरिज खान को दोषी करार दिया था। आरिज खान ने ही ‘मोहन चंद शर्मा’ पर गोलियाँ चलाईं थीं और इसके बारे में पुख्ता सबूत सरकार की ओर से प्रस्तुत किए गए हैं। ये सबूत नकारने लायक नहीं हैं, ऐसा निरीक्षण आरिज खान को दोषी करार देते समय न्यायालय ने दर्ज़ किया था।

१९ सितंबर २००८ को बाटला हाऊस में इंडियन मुजाहिद्दीन के आजमगड मॉड्यूल के कुछ आतंकी छिपे हैं, ऐसी जानकारी दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को मिली थी। उसके चंद हफ्ताभर पहले, दिल्ली एक के बाद एक हुए चार बम विस्फोटों से दहल गई थी। इस बम विस्फोट श्रृंखला में २६ लोगों की जानें गई थी। साथ ही, १३० से भी अधिक लोग घायल हुए थे। इन बम विस्फोटों के पीछे इंडियन मुजाहिद्दीन होने की बात तहकिक़ात में सामने आई थी। लेकिन पुलिस के हाथ सुराग नहीं लगा था। ऐसे में पुलिस निरीक्षक शर्मा को जानकारी मिली थी कि आजमगड मॉड्यूल के कुछ लोग बाटला हाऊस में छिपे बैठे हैं।

बाटला हाऊस में छिपे इन आतंकियों को पकड़ने के लिए अपने कुछ सहकर्मियों के साथ मोहन चंद शर्मा उस स्थान पर पहुँचे थे। इन आतंकियों को गिरफ्तार करके, दिल्ली बम विस्फोट की गुत्थी सुलझाने की पुलिस की कोशिश थी। लेकिन बाटला हाउस के एल-१८ नंबर के घर में प्रवेश करते ही, भीतर बैठे पाँच आतंकियों ने फायरिंग करने की शुरुआत की। उसके बाद पुलिस ने की फायरिंग में दो आतंकी ढेर हुए। वहीं, एक जिंदा पकड़ा गया। दो आतंकी भाग गए थे। इन दो आतंकियों ने की गोलीबारी में ही मोहन चंद शर्मा शहीद हुए थे। साथ ही उनके दो सहकर्मी गंभीर रूप से घायल हुए थे।

इनमें से एक फरार आतंकी शहजाद अहमद को सन २०१० में लखनऊ से गिरफ्तार किया गया और सन २०१३ में उसे उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई। लेकिन आरिज खान पूरे दस साल फरार था। आरिज खान पर १५ लाख का इनाम भी घोषित किया गया था।

आखिरकार सन २०१८ में उसे नेपाल से गिरफ्तार करने में क़ामयाबी मिली थी। आरिज खान का, दिल्ली बम विस्फोटों के साथ ही अहमदाबाद, जयपूर और उत्तर प्रदेश में हुए बम विस्फोटों में भी हाथ होने की बात सामने आई है। जुलाई २००८ में अहमदाबाद में केवल ७० मिनटों में २१ बम विस्फोट हुए थे। उससे पहले मई महीने में जयपुर ९ बम विस्फोटों से दहल गया था। वहीं, नवंबर २००७ में उत्तर प्रदेश में लखनऊ, बनारस और फैजाबाद न्यायालय में हुए छः बम विस्फोटों में १८ लोगों की जानें गईं थीं।

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