‘सेमीकंडक्टर’ क्षेत्र में अमरीका और जापान समेत अन्य देशों के साथ सहयोग बढ़ायेंगे – ताइवान की राष्ट्राध्यक्षा त्साई इंग-वेन का प्रस्ताव

तैपेई – प्रगत तंत्रज्ञान के लिए अहम घटक साबित होनेवाले ‘सेमीकंडक्टर’ क्षेत्र में अमरीका, जापान तथा अन्य देशों के साथ सहयोग बढ़ाने का प्रस्ताव ताइवान की राष्ट्राध्यक्षा त्साई इंग-वेन ने दिया। जापान की एक मासिक पत्रिका को दिए इंटरव्यू में उन्होंने, सेमीकंडक्टर क्षेत्र यह सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र होने का उल्लेख करके, उन्होंने इस सहयोग के महत्व को अधोरेखांकित किया। सेमीकंडक्टर का उत्पादन और निर्यात करनेवाले देशों में अमरीका, ताइवान, जापान, दक्षिण कोरिया इन देशों के साथ चीन भी शीर्षस्थान पर है। इस पृष्ठभूमि पर, ताइवान की राष्ट्राध्यक्षा ने दिया प्रस्ताव गौरतलब साबित होता है।

‘सेमीकंडक्टर’ क्षेत्ररक्षा, दूरसंचार, इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियाँ इन उद्योगों में सेमीकंडक्टर यह निर्णायक घटक है। पिछले साल भर में चीन और अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय के बीच बढ़ते तनाव की पृष्ठभूमि पर, चीन से होनेवाली सप्लाई पर असर हुआ है। यह कमी पूरी करने के लिए अन्य देशों द्वारा कोशिशें जारी हैं। ख़ासकर अमरीका ने इसके लिए पहल की होने की बात सामने आई थी।

ताइवान की ‘टीएसएमसी’ यह कंपनी सेमीकंडक्टर क्षेत्र में दुनिया की अग्रसर कंपनी मानी जाती है। इसी कारण ताइवान ने इस क्षेत्र में चीन का स्थान ग्रहण करने के लिए आक्रामक प्रयास करें, ऐसी माँग जागतिक स्तर पर विशेषज्ञों तथा विश्लेषकों द्वारा की जा रही थी। राष्ट्राध्यक्षा त्साई इंग-वेन का प्रस्ताव, यह इस दिशा में उठाया महत्वपूर्ण कदम साबित होता है।

‘सेमीकंडक्टर’ क्षेत्रराष्ट्राध्यक्षा त्साई ने, सेमीकंडक्टर क्षेत्र में ताइवान द्वारा अमरीका और जापान में निवेश किया जा रहा है, इस पर गौर फरमाया। इन दोनों देशों के साथ अन्य देशों में निवेश करने के लिए भी ताइवान उत्सुक है, ऐसा राष्ट्राध्यक्षा इंग-वेन ने कहा। निवेश के साथ ही, सेमीकंडक्टर क्षेत्र के लिए आवश्यक तंत्रज्ञ और कुशल कर्मचारी उपलब्ध होना भी महत्वपूर्ण है, यह बात ताइवान की राष्ट्राध्यक्षा ने स्पष्ट की। अमरीका और जापान जैसे देशों में निवेश इसके लिए अहम साबित हो सकता है, ऐसे संकेत भी उन्होंने दिए।

अमरीका और जापान के साथ ही, युरोप के जर्मनी ने भी सेमीकंडक्टर क्षेत्र में निवेश के लिए ताइवान को प्रस्ताव दिया होने की बात सामने आ रही है। सेमीकंडक्टर क्षेत्र से जुड़ी अन्य सुविधाएँ जर्मनी में उपलब्ध है, इस पर जर्मन सूत्रों ने गौर फरमाया है। इस कारण अमरीका और जापान के बाद, ताइवान जर्मनी में भी निवेश कर सकता है, ऐसा माना जाता है। ताइवान का यह बढ़ता निवेश और अन्य देशों के साथ बढ़ता सहयोग, इस क्षेत्र में बने चीन के स्थान को बहुत ही बड़ा झटका साबित होगा, ऐसा दावा विश्लेषकों द्वारा किया जा रहा है।

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