हिंद महासागर क्षेत्र की स्पर्धा तीव्र हुई – राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल

नई दिल्ली – ‘मल्टी एजेन्सी मेरिटाईम सिक्युरिटी ग्रूप’ (एमएएमएसजी) का उद्घाटन करते समय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल ने हिंद महासागर से संबंधित बयान पर माध्यमों में बड़ी चर्चा हो रही है। किसी समय शांति का महासागर रहे इस क्षेत्र की स्थिति तेज़ी से बदल रही है। बदल रहे भू-राजनीतिक गणित की वजह से हिंद महासागर क्षेत्र में तीव्र स्पर्धा छीड़ी है और ऐसी स्थिति में भारत तो अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए आवश्यक कदम उठाना ही होगा, इस ओर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने ध्यान आकर्षित किया।

समुद्री सीमा की रक्षा बाड़ लगाकर करना मुमकिन नहीं। इसके लिए प्रगत यंत्रणाओं का इस्तेमाल करना पड़ता है। इसी कारण भारत को समुद्री क्षेत्र में अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए अधिक निवेश करना होगा। साथ ही हिंद महासागर क्षेत्र के देशों की स्थिति का भी भारत की सुरक्षा पर असर पड़ता है, इसके मद्देनज़र भारत का कदम उठाना आवश्यक है। आज़ादी के बाद समुद्री सुरक्षा के लिए कार्यरत यंत्रणाओं का समन्वय और सहयोग स्थापित करना बड़ा ज़रूरी हो गया है और इसी कारण ‘एमएएमएसजी’ की अहमियत काफी बढ़ी है, ऐसा डोवल ने कहा।

अंतरराष्ट्रीय व्यापारी यातायात के साथ ही भारत के काफी बड़े व्यापार की यातायात हिंद महासागर से होती है, इस पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने ध्यान आकर्षित किया। इसी कारण हिंद महासागर क्षेत्र की अहमियत बढ़ रही है और इस क्षेत्र पर वर्चस्व पाने के लिए कुछ देशों की महत्वाकांक्षा बढ़ रही है, ऐसा संदेश डोवल ने इस दौरान किया। हिंद महासागर क्षेत्र पर वर्चस्व स्थापित करने के लिए चीन योजनाबद्ध कोशिश कर रहा है। भारत का इस क्षेत्र पर नैसर्गिक प्रभाव चीन को मंजूर नहीं है और इसी वजह से इस काफी अहम समुद्री क्षेत्र में चीन ने अपनी गतिविधियाँ बढ़ाई हैं। इसका दाखिला राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के इशारे से प्राप्त हो रहा है।

हिंद महासागर क्षेत्र से पैसिफिक महासागर क्षेत्र तक चीन की गतिविधियों की वजह से अस्थिरता बढ़ी है। इसी कारण इन क्षेत्र के देशों ने चीन के विरोध में सहयोग की पहल की है। अमरीका ने भी चीन की इन हरकतों पर गंभीर संज्ञान लेकर भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के ‘क्वाड’ सहयोग को गतिमान करने का ऐलान किया। लेकिन, ‘क्वाड’ संबंधित दावे होने के दौरान ही अमरीका ने ‘ब्रिटेन’ और ‘ऑस्ट्रेलिया’ के साथ नया ‘ऑक्स’ नाम गुट गठित किया। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया, न्यूझीलैण्ड, जापान के समावेश का ‘पार्टनर्स इन द ब्ल्यू पैसिफिक’ नामक गुट भी अमरीका ने बनाया है। साथ ही अमरीका ने नाटो को भी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्पर्धा में उतारा हुआ दिख रहा है। इसके पीछे अमरीका के बायडेन प्रशासन की भारत को दूर रखने की साज़िश होने का दावा कुछ विश्लेषक कर रहे हैं।

इस वजह से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन और उसके खिलाफ अमरीका ने भारत को दूर रखकर तैयार किए देशों के गठबंधनों के बीच आनेवाले समय में बड़ी स्पर्धा दिखाई देगी। ऐसी स्थिति में भारत को हिंद महासागर के अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए अधिक सतर्क रहना होगा, ऐसा संदेश राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार देते दिख रहे हैं।

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