नागरिकता संशोधन बिल राज्यसभा में भी मंजूर

नई दिल्ली – लोकसभा के बाद अब राज्यसभा ने भी ‘सिटिझन्स अमेंडमेंट बिल’ (नागरिकता संशोधन बिल) मंजूर किया है| १२५ बनाम १०५ इस फरक से यह बिल राज्यसभा में मजूर हुआ| जल्द ही यह बिल हस्ताक्षर के लिए राष्ट्रपति रामानाथ कोविंद के सामने रखा जाएगा| उनके हस्ताक्षर होनेपर यह बिल कानून में परावर्तित होगा और इस बिल में किए गए प्रावधानों पर अमल करना मुमकिन होगा|

अत्याचार और भेद का शिकार बने पाकिस्तान, बांगलादेश और अफगानिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यांक भारत की ओर दौड लगा रहे है| इनमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन एवं ख्रिश्‍चन समुदाय के नागरिक शामिल है| इन्हें भारत की नागरिकता प्रदान ने करने के लिए वर्ष १९५५ में बने कानुन में संशोधन करना जरूरी था| इसी लिए नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा में पेश किया गया और इसे मंजूर भी किया था| इसके बाद बुधवार के दिन यह बिल राज्यसभा में रखा गया और इसपर चर्चा भी हुई|

यह बिल सीर्फ पडोसी देशों में अत्याचार का सामना कर रहे अल्पसंख्यांकों को भारत की नागरिकता प्रदान करने हेतू ही है| भारत से पनाह देने की मांग कर रहे शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करना भारत का कर्तव्य साबित होता है| पर, यह बिल किसी पर भी, किसी भी प्रकार से अत्याचार करनेवाला नही है| यह बिल नागरिकता प्रदान करनेवाला है, ना की नागरिकता छिननेवाला है, इस ओर केंद्रीय गृहमंत्री ने ध्यान आकर्षित किया|

साथ ही इस बिल से किसी के लिए भी खतरा नही है, और इस मुद्दे पर चिंता करने का कोई मतलब नही है, यह बात केंद्रीय गृहमंत्री ने स्पष्ट की है| इसी दौरान इस विधयक के विरोध में ईशान्य के राज्यों में काफी प्रदर्शन हुए| खास तौर पर आसाम के कुछ जिलों में हिंसा हुई| इन जगहों पर सुरक्षा दलों ने भी कार्रवाई की है और वहां पर अर्धसैनिक बलों का दस्ता भी तैनात हो रहा है| 

शाम के समय इन राज्यों में स्थितिपर नियंत्रण प्राप्त होने की जानकारी सामने आयी थी| आसाम के कुछ हिस्सों में सेना ने फ्लैग मार्च करने का समाचार है| ईशान्य के राज्यों में अर्धसैनिक बलों की तैनाती बढाने के लिए कश्मीर में तैनात अर्धसैनिक बलों के सैनिकों की संख्या कम की गई है, यह दावा भी हुआ है|

ईशान्य के राज्यों की जनता के अधिकार इससे आगे भी सुरक्षित रखे जाएंगे, ऐसा भरौसा केंद्रीय गृहमंत्री ने राज्यसभा में हुई बातचीत के दौरान दिया| ईशान्य के राज्यों की सांस्कृतिक एवं भाषिक विशेषता की रक्षा करने के लिए केंद्र सरकार कटीबद्ध है, यह कहकर गृहमंत्री अमित शहा ने ईशान्य के राज्यों की जनता को सुरक्षा का वादा भी किया है| इस मुद्दे पर कोई भी गलतफहमी में ना रहें, यह निवेदन भी उन्होंने इस दौरान किया|

पाकिस्तान, बांगलादेश और अफगानिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यांक लंबे समय से भारत की नागरिकता प्राप्त होने की प्रतिक्षा कर रहे थे| उनका यह सपना अब पूरा हुआ है, यह कहकर इन शरणार्थियों ने लोकसभा और राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल को मंजुरी मिलने पर संतोष व्यक्त किया है और कई जगहों पर मिठाईयां देकर यह अवसर मनाया गया|

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