भारत का भविष्य बनानेवाला ऐतिहासिक निर्णय

नई दिल्ली – जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देकर देश से अलग रखनेवाली धारा ३७० खारिज करनेवाला विधेयक राज्यसभा में मंजूर हुआ है| इस विधेयक के नुसार जम्मू-कश्मीर और लद्दाख इन दो केंद्र शासित प्रदेशों का निर्माण होगा| सोमवार के दिन यह विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया और इसके साथ ही पूरे देश में जल्लोष शुरू हुआ| शाम तक लंबी चर्चा होने के बाद राज्यसभा में यह विधेयक १२५ बनाम ६१ वोटों से पारित किया गया| जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक का समर्थन करते समय केंद्रीय गृहमंत्री अमित शहा ने इस विधेयक के कारण जम्मू-कश्मीर का विकास नही हो सका और इस कारण आतंकियों को बल मिल रहा था, यह बात रखी|

पिछले कुछ दिनों से जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा दलों की तैनाती में बढोतरी की गई थी| इस दौरान राज्य में अतिरिक्त ३८ हजार सैनिक तैनात किए गए| रविवार की रात राज्य में धारा १४४ जारी की गई| साथ ही कुछ जगहों पर कर्फ्यु लगाया गया था| इन गतिविधियों में जम्मू-कश्मीर में कुछ तो बडा होगा, यह संकेत प्राप्त होने के दावे देश भर के माध्यमों ने किए थे| इनका अंदाजा सही साबित करके सोमवार के दिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शहा ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पेश किया| और इसके साथ ही देशभर में जल्लोष शुरू हुआ|

धारा ३७० के कारण जम्मू-कश्मीर भारत के साथ जुडा है, यह धारा रद्द होने से इस राज्य की जनता भारत के विरोध में जाएगी, यह चिंता व्यक्त करके कुछ विपक्षी दलों ने इस विधेयक का जोरदार विरोध किया| साथ ही यह विधेयक जनतंत्र के विरोध में होने की आलोचना भी कुछ नेताओं ने की| इसके अलावा यह धारा रद्द करने से जम्मू-कश्मीर की जनता की सांस्कृतिक पहचान नष्ट होगी, यह चिंता भी विपक्षी दलों के नेताओं ने व्यक्त की|

विपक्षी दलों के सदस्यों ने व्यक्त की हुई चिंता और इस मुद्दे पर दिए इशारों पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शहा ने करारा जवाब दिया| धारा ३७० अस्थायि है, यह बात आजतक सुलभता से दुर्लक्षित रखी गई थी| ‘अस्थायि’ यानी ‘टेंपररी’ के तौर पर इतना लंबा समय हो सकता है क्या? यह सवाल भी केंद्रीय गृहमंत्री ने किया| साथ ही उस समय के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने यह धारा समय के दौर में खतम होगी, यह कहा था, इस ओर भी गृहमंत्री ने ध्यान आकर्षित किया| ऐसा होते हुए भी धारा ३७० हटाने का विचार नही हुआ और इसके पीछे राजनयिक हितसंबंध थे, यह आरोप भी गृहमंत्री शहा ने किया|

वर्ष २००४ से २०१९ के दौरान केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को २.७७ लाख करोड रुपयों का नीधि दिया| इसमें प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर को दिए विशेष पैकेज का समावेश नही है| इतनी बडी सहायता प्राप्त होने पर भी आम कश्मीरी जनता को लाभ प्राप्त नही हुआ है| वर्ष २०१७-१८ के बीच देश की आम जनता पर प्रति व्यक्ती ८,२२७ रुपये खर्च हुए| वही, जम्मू-कश्मीर में प्रति व्यक्ती २७,३५८ रुपये खर्च हुए| इसके बावजूद इस राज्य की जनता को किसी भी प्रकार का लाभ नही हुआ| यह पैसा कहा जाता है? क्योंकि इस राज्य की व्यवस्था भ्रष्ट है और इस भ्रष्ट सियासी व्यवस्था को धारा ३७० से सुरक्षा प्राप्त हो रही थी, यह फटकार गृहमंत्री ने लगाई|

साथ ही धारा ३७० से अबतक जम्मू-कश्मीर को भारत से जोड के रखा, यह विपक्षी दलों के नेताओं ने किया दावा भी अमित शहा ने ठुकराया| यह धारा लागू होने से पहले ही कश्मीर का भारत में समावेश हुआ था और इस संस्थान के राजा हरिसिंग ने वर्ष १९४९ से पहले ही इससे संबंधी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे| इस बात पर शहा ने ध्यान आकर्षित किया| साथ ही यदि जम्मू-कश्मीर आतंकवाद का शिकार बना हुआ और पिछडा राज्य है, इसका कारण ही धारा ३७० होने का आरोप केंद्रीय गृहमंत्री ने रखा|

इस धारा के कारण भारत के कानून जम्मू-कश्मीर में लागू नही होते| इस वजह से घाटी के बच्चों को शिक्षा का अधिकार नही मिलता| केंद्र सरकार ने बडी मात्रा में पैसा देने के बावजूद भ्रष्टाचार की वजह से यह राशि आम कश्मीरी नागरिकों तक नही पहुंचती| ऐसी भ्रष्ट व्यवस्था का आजतक रक्षा करने का काम यह धारा ३७० करती रही है| साथ ही इसी धारा की वजह से जम्मू-कश्मीर में आतंकियों को बल मिल रहा है| इसी वजह से अलगाववादी शक्ति जम्मू-कश्मीर में फैली है, ऐसे आरोप अमित शहा ने इस दौरान लगाए|

वर्ष १९७९ से अबतक जम्मू-कश्मीर में हुई हिंसा में ४१,८४९ लोगों ने जान गंवाई है| धारा ३७० इसके लिए जिम्मेदार साबित होती है| इस धारा की वजह से जम्मू-कश्मीर की स्वतंत्र सांस्कृतिक पहचान बनी रही है, इस दावे पर गृहमंत्री ने सही जवाब दिया| आजादी के बाद विशेष दर्जा ना मिलनेवाले राज्यों ने अपनी संस्कृति और भाषा की रक्षा की है| जम्मू-कश्मीर राज्य को भी ऐसा करना मुमकिन होता, इसके लिए धारा ३७० की जरूरत नही थी, यह बात अमित शहा ने डटकर रखी|

इस धारा की रक्षा कर रहे मान्यवरों के बच्चे बाहरी मुल्कों में बडी शिक्षासंस्थाओं में शिक्षा प्राप्त कर रही थी| लेकिन, इस राज्य के छात्राओं के लिए शिक्षासंस्था नही बनाई गई| यहां पर अच्छे अस्पताल नही बन पाए| क्योंकि वहां पर प्राध्यापक और डाक्टर्स जाने के लिए तैयार नही| धारा ३७० और ३५ ए के प्रावधान के कारण वहां पर किसी को जमीन खरीदना मुमकिन नही| इस वजह से जम्मू-कश्मीर में उद्योग और कारखाना शुरू नही हुए| जमीन पर बने स्वर्ग की धरती के तौर पर जाने जा रहे जम्मू-कश्मीर में पर्यटन का विकास भी धारा ३७० से रुका हुआ है, यह कहकर शहा ने यह धारा जम्मू-कश्मीर के लिए खतरनाक साबित हुई, यह आलोचना की|

जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश होने पर वहां पर जनक्षोभ होगा और अस्थिरता दिखाई देगी, यह डर भी केंद्रीय गृहमंत्री ने खारिज किया| साथ ही जम्मू-कश्मीर की जनता भी अपप्रचार की बलि ना हो, यह निवेदन इस दौरान शहा ने किया| केंद्र सरकार पर भरोसा रखे, यह कहकर अमित शहा ने अगले पांच वर्षों में जम्मू-कश्मीर की प्रगति तेजी से करने का आश्‍वासन दिया| साथ ही जरूरत पडने पर जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा प्रदान करने का वादा भी केंद्रीय गृहमंत्री ने इस दौरान किया| जम्मू-कश्मीर की जनता को भी जनतंत्र और विकास की उम्मीद है, यह कहकर वहां की जनता भी इस निर्णय का स्वागत कर रही है, यह विश्‍वास केंद्रीय गृहमंत्री अमित शहा ने व्यक्त किया|

धारा ३७० की पृष्ठभूमि

वर्ष १९४७ में भारत को आजादी मिल रही थी तभी कश्मीर यह स्वतंत्र संस्थान था| कश्मीर के महाराजा हरिसिंग ने पाकिस्तानी कबिलियों ने राज्य में घुसपैठ करने पर भारत में शामिल होने संबंधी समझौते पर हस्ताक्षर किए|

वर्ष १९४९ में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने के लिए धारा ३७० का प्रावधान किया गया| इस धारा की वजह से भारत के कानून जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की अनुमति मिलने के बाद ही लागू हो सकते है|

धारा ३७० में १९५४ में धारा ‘३५ए’ जोडा गया| इस के साथ ही इस राज्य में जन्मी व्यक्ति ही वहां की निवासी समझी जाती है| दुसरें राज्य के किसी भी नागरिक को वहां पर जमीन या जायदाद खरीदना मुमकिन नही|

जम्मू-कश्मीर में जन्मी महीला ने इस राज्य के बाहरी नागरिक से विवाह किया तो उसका जम्मू-कश्मीर की उसकी जायदाद का हक गंवाएगी, यह प्रावधान धारा ‘३५ए’ में है| इस वजह से यह धारा महिलाओं पर अन्याय करनेवाली और असमानता का पुरस्कार करनेवारी होने की आलोचना हो रही थी|

यदि, जम्मू-कश्मीर अपना अभिन्न अगं होने का दावा भारत करता है तो फिर इस राज्य को भारत ने धारा ३७० लागू करके विशेष अधिकार क्यों दिया है, यह सवाल पाकिस्तान के नेता, मुत्सद्दी एवं पत्रकार लगातार कर रहे थे|

सौजन्य : http://www.aniruddhafriend-samirsinh.com/a-historic-decision-that-will-shape-the-future-of-india/

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