देश के आत्मसम्मान को ठेस पहुँचानेवालों को क़रारा जवाब मिलेगा – रक्षामंत्री राजनाथ सिंग की चीन को नयी चेतावनी

बंगळुरू – ‘लद्दाख की एलएसी पर चीन के साथ हुए संघर्ष के बाद भारतीय सैनिकों ने दिखाये पराक्रम और संयम की जानकारी जिस भारतीय को मिलेगी, उसका सिर गर्व से ऊँचा हुए बग़ैर नहीं रहेगा। दुनिया की कितनी भी बड़ी ताकत ने भारत के सम्मान को ठेस पहुँचाने की कोशिश की ही, तो उसे भारतीय सैनिकों द्वारा क़रारा जवाब दिया जायेगा’, ऐसा रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने जताया है।

बंगळुरू में आयोजित किये गये कार्यक्रम में निवृत्त सैनिकों को संबोधित करते समय रक्षामंत्री बात कर रहे थे। पाकिस्तान के साथ एलओसी पर और चीन के साथ एलएसी पर जारी गतिविधियों का हवाला इस समय रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने दिया। पाकिस्तान एलओसी पर बार बार संघर्षबंदी का उल्लंघन करके गोलीबारी कर रहा है। उसे भारतीय सैनिकों द्वारा मुँहतोड़ जवाब दिया जा रहा है, ऐसा रक्षामंत्री ने किया। साथ ही, लद्दाख की एलएसी पर भारतीय सैनिकों ने चीन के विरोध में किये पराक्रम का इस समय रक्षामंत्री ने गौरवपूर्ण ज़िक्र किया। ‘लद्दाख की एलएसी पर भारतीय सैनिकों ने दिखाया पराक्रम और संयम की देशवासियों को कितनी जानकारी है, यह पता नहीं। लेकिन जिस किसी को इसकी जानकारी मिली है, उस हर एक भारतीय का सिर गर्व से ऊँचा हुए बग़ैर नहीं रहेगा’, ऐसे गौरवोद्गार राजनाथ सिंग ने कहे।

‘भारत को पड़ोसी देशों के साथ युद्ध अपेक्षित नहीं है, बल्कि भारत सभी देशों के साथ मित्रता चाहता है। दूसरे देश के सम्मान को भारत कभी भी ठेंस नहीं पहुँचायेगा। लेकिन यदि भारत के सम्मान को ठेंस पहुँचाने की कोशिश दुनिया की कितनी भी बड़ी ताकत ने किया, तो भारतीय सैनिकों द्वारा उसे क़रारा जवाब दिया जायेगा’, ऐसा रक्षामंत्री ने डटकर कहा। पिछले कुछ हफ़्तों से रक्षामंत्री लगातार ऐसीं चेतावनियाँ दे रहे होकर, ठेंठ चीन का उल्लेख कर रहे हैं। वहीं, देश के रक्षाबलप्रमुख, लष्करप्रमुख और वायुसेनाप्रमुख लगातार लद्दाख की एलएसी का दौरा करके यहाँ की रक्षासिद्धता का जायज़ा ले रहे हैं। यह संजोग न होकर, इसका चीन की गतिविधियों से ताल्लुक होने के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं।

लद्दाख की गलवान वैली में हुए संघर्ष में कर्नल संतोष बाबू समेत भारत के २० जवान शहीद हुए थे। लेकिन इस संघर्ष में चीन का बहुत बड़ा नुकसान हुआ होकर, मारे गये अपने जवानों की संख्या चीन ने सार्वजनिक नहीं की है। इस संघर्ष में भारतीय सेना की तुलना में अपनी अधिक हानि हुई, यह बात छिपाने की कोशिश चीन द्वारा की जा रही है। उसके बाद के समय में भी भारतीय सैनिकों ने चीन के लष्कर का दबाव ठुकराकर इस क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं की विकास परियोजनाएँ शुरू कीं थीं। इससे भारतीय लष्कर की यातायात और तैनाती अधिक सुलभ बनी है। इतना ही नहीं, बल्कि पिछले साल के अगस्त महीने के अन्त में भारतीय लष्कर ने लद्दाख के पँगॉंग सरोवर क्षेत्र की दक्षिणी ओर की अहम पहाड़ियों पर कब्ज़ा किया था। इन पहाड़ियों पर चीन ने रक्षासामग्री तैनात करके अपना दावा मज़बूत करने की तैयारी की थी। इस कारण, इन पहाड़ियों पर भारतीय सेना का कब्ज़ा, यह चीन के लिए झटका देनेवाली बात साबित हुई थी।

इन पहाड़ियों पर कब्ज़ा करने के लिए चीन के लष्कर ने दो बार आक्रमण करने की कोशिश की। लेकिन भारतीय सैनिकों ने चीन के जवानों को यहाँ से खदेड़ दिया। इसकी गंभीर दखल लेकर चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने, चिनी लष्कर के संबंधित अधिकारियों को डाँट पिलायी होने की ख़बरें आयीं थीं। साथ ही, उसके बाद चिनी लष्कर के वरिष्ठ अधिकारियों का तबादला करके, उनकी जगह पर दूसरे अधिकारी नियुक्त किये गये हैं। लद्दाख की एलएसी पर कड़ी ठंड़ में की हुई हज़ारों जवानों की तैनाती भी चीन के लिए अप्रतिष्ठा का विषय बना था। यहाँ पर नला होता. इथे चिनी जवान ठंड़ में ठिठुर रहे होने की और उस कारण बीमार पड़ने की ख़बरें आयीं थीं।

लद्दाख के इस संघर्ष में भारत की जीत हुई होकर, चीन के लिए यह ‘वॉर्निंगबेल’ होने का स्पष्ट मत पश्‍चिमी विश्‍लेषक व्यक्त कर रहे हैं। इसी से बेचैन हुआ चीन, लद्दाख की एलएसी पर भारत को झटका देकर अपनी प्रतिष्ठा फिर से हासिल करने की जानतोड़ कोशिशें कर रहा है। इसके लिए चीन द्वारा कीं जानेवालीं कोशिशें अब स्पष्ट रूप से दिखायीं देने लगीं हैं। उसी समय, चीन ने यहाँ से दस हज़ार जवान हटाये होने कीं ख़बरें भी सामने आ रहीं हैं। ऐसी ख़बरें फ़ैलाकर भारत को गाफ़िल रखकर कोई हरक़त करने की साज़िश चीन बनायी होगी, ऐसी गहरी संभावना सामने आ रही है। लेकिन भारतीय सेना ने केवल लद्दाख ही नहीं, बल्कि पूरी  एलएसी पर ही सतर्कता बढ़ायी है। लष्करप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने इसकी घोषणा की थी।

इस पृष्ठभूमि पर, रक्षामंत्री राजनाथ सिंग द्वारा चीन को लगातार चेतावनियाँ दी जा रहीं हैं। भारत के सम्मान को ठेंस पहुँचाने की कोशिश करनेवाले चीन का ही इससे नुकसान होगा, यह संदेश देश के रक्षामंत्री लगातार दे रहे हैं।

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