लद्दाख की ‘एलएसी’ पर बना तनाव चीन के हित में नहीं है – विदेशमंत्री एस.जयशंकर

नई दिल्ली – ‘लद्दाख की ‘एलएसी’ पर बनी स्थिति बेचैन करनेवाली है। बीते सात महीने भारत के लिए कसौटी से भरे साबित हुए। लेकिन, भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चुनौती को परास्त किए बगैर नहीं रहेगा’, ऐसा आत्मविश्‍वास विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने व्यक्त किया। ‘एलएसी’ पर हुए संघर्ष की वजह से भारत में चीन की विश्‍वसनीयता खत्म होने का खतरा है और सीमा पर बना तनाव चीन के हित में नहीं है’, ऐसा इशारा विदेशमंत्री ने दिया। साथ ही ‘एलएसी’ पर बने विवाद का हल इतने में निकलने की संभावना ना होने के संकेत भी विदेशमंत्री जयशंकर ने दिए।

ladakh-lac-china‘फेडरेशन ऑफ इंडियन चेंबर्स ऑफ कॉमर्स ऐण्ड इंडस्ट्री’ (फिक्की) की बैठक को संबोधित करते समय विदेशमंत्री जयशंकर ने फिरसे चीन को चेतावनी दी। लद्दाख की पूर्वी ‘एलएसी’ की घटनाएँ काफी बेचैन करनेवाली हैं, ऐसा कहकर जयशंकर ने चीन की हरकतों को भारत गंभीरता से देख रहा है, यह बात भी स्पष्ट की। भारत के साथ सरहद संबंधित किए गए समझौतों का पालन करने के लिए चीन तैयार नहीं है, इसी कारण यह स्थिति निर्माण हुई है। यह स्थिति ऐसी ही बनी रही और चीन ने पीछे हटने से इन्कार किया तो सीमा पर तनाव अधिक बिगड़ सकता है, इस बात का अहसास भी विदेशमंत्री ने कराया।

वर्ष १९६२ में गाफिल रहे भारत पर हमला करके विश्‍वासघात करनेवाले चीन को भारत में अपनी प्रतिमा सुधारने के लिए कई दशकों तक कोशिश करनी पड़ी थी। सीधा ज़िक्र किए बगैर इस बात की याद ताज़ा करके जयशंकर ने चीन ने इस दौरान जो भी विश्‍वसनीयता प्राप्त की थी, वह अब खोने का खतरा निर्माण हुआ है, यह इशारा भी दिया। ‘हमारे बचपन से चीन को लेकर भारतीय नागरिकों ने अपनाई भूमिका में बदलाव होता हमने अनुभव किया है’, ऐसा कहकर जयशंकर ने चीन ने दुबारा भारतीय नागरिकों का विश्‍वास खोया है, ऐसे संकेत दिए।

एलएसी’ पर निर्माण हुई स्थिति चीन के हित में नहीं है। भारतीय नागरिकों के मन में चीन के खिलाफ गुस्सा उमड़ रहा है। इससे दोनों देशों के संबंधों पर असर हुए बगैर नहीं रहेगा, ऐसा स्पष्ट बयान भी भारतीय विदेशमंत्री ने किया। बीते सात महीनों का समय भारत के लिए कसौटी से भरा रहा। लेकिन, राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियों को परास्त करने के लिए भारतीय खड़े हुए हैं और इस चुनौती को हम यकीनन परास्त करेंगे, यह विश्‍वास भी विदेशमंत्री जयशंकर ने व्यक्त किया। चीन के साथ जारी तनाव कम करने के लिए गंभीरता से चर्चा जारी है, यह बात सच है। लेकिन, यह तनाव पुख्ता कब खत्म होगा, यह अभी कहना संभव नहीं होगा, यह बात भी जयशंकर ने आगे कही।

इस मुद्दे को लेकर हमें संभावना व्यक्त नहीं करनी है, ऐसा कहकर विदेशमंत्री ने इतनी जल्दी इस समस्या का हल निकलने की संभावना नज़र में ना होने के संकेत दिए। लगातार ‘एलएसी’ पर गैरज़िम्मेदार हरकतें करने के बड़े परिणाम चीन को भगुतने होंगे, भारतीय नेता ऐसे इशारे दे रहे हैं। लद्दाख की ‘एलएसी’ पर हज़ारों सैनिक एवं प्रगत हथियारों की तैनाती करके भारत के साथ व्यापारी संबंध पहले की भांति जारी रहेंगे, इस भ्रम में चीन को नहीं रहना चाहिये, ऐसा स्पष्ट संदेश भारत दे रहा है। इसके बावजूद चीन ने अपनी अड़ियलता नहीं छोड़ी है और भारत पर लष्करी दबाव बढ़ाने के लिए चीन विभिन्न विकल्प अपना रहा है।

इस वजह से भारत कर रही आलोचना अधिक से अधिक तीव्र हो रही है। इसके बाद भी चीन ने ‘एलएसी’ से पीछे हटने का कदम नहीं उठाया तो उसे इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, ऐसे इशारे भारत दे रहा है। लेकिन, लद्दाख के पूर्वी क्षेत्र में हुई तैनाती अब चीन की प्रतिष्ठा का विषय बना है। वहां से भारत पीछे हटे, यह उम्मीद चीन व्यक्त कर रहा है। लेकिन, इस बार चीन पर भरोसा करने के लिए भारत तैयार नहीं है। भारत से दगा करने का नया अवसर चीन को ना दें, ऐसा पूर्व लष्करी अधिकारियों का कहना है। साथ ही अपनी सेना भारत से अधिक ताकतवर है, यह चीन का भ्रम दूर करने का अवसर है, इसका पूरा इस्तेमाल करना ही होगा, यह सुझाव भी यह पूर्व लष्करी अधिकारी दे रहे हैं।

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