भारत ने बढ़ाये रक्षा खर्च पर चीन की टिप्पणी

बीजिंग – कोरोना की महामारी के कारण भारत की अर्थव्यवस्था संकट में फंस गई है। ऐसी स्थिति में भारत अपनी क्षमता से बाहर होने वाले हथियारों की खरीद करके, रक्षा खर्च बढ़ाता चला जा रहा है। लेकिन विदेशी हथियार खरीदकर भारत के लष्कर का आधुनिकीकरण नहीं होगा, ऐसी टिप्पणी चीन का सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाईम्स ने की। भारत के रक्षा खर्च पर ऐसी टिप्पणियां करते समय, चीन लद्दाख की एलएसी पर बड़े पैमाने पर टैंकों की तैनाती बढ़ा रहा है, ऐसी जानकारी न्यूज़ चैनल दे रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर, भारतीय लष्कर के आधुनिकीकरण पर ग्लोबल टाइम्स ने की आलोचना, यह चीन के पेट दर्द का ही हिस्सा दिखाई दे रहा है।

चीन की टिप्पणीलद्दाख की एलएसी पर बना तनाव कम करने के लिए भारत-चीन के लष्करी अधिकारियों के बीच चर्चा का नौंवा सत्र हाल ही में संपन्न हुआ। यह चर्चा भी निष्फल साबित हुई। भारत लद्दाख की एलएसी से सेना हटाएँ, ऐसी चीन की इकतरफा मांग है। वही, यहाँ की एलएसी पर अप्रैल महीने से पहले की स्थिति स्थापित हो, ऐसा भारत का कहना है। लेकिन चीन उसे मान्य करके इस क्षेत्र से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है। इस कारण एलएसी पर तनाव कायम है। ऐसी स्थिति में, चीन ने लद्दाख की एलएसी पर बड़े पैमाने पर जवान और टैंक तैनात करके उनकी गतिविधियां शुरू कीं हैं। यह भारत पर लष्करी दबाव बनाने की चीन की कोशिश है, ऐसा कहा जाता है।

इस पृृष्ठभूूमि पर, सोमवार को प्रस्तुत किए गए भारत के बजट में, रक्षा खर्च में १९% की बढ़ोतरी की गई है। यह पिछले १५ सालों का उच्चांक साबित होता है। साथ ही, नए हथियार और रक्षा सामग्री इनकी खरीद के लिए स्वतंत्र रकम का प्रावधान भी इस बजट में किया गया है। साथ ही, लष्कर के आधुनिकीकरण के लिए आवश्यक निधि की आपूर्ति की जाएगी, ऐसा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने घोषित किया था। भारत के बजट की ओर बहुत ही बारीकी से देखने वाले चीन से इस पर प्रतिक्रिया आई है। चीन का सरकारी मुखपत्र होने वाले ग्लोबल टाइम्स ने इस पर टिप्पणियाँ कीं हैं।

चीन की टिप्पणीकोरोना की महामारी के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था संकट में फंसी है। ऐसे दौर में, इस संकट से बाहर निकलने के लिए अधिक आर्थिक प्रावधान करने के बजाय, भारत अपने रक्षा खर्च में बढ़ोतरी कर रहा है। इससे भारत की अर्थव्यवस्था अधिक ही खतरे में पड़ जाएगी, ऐसी चेतावनी ग्लोबल टाइम्स ने दी है। इतना ही नहीं, बल्कि महंगे हथियारों की खरीद करके अपने लष्कर का आधुनिकीकरण करने का लक्ष्य भारत कभी भी पूरा नहीं कर सकता, ऐसा दावा ग्लोबल टाईम्स ने ठोका है। इसके लिए चीन के सरकारी अखबार ने, अपने कुछ विश्लेषकों के दावों का हवाला दिया है।

कोरोना की महामारी होने के बावजूद भी भारत ने अमरीका, इस्रायल, रशिया और फ्रान्स इन देशों से बड़े पैमाने पर हथियारों की खरीद की। अपनी मर्यादित लष्करी ताकत को बढ़ाने के लिए भारत ने की यह कोशिश पर्याप्त साबित नहीं होगी, ऐसा चीन के विश्लेषकों का दावा इस खबर में दिया गया है। यदि भारत के इन हथियारों का नुकसान हुआ, तो उनके स्थान पर दूसरे हथियार प्राप्त करना भारत के लिए मुश्किल बनेगा, ऐसा चीन के विश्लेषक सॉंग झॉंगपिंग ने जताया है। लेकिन चीन हथियार और रक्षा सामग्री का निर्माण अपने देश में ही कर रहा होने के कारण, इस मोर्चे पर भारत को मात दे सकता है, ऐसे संकेत देने की कोशिश चीनी विश्लेषक कर रहे हैं।

इससे पहले भी चीन ने इस प्रकार के दावे किए थे। लेकिन दर्जा, विश्‍वासार्हता तथा परीक्षण इन तीनों मोर्चों पर चीन के हथियार नाकाम साबित हो रहे होने की बात इससे पहले भी बार-बार सामने आई थी। मुख्य बात यानी चीन ने पिछले कई दशकों में एक भी युद्ध का सामना नहीं किया है। साथ ही, चीनी बनावट के हथियार और रक्षा सामग्री इनका भी परीक्षण आज तक नहीं हुआ है, इस पर भी भारतीय विश्लेषक गौर फरमा रहे हैं। लद्दाख की सर्दी का सामना करने के लिए चीन के जवानों के पास गर्म कपड़े भी नहीं थे। साथ ही चीन के लष्कर के जवान लद्दाख की ठंड में पूरी तरह सर्द हो गए, यह बात भी चिनी लष्कर की अव्यवसायिकता दर्शाने वाली साबित होती है।

इस कारण ग्लोबल टाइम्स जैसे अपने सरकारी मुखपत्र के द्वारा भारत को नीचा दिखाने की चीन की कोशिश हास्यास्पद साबित होती है। वास्तव में भारतीय रक्षा बलों की युद्धसिद्धता को देखकर चीन अत्यधिक बेचैन हुआ दिख रहा है।

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