अमरीका-युरोप की सुरक्षा के लिए खतरा बने चीन को रोकना होगा – नाटो और अमरिकी संसद की रिपोर्ट में दर्ज़ चेतावनी

ब्रुसेल्स/वॉशिंग्टन – चीन का बढ़ता सामर्थ्य और बढ़ती हरकतें मौजूदा आन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था के लिए खतरा हैं और इसके खिलाफ अमरीका को अधिक आक्रामक कदम उठाने होंगे, यह चेतावनी अमरिकी संसद की रिपोर्ट में दी गयी है। साथ ही, अमरीका और युरोपिय देशों का लष्करी गठबंधन ‘नाटो’ ने भी यह चेतावनी दी है कि चीन का वर्चस्व युरोप और अमरीका की सुरक्षा के लिए खतरा है। अमरीका और युरोप ने एक ही समय पर जारी कीं ये चेतावनियाँ, जागतिक महासत्ता होने की कोशिश में जुटे चीन की महत्वाकांक्षा की ओर ध्यान केंद्रित करनेवाले साबित हो रहे हैं।

खतरा

बीते दशक से जागतिक स्तर पर दूसरें क्रमांक की अर्थव्यवस्था बनके उभरें चीन ने, व्यापार, तकनीक और रक्षाक्षेत्र में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने के लिए जोरदार कोशिश शुरू की है। आन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सभी क्षेत्रों में अमरीका की बराबरी का स्थान प्राप्त करना और उसके बाद अमरीका को पीछे छोड़कर जागतिक महासत्ता बनना, यह महत्वाकांक्षा चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने रखी है। इसके लिए आर्थिक और लष्करी ताकत के ज़ोर पर, स्वयं को अनुकूल रहनेवाली नीति एवं मूल्यों के अनुसार अन्य देशों में अमल करने की गतिविधियाँ चीन ने शुरू की हैं। कोरोना की महामारी की पृष्ठभूमि पर, चीन की ऐसीं हरकतें स्पष्ट तौर पर सामने आयी हैं और इसपर आन्तर्राष्ट्रीय समुदाय ने तीव्र प्रतिक्रिया देना शुरू किया हैं।

खतराअमरीका और नाटो ने एक के बाद एक रिपोर्ट जारी करके, इसके ज़रिये चीन से बने खतरे को प्राथमिकता देना, यह भी उसी प्रतिक्रिया का हिस्सा है। ‘नाटो २०३० यूनायटेड फॉर ए न्यू एरा’ नामक रिपोर्ट की शुरुआत में, रशिया और चीन के एकत्रित खतरे का ज़िक्र किया गया है। हालाँकि रशिया का खतरा चर्चा एवं अन्य माध्यमों से दूर करना संभव है, लेकिन, चीन एक सबसे बड़ा और व्यापक खतरा होने का इशारा इस रिपोर्ट में दिया गया हैं। चीन के खतरे का मुकाबला करने के लिए नाटो को, इसके आगे अधिक समय और राजनीति एवं अन्य स्रोतों का इस्तेमाल करना होगा, ऐसी सिफारीश इस रिपोर्ट में की गई है। तकनीक के क्षेत्र में चीन का बढ़ता वर्चस्व एवं चीन की गतिविधियों का नाटो एवं सदस्य देशों की सुरक्षा के लिए जो खतरा बना है, उसे प्रत्युत्तर देने के लिए तैयार रहना होगा, इस बात का अहसास इस रिपोर्ट में कराया गया है।

खतरा

बीते वर्ष हुई नाटो की बैठक में सदस्य देशों के नेताओं ने, चीन के बढ़ते प्रभाव की ओर ध्यान आकर्षित किया था, इस बात का भी ज़िक्र रिपोर्ट में है। साथ ही, चीन की चुनौति रशिया से अलग होने का दावा भी वर्णित रिपोर्ट में किया गया हैं। रशिया का खतरा प्रमुखता से लष्करी स्तर पर था। लेकिन, चीन अपने आर्थिक और लष्करी ताकत के बल पर ‘स्ट्रैटेजिक अजेंड़ा’ चलाने की कोशिश में जुटा है, यह बात नाटो की रिपोर्ट में कही गई है। चीन मात्र लष्करी स्तर पर ही नहीं, बल्कि व्यापार, तकनीक एवं संवेदनशील सुविधाओं से संबंधित क्षेत्रों में भी नाटो की नीति को चुनौती बन रहा है, यह चेतावनी नाटो ने दी है।

चीन के खतरें के विरोध में तैयार होने के संकेत नाटो ने दिए हैं; वहीं, अमरिकी संसद ने भी अपनी सालाना रिपोर्ट में चीन की चुनौतियों के बढ़ते दायरे पर ध्यान आकर्षित किया है। ‘यूएस-चायना इकॉनॉमिक ॲण्ड सिक्युरिटी रिव्ह्यू कमिशन’ ने अपनी रिपोर्ट में यह चेतावनी दी है कि चीन अब आन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था के लिए ही खतरा बना है। आर्थिक, लष्करी, तकनीकी एवं राजनीतिक स्तर पर भी अमरीका को परास्त करने के लिए चीन की गतिविधियाँ जारी हैं और इसके खिलाफ अधिक आग्रही एवं आक्रामक रहकर कार्रवाई करनी होगी, ऐसी साफ सलाह भी यह रिपोर्ट दे रही है।

अमरीका के मूल्य, चीन की महत्वाकांक्षा एवं कम्युनिस्ट हुकूमत के अस्तित्व के लिए खतरा है, यह सोच चीनी राज्यकर्ता रखते हैं, इस बात का अहसास अमरीका के संसदीय आयोग ने कराया हैं। चीन का खतरा रोकने के लिए आयोग ने १९ सिफारिशें की हैं और हर एक क्षेत्र में ‘जैसे को तैसा’ यही भूमिका अपनाने की सलाह दी गई हैं। चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग के कार्यकाल में ही दो देशों के बीच होड़ बढ़ी हैं, यह कहकर, इसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए यही अवसर है, ऐसी चेतावनी भी दी गयी है।

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