चीन-रशिया इंधन पाईपलाईन प्रकल्प के अहम चरण का काम हुआ पूरा

china-russia-gas-pipe-lineबीजिंग/मॉस्को – चीन और रशिया के बीच निर्माण की जा रही नैसर्गिक इंधन गैस पाईपलाईन का अहम चरण सक्रिय होने की जानकारी चीन ने साझा की है। इस माध्यम से रशिया के ‘पॉवर ऑफ सैबेरिया’ इंधन पाईपलाईन का नैसर्गिक इंधन वायू उत्तरी चीन के बीजिंग एवं हेबेई क्षेत्र में पहुँचाया जाएगा। इस पाईपलाईन की वजह से रशिया से चीन को आपूर्ति होनेवाले नैसर्गिक इंधन गैस में २.७ करोड़ घनमीटर इंधन की बढ़ोतरी होगी।

छह वर्ष पहले रशिया और चीन ने ३० वर्ष के लिए महत्वाकांक्षी इंधन समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। यह समझौता करीबन ४०० अरब डॉलर्स का है और वर्ष २०१५ में इन दो देशों के दरमियान इंधन पाईपलाईन के निर्माण की शुरूआत हुई थी। ‘पॉवर ऑफ सैबेरिया’ नामक इस इंधन पाईपलाईन के माध्यम से रशिया से चीन को हर साल दो ट्रिलियन घनफीट इंधन वायू की आपूर्ति होगी। इस गैस पाईपलाईन के ‘ईस्ट रूट’ और ‘वेस्टर्न रूट’ यह दो चरण हैं।

china-russia-gas-pipe-lineइनमें से ‘ईस्ट रूट’ का चरण गुरूवार के दिन पूरा हुआ और इस वजह से चीन की राजधानी बीजिंग समेत हेबेई प्रांत को अतिरिक्त इंधन की आपूर्ति करना संभव होगा। बीते वर्ष इसी इंधन पाईपलाईन के उत्तरी ओर का चरण पूरा होने की जानकारी चीन ने साझा की थी। इसके बाद इस वर्ष जुलाई में ‘पॉवर ऑफ सैबेरिया’ इंधन पाईपलाईन शांघाय तक पहुँचाने के चरण की शुरूआत होने का दावा किया गया था।

बीते कुछ वर्षों में रशिया और चीन के संबंध अधिक मज़बूत हुए हैं। इसमें अब इंधन सहयोग अहम चरण साबित हुआ है। रशिया ने पश्‍चिमी देशों ने लगाए प्रतिबंधों का मुकाबला करने के लिए चीन के साथ सहयोग बढ़ाने का निर्णय किया था। तभी, चीन ने इंधन और कोयले पर बनी निर्भरता कम करने के लिए रशिया से बड़ी मात्रा में नैसर्गिक इंधन का आयात शुरू किया था। इसका चीन ने अपना युआन चलन अधिक मज़बूत करने के लिए इस्तेमाल किया है, यह बात भी सामने आयी है।

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