नाटो के सायबर सुरक्षा गुट में शामिल हुए दक्षिण कोरिया को चीन की चेतावनी

बीजिंग – नाटो के सायबर सुरक्षा गुट में शामिल हो रहा दक्षिण कोरिया पहला एशियाई देश बना है। इससे जागतिक सायबर सुरक्षा का स्तर उंचा होगा, यह दावा दक्षिण कोरिया ने किया। लेकिन, इसपर चीन की प्रतिक्रिया प्राप्त हुई हैं। ‘यदि यूक्रैन का नाटो में शामिल होना रशिया में असुरक्षितता की भावना भड़का सकता हैं तो फिर दक्षिण कोरिया के नाटो मेंशामिल होने पर पड़ोसी चीन, रशिया और उत्तर कोरिया में भी असुरक्षितता की भावना निर्माण होगी और इस क्षेत्र में अशांति बढ़ेगी’, ऐसा इशारा चीन के मुखपत्र ने दिया। नाटो की इन गतिविधियों की वजह से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अस्थिरता निर्माण होगी, यह इशारा इस मुखपत्र ने दिया है।

दक्षिण कोरिया की सुरक्षा यंत्रणा ‘नैशनल इंटेलिजन्स एजेन्सी’ (एनआईए) ने नाटो के सायबर सुरक्षा गुट में दक्षिण कोरिया के समावेश की जानकारी साझा की। नाटो ने ‘को-ऑपरेटिव्ह सायबर डिफेन्स सेंटर ऑफ एक्सलन्सी’ (सीएसडीसीओई) गुट में दक्षिण कोरिया को शामिल किया हैं। नाटो के इस निर्णय पर चीन के सरकारी मुखपत्र ने जोरदार आलोचना की है। ‘दक्षिण कोरिया को नाटो में शामिल करने की कोशिश इस क्षेत्र के देशों को चीन और रशिया के विरोध में खड़ा कर सकती है। साथ ही इस वजह से क्षेत्रीय भू-राजनीतिक गतिविधियों में पश्‍चिमी देशों का हस्तक्षेप बढ़ेगा’, यह इशारा ग्लोबल टाईम्स ने दिया।

ऐसें में दक्षिण कोरिया को नाटो के सायबर सुरक्षा गुट मेंशामिल करने का निर्णय अमरीका की योजना का बड़ा हिस्सा बनता हैं, यह दावा चीन के वरिष्ठ सैन्य विश्‍लेषक साँग झाँगपिंग ने चीनी मुखपत्र से बोलते समय किया। ‘अमरीका को चीन या रशिया विरोधी प्रत्यक्ष युद्ध को जितना हैं या वर्चस्व प्राप्त करना हैं तो इसके लिए इन दोनों देशों से जुड़ी खुफिया जानकारी प्राप्त करना अमरीका के लिए काफी आवश्‍यक है। इसी कारण दक्षिण कोरिया का नाटो में शामिल होना अमरीका की इस योजना का हिस्सा बनता हैं’, ऐसा झाँगपिंग ने कहा है। दक्षिण कोरिया के नवनियुक्त राष्ट्राध्यक्ष युन सुक-येओल भी अमरीका के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं, इसपर झाँगपिंग ने ध्यान आकर्षित किया।

ऐसी स्थिति में दक्षिण कोरिया नाटो के सैन्य गुट का हिस्सा बना या इस देश ने नाटो से सहयोग बढ़ाया तो इससे दक्षिण कोरिया ही अधिक असुरक्षित होगा, ऐसाइशारा चीन के सैन्य विश्‍लेषकों ने दिया। दक्षिण कोरिया ने पड़ोसी देशों से सौहार्दता और विश्‍वास स्थापित किया तो ही दक्षिण कोरिया की सुरक्षा की गारंटी देना मुमकिन होगा,ऐसा झाँगपिंग ने धमकाया। इसके लिए चीन के सैन्य विश्‍लेषकों ने नाटो का हिस्सा हुए यूरोपिय देशों का दाखिला दिया।

‘नाटो में शामिल अधिकांश यूरोपिय देश फिलहाल किसी ना किसी संकट का सामना कर रहे हैं। इन देशों के संसाधन और संपत्ति सीमित हुए हैं। ऐसी स्थिति में नाटो का एशियाई देशों में विस्तार हुआ तो इससे ब्रिटेन जैसें कुछ ही देशों को लाभ प्राप्त होगा’, ऐसा दावा झाँगपिंग ने किया।

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