चीन की ‘सॉल्टेड’ परमाणु बम के निर्माण के लिए प्रयत्न – अंतर्राष्ट्रीय परमाणु शास्त्रज्ञों का दावा

बीजिंग: परमाणु बम से भी भीषण विनाश करने वाले ‘सॉल्टेड’ परमाणु बम के निर्माण के लिए चीन ने तेजी से तैयारी शुरू की है। पिछले हफ्ते चीन ने ‘टँटालूम’ के रेडियोधर्मी आयसोटोप का सफल परीक्षण करने के बाद अंतर्राष्ट्रीय शास्त्रज्ञों  ने यह दावा किया है। इस ‘सॉल्टेड’ परमाणु बम के हमले की वजह से बहुत बड़ा भूभाग आने वाले कई दशकों के लिए निर्जन बन सकता है, ऐसा इशारा अंतर्राष्ट्रीय शास्त्रज्ञ  दे रहे हैं।

‘चायनिज अकॅदमी ऑफ़ सायन्सेस’ इस चीनी प्रयोगशाला ने गांसू प्रान्त के ‘लँझो’ संशोधन केंद्र में कुछ दिनों पहले एक परीक्षण किया। ‘टँटालूम’ इस मुलधातु के इस्तेमाल वाले रेडियोधर्मी आयसोटोप का परीक्षण किया है, ऐसा चीनी शास्त्रज्ञों  ने घोषित किया है। इस आयसोटोप के बहुत ही तप्त ‘बीम’ उत्सर्जित किए गए थे। चीन की सुरक्षा यंत्रणाओं ने सदर परीक्षण लष्कर की सामरिक अपेक्षा के अनुसार पूरा हुआ है, ऐसा कहा है।

‘सॉल्टेड’ परमाणु बम

परमाणु बम के निर्माण के लिए ‘टँटालूम’ का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इस मुलधातु को पिघलने के लिए तीन हजार डिग्री सेल्सिअस की उष्णता निर्माण करनी पडती है। इसमें समय और पैसा बड़े पैमाने पर खर्च होता है। लेकिन ‘सॉल्टेड’ परमाणु बम के निर्माण के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले धातु में ‘टँटालूम’ का समावेश होता है। इसलिए चीन इस परमाणु बम की निर्मिती कर रहा है, ऐसा दावा अंतर्राष्ट्रीय शास्त्रज्ञ  कर रहे हैं।

चीन की प्रयोगशाला ने दी हुई जानकारी के अनुसार, सदर परीक्षण के लिए ‘टँटालूम’ का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया है। इस वजह से आम्ल, अल्क, क्षार के विद्युतभारित कण ‘ईयॉन’ का बड़े पैमाने पर उत्सर्जन हुआ। ‘ईयॉन’ भारीत अनु के उत्सर्जन की वजह से कोई भी भूभाग आने वाले कई वर्षों के लिए बंजर बन सकता है। उसीके साथ ही टँटालूम, ईयॉन और कोबाल्ट का समावेश वाले ‘सॉल्टेड’ परमाणु बम के विस्फोट की वजह से भीषण पैमाने पर मन्युष्य हानि होती है।

सदर परमाणु बम के विस्फोट के आसपास की जगह पर रेडियोधर्मी आयसोटोप के बादल जमा होकर ऐसे हवाई क्षेत्र से विमान यात्रा भी संभव नहीं होती, ऐसा दावा शास्त्रज्ञ कर रहे हैं।

इसके पहले शीतयुद्ध के काल में अमरिका और ब्रिटन ने क्रमशः टँटालूम और कोबाल्ट का इस्तेमाल किए गए बम का परीक्षण किया था। १९५० के दशक में अमरिका ने ३० किलो वजन के ‘डर्टी’ बम में ‘टँटालूम’ का और ब्रिटन ने एक किलो टन कोबाल्ट बम का परीक्षण किया था। लेकिन उसके बाद इन दोनों देशों ने ‘सॉल्टेड’ परमाणु बम का परीक्षण नहीं किया। पिछले कई वर्षों के बाद पहली बार चीन ने ऐसे मुलधातुओं का इस्तेमाल करके सदर परमाणु बम के निर्माण के लिए प्रयत्न करने की जानकारी सामने आ रही है। चीनी यंत्रणाओं ने टँटालूम के परीक्षण के अलावा अन्य जानकारी नहीं दी है।

दौरान, चीन अपने लष्करी सामर्थ्य में बढ़ोत्तरी कर रहा है, जिससे अमरिका की सुरक्षा को खतरा है, ऐसा इशारा अमरिका के ‘पॅकॉम’ के कमांडर ॲडमिरल हॅरी हॅरिस ने कुछ घंटों पहले दिया था अमरिका की नौसेना चीन की इस शस्त्र सज्जता का मुकाबला करने के लिए तैयार है। फिर भी अमरिका ने चीन के सामर्थ्य को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, ऐसा ॲडमिरल हॅरिस ने इशारा दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.