नाटो बैठक की एजंड़ा पर ‘चाइना थ्रेट’ का मुद्दा भी

विल्निअस/बीजिंग – ‘चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत द्वारा विदेशों में थोंपी जा रही नीति और देश में अंदरुनि स्तर पर शुरू दमन का मुद्दा नाटो के हितसंबंध, सुरक्षा और मुल्यों को खुली चुनौती दे रहा हैं। चीन अपने पड़ोसी देशों को धमका रहा हैं और अन्य देशों पर धौंस जमा रहा हैं। चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत नाटो सदस्य देशों के संवेदनशील उत्पादों की सप्लाई चेन एवं बुनियादी सुविधाओं पर नियंत्रण पाने की कोशिश में लगी है। इस वजह से चीन का खतरा अब सीधे नाटो के ३१ सदस्य देशों की भूमि तक पहुंचता दिख रहा हैं’, इन शब्दों में नाटो प्रमुख जेन्स स्टॉल्टनबर्ग ने चीन के बढ़ते खतरे को लेकर आगाह किया।

‘चाइना थ्रेट’स्टॉल्टनबर्ग की यह चेतावनी और मंगलवार से शुरू हुई नाटो की बैठक में एशिया के चार देशों की उपस्थिति रहने से ‘चाइना थ्रेट’ का मुद्दा नाटो के एजंड़ा पर होने के स्पष्ट संकेत प्राप्त हो रहे हैं। यूक्रेन में शुरू युद्ध में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के प्रमुख देशों ने अमरीका और नाटो को भारी मात्रा में सहायता करना जारी रखा है। यूक्रेन को सैन्य एवं आर्थिक सहायता मुहैया करने के साथ ही रशिया पर प्रतिबंध लगाने में भी इन देशों ने सहयोग किया है। इनमें जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड इन देशों का समावेश हैं। इसका अहसास रखकर नाटो ने इन चारों देशों के राष्ट्रप्रमुख इस बैठक के लिए आमंत्रित किए हैं। 

पिछले साल माद्रिद में आयोजित बैठक में भी इन चार देशों के राष्ट्रप्रमुख उपस्थित थे। माद्रिद की बैठक में ताइवान एवं पैसिफिक क्षेत्र में चीन की जारी गतिविधियों का ज़िक्र किया गया था। साथ ही नाटो आगे के समय में इंडो-पैसिफिक में अपनी गतिविधियां बढ़ाएगी, ऐसे संकेत भी दिए गए थे। इसके बाद पिछले साल से नाटो प्रमुख ने जापान एवं दक्षिण कोरिया जैसे प्रमुख देशों का दौरा किया है। दक्षिण कोरिया को नाटो के साइबर सुरक्षा से संबंधित गुट में शामिल करने की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं। साथ ही जापान में नाटो का दफ्तर शुरू करने की तैयारी भी हो रही है। 

इस पृष्ठभूमि पर नाटो प्रमुख स्टॉल्टनबर्ग ने यह बैठक शुरू होने से पहले चीन के खतरे का स्पष्ट ज़िक्र करना ध्यान आकर्षित करता है। नाटो प्रमुख ने जापान और दक्षिण कोरिया के दिए दौरे का दाखिला देकर इन देशों के नेताओं ने व्यक्त किया ड़र भी बयान किया। आज जो भी कुछ यूरोप में हो रहा हैं, वहीं आगे एशिया में भी हो सकता है, ऐसी चिंता इस क्षेत्र के नेता जता रहे हैं, ऐसा इशारा स्टॉल्टनबर्ग ने दिया। चीन जैसें एकतंत्र से चलनेवाला देश रशिया की यूक्रेन में शुरू कार्रवाई पर बारीकी से गौर कर रहा हैं और आक्रामक गतिविधियों के परिणामों पर नज़रें बनाए हैं, इसका अहसास भी नाटो प्रमुख ने इस दौरान कराया।

जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड यह अमरीका-नाटो के सहयोगी देश हैं। इन देशों की सुरक्षा को चीन से खतरा होने का दावा अमरीका और नाटो ने पहले भी किया था। इन देशों के एवं इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपने हितसंबंधों की सुरक्षा के लिए अमरीका ने जापान-दक्षिण कोरिया एवं ऑस्ट्रेलिया के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाया है। इस वजह से आगे के समय में नाटो भी इस क्षेत्र के देशों से खुलेआम सहयोग बढ़ाने की नीति अपनाएगा, ऐसे संकेत नाटो प्रमुख के बयान से प्राप्त हो रहे हैं। 

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