अफगानिस्तान के मामले में बने चीन-पाकिस्तान सहयोग के कारण अमरिकी विदेश मंत्री के भारत दौरे का महत्व बढ़ा

भारत दौरे का महत्वनई दिल्ली – पाकिस्तान और तालिबान का इस्तेमाल करके चीन अफगानिस्तान में वर्चस्व स्थापित करने के लिए गतिविधियाँ कर रहा है। तालिबान को शत्रु के रूप में देखना चीन के हित में नहीं है, ऐसा दावा चीन के मुखपत्र ने किया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी के साथ हुई चर्चा में चीन के विदेश मंत्री वँग ई ने, चीन और पाकिस्तान अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने के लिए संयुक्त प्रयास करें, ऐसा संदेश दिया है। लेकिन चीन और पाकिस्तान के लिए संयुक्त प्रयास, अफगानिस्तान की खनिज संपत्ती लूटना और इस देश की भूमि का सामरिक इस्तेमाल करके भारत को चुनौती देना, इतने तक ही मर्यादित साबित हो सकते हैं। इससे भारत समेत अमरीका के सुरक्षाविषयक हितसंबंध खतरे में पड़ने की गहरी संभावना सामने आई है। ऐसी परिस्थिति में अमरीका के विदेश मंत्री ब्लिंकन के भारत दौरे का महत्व बढ़ा है।

भारत दौरे का महत्वअमरिकी विदेश मंत्री के इस दौरे में भारत के मानवाधिकारों का मुद्दा उपस्थित किया जाएगा, ऐसा चर्चा किया जा रहा है। लेकिन अगर अमरीका ने यह मुद्दा उपस्थित किया भी, तो उसे भारत द्वारा दिए जानेवाले संभाव्य उत्तर की चर्चा भी माध्यमों द्वारा की जा रही है। ऐसा होने के बावजूद भी, अफगानिस्तान की परिस्थिति यह विदेश मंत्री क्लिंटन के दौरे में सबसे अहम मुद्दा होगा, इसपर विश्लेषकों का एकमत है। अमरीका की सेनावापसी के बाद अफगानिस्तान में तालिबान का हिंसाचार प्रचंड मात्रा में बढ़ा है। तालिबान के कब्ज़े में आये इलाको में जनता पर किए जा रहे अत्याचारों की खबरें अंतर्राष्ट्रीय माध्यमों में चर्चा में है। ऐसी परिस्थिति में, अमरीका ने अफगानिस्तान को बीच रास्ते में छोड़ा होने की आलोचना की जा रही है। अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष जॉर्ज बुश तथा पूर्व लष्करी अधिकारी भी ऐसी चेतावनी दे रहे हैं कि अफगानिस्तान से सेनावापसी के फैसले से पछतावा करने की नौबत आएगी। इस कारण अफगानिस्तान में तालिबान को रोकने के लिए बायडेन प्रशासन पर दबाव बढ़ा है।

इसलिए अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों की सहायता लेकर बायडेन प्रशासन अफगानिस्तान पर नियंत्रण पाने की योजना पर काम कर रहा है। इसमें भारत को बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होने की बात बताई जाती है। लेकिन इसकी स्पष्ट रूपरेखा अभी भी सामने नहीं आई है। विदेश मंत्री ब्लिंकन के इस दौरे में अफगानिस्तान पर बारीकी से चर्चा अपेक्षित है। अफगानिस्तान में तालिबान को मिल रही सफलता, पाकिस्तान के समर्थन पर निर्भर है। पाकिस्तान में होनेवाले तालिबान के ‘सुरक्षित आश्रयस्थानों’ का मुद्दा विदेश मंत्री जयशंकर और विदेश मंत्री ब्लिंकन की चर्चा में अग्रस्थान पर होगा, ऐसा बताया जाता है। उसी समय, चीन अफगानिस्तान में प्रभाव बढ़ाने के लिए कर रहे कोशिशों की भी भारत तथा अमरीका द्वारा गंभीर दखल ली जाएगी, ऐसा दिखाई देने लगा है।

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