प्रधानमंत्री के अरुणाचल प्रदेश दौरे पर चीन का आक्षेप

इटानगर / बीजिंग: गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश को भेंट दी थी। इस दौरे पर चीन ने आक्षेप जताया है। भारतीय नेताओं के अरुणाचल प्रदेश भेंट की वजह से दोनों देशों में सीमाविवाद की उलझन अधिक बढ़ सकती है, ऐसा दावा चीन के विदेश मंत्रालय ने किया है। तथा भारत के साथ राजनीतिक मार्ग से यह मुद्दा उपस्थित हो सकता है, ऐसा चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है।

प्रधानमंत्री मोदी गुरुवार को अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर आए थे। अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर में निर्माण हुए ‘डोरजी खांडू स्टेट कन्वेंशन सेंटर’ के तथा राज्य के सचिवालय के नए इमारत का उद्घाटन प्रधानमंत्री के हाथों संपन्न हुआ है। एक मेडिकल कॉलेज की नींव रखने के कार्यक्रम मे भी प्रधानमंत्री मोदी उपस्थित थे। दिल्ली से नाहरलगुन ‘सुपरफास्ट एक्सप्रेस’ यह नाम बदलकर ‘अरुणाचल एक्सप्रेस’ किया गया है और इस एक्सप्रेस के फेरे बढ़ाने की घोषणा उस समय प्रधानमंत्री ने की है।

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने सन २०२७ तक अरुणाचल प्रदेश के संपूर्ण स्वरूप बदलने का प्लान तैयार किया है और इस प्लान की प्रधानमंत्री मोदी ने प्रशंसा की है।

प्रधानमंत्री मोदी के अरुणाचल प्रदेश दौरे पर चीन ने तीव्र आक्षेप जताया है। चीन ने अरुणाचल प्रदेश को मान्यता दी नहीं है और इस विवादास्पद भाग में भारतीय नेताओं की भेंट क चीन का विरोध है, ऐसा चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा है। अरुणाचल प्रदेश के बारे में चीन की भूमिका अत्यंत स्पष्ट है। दोनों देशों में यह सीमा विवाद सुलझाने के लिए चर्चा शुरू है। भारत इस का सम्मान रखें और चर्चा में ठहराए गए बातों का पालन करें, अन्यथा दोनों देशों में सीमाविवाद भड़क सकता है, ऐसा शुआंग ने कहा है।

चीन अरुणाचल प्रदेश का उल्लेख दक्षिण तिबेट ऐसा करता है। इस से पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अन्य नेताओं की भेंट पर चीन ने आक्षेप जताया था। दो ही महीने पहले रक्षामंत्री निर्मला सीतारामन ने अरुणाचल प्रदेश को भेंट दी थी। उसपर भी चीन ने निषेध जताया था। पर भारत ने चीन के इन आक्षेपों पर ध्यान नहीं दिया है। अरुणाचल प्रदेश यह भारत का अविभाज्य भाग होकर इस बारे में किसी भी प्रकार की चर्चा की संभावना नहीं है, ऐसा भारत ने चीन को अनेक बार सूचित किया था।

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