चीन अंतरिक्ष में लेझर सेटेलाइट तैनात करेगा अमरिका के युद्धनौका और पनडुब्बियों को चीन का आवाहन

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तर

बीजिंग – अमरिका और चीन में शुरू शस्त्र स्पर्धा तीव्र हो रही है और चीन ने अमरिका के सागरी तथा अंतरिक्ष क्षेत्र को चुनौती देने के लिए गतिमान कदम उठाए हैं। चीन लेझर बीम से सज्ज होनेवाले सेटेलाइट का निर्माण करने की जानकारी सामने आ रही है। इस सैटेलाइट का उपयोग गहरे समंदर के पनडुब्बीओं को ढूंढने के लिए किया जा सकता है, ऐसा दावा चीन के संशोधक ने किया है। पिछले ५० वर्षों से चीन लेझर सैटलाइट के निर्माण के लिए प्रयत्नशील होने की जानकारी इस निमित्त से सामने आ रही है।

पिछले कई महीनों से चीन ने सागरी सर्वेक्षण के लिए सेटेलाइट प्रक्षेपित करने की श्रृंखला शुरू रखी है। जिसमें लष्करी तथा नागरी उपयोग के सैटेलाइट का समावेश होने का दावा चीन के अंतरिक्ष संस्था ने किया था। पर चीन के नए प्रोजेक्ट में सागरी सर्वेक्षण की कक्षा बढ़ाई है। सैटेलाइट का उपयोग सागरी सर्वेक्षण के लिए मर्यादित ना रखते हुए गहरे समंदर में घूमनेवाले शत्रु के पनडुब्बी ऊपर नजर रखने के लिए तथा आवश्यकता निर्माण होने पर लेझर द्वारा हमले करने के लिए चीन ने प्रयत्न शुरू किए हैं।

चीन के शैदौंग प्रांत में ‘पायलट नेशनल लेबोरेटरी फॉर मरीन साइंस एंड टेक्नोलॉजी’ इस प्रयोगशाला में लेझर सैटलाइट के निर्माण के लिए प्रोजेक्ट ‘गुआनलान’ शुरू किया गया है। मई महीने में प्रस्तुत प्रोजेक्ट अधिकृत रूप से कार्यान्वित होने की जानकारी इस प्रयोगशाला के वेबसाइट पर दी गई है। इस प्रयोगशाला के अतिरिक्त चीन में २० से अधिक विद्यापीठ प्रयोगशाला और संस्थाओं में इस प्रोजेक्ट से संबंधित संशोधन एवं निर्माण कार्य शुरू हुआ है। चीन के सागरी सर्वेक्षण की क्षमता सैकड़ों गुना बढ़ाने के लिए इस प्रोजेक्ट को महत्व देने की बात इस प्रयोगशाला में अपने वेबसाइट पर कही है।

प्रोजेक्ट गुआनलान के अंतर्गत तैयार होनेवाले सेटेलाइट द्वारा चीन के रक्षा दल के लिए समुद्र का पृष्ठ भाग पारदर्शी करने की योजना होने की जानकारी इस प्रोजेक्ट में शामिल होनेवाले संशोधक सॉन्ग शियाओकुआन ने दी है। इसके लिए लेझर बीम की सहायता ली जाएगी ऐसा भी संशोधक ने कहा है। नियोजित योजना की तरह समुद्र का ५०० मीटर तक का (१६०० फीट) तक देखा जा सकता है। यह संभव होने पर सागरी सर्वेक्षण के क्षेत्र में बड़ी उथल-पुथल होगी और सारा कुछ बदल जाएगा ऐसा दावा शियाओकुआन ने किया है।

पर लेझर बीम की सहायता से समुद्र का ५०० मीटर गहरा तल ढूंढ निकालना आसान ना होने का दावा कई विश्लेषकों ने किया है। प्रकाश पानी में सुस्पष्ट नहीं दिखाई देता तथा सूर्य की किरण भी समुद्र के २०० मीटर गहरे तल तक पहुंच सकती है। जिसकी वजह से चीन के लिए जमीन समुद्र के ५०० मीटर गहरे तल तक पहुंचने में बाधा निर्माण होगी ऐसा विश्लेषकों का कहना है।

पर आर्टिफिशियल लेझर बीम का प्रकाश सूर्य किरण की तुलना में अधिक तेजस्वी होने का दावा प्रोजेक्ट गुआनलान के संशोधक कर रहे हैं। तथा लेझर सैटेलाइट का निर्माण के लिए लिडार (लाइट एंड रडार) तंत्रज्ञान का उपयोग किये जाने का संशोधक का कहना है। इस लेझर की वजह से ५०० मीटर गहरे तल पर पनडुब्बी ढुंढकर उन्हें लक्ष्य करना आसान होगा, ऐसा दावा चीनी संशोधक कर रहे हैं।

दशक भर पहले अमरिका और सोवियत रशिया ने सौ मीटर गहरे समंदर में लक्ष्य भेदने की क्षमता होने की बात घोषित की थी। पर शीत युद्ध की समाप्ति के बाद अमरिका एवं रसिया ने लेझर सेटेलाइट के विषय में जानकारी प्रसिद्ध नहीं की है। अमरिका ने समुद्र के २०० मीटर गहरे हमले करने वाली लेझर गश्ती विमान में बिठाए हैं।

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