चीन भारत का ‘विशेष’ स्थान प्राप्त नहीं कर सकता – नेपाल कांग्रेस के नेता

नई दिल्ली – नेपाल की सरकार बदलते ही भारत से संबंधित नीति में भी बदलाव होता दिखाई दे रहा है। नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की सरकार गठित होकर अभी एक महीना ही हुआ है। इस पृष्ठभूमि पर सत्ताधारी नेपाल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और नेपाल के पूर्व अर्थशास्त्र राज्य मंत्री उदय शमशेर ने भारत नेपाल के लिए कितना अहम है, यह बात रेखांकित की है। भारत नेपाल के लिए विशेष है और चीन कभी भी भारत का विशेष स्थान प्राप्त नहीं कर सकता, ऐसा शमशेर ने कहा है।

‘विशेष’ स्थाननेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री के.पी.शर्मा ओली के कार्यकाल में भारत-नेपाल के तनाव में काफी बढ़ोतरी हुई थी। भारत के कालापानी, लिपुलेख, लिम्पियाधुरा क्षेत्रों पर दावा बताकर नेपाल ने नया राजनीतिक नक्शा भी प्रसिद्ध किया था। साथ ही भारत के हितों को झटका देनेवाले और चीन के प्रति झुकाव रखनेवाले कई निर्णय किए थे। लगातार भारत विरोधी बयान करनेवाले के.पी.ओली को उन्हीं के नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की संयुक्त संगठन में दरार निर्माण होने से महीनाभर पहले प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था। नेपाल की संसद विसर्जित करके चुनाव करने की ओली की साज़िश भी वहां की सर्वोच्च अदालत के निर्णय से नाकाम हुई थी। फिलहाल नेपाल कांग्रेस के नेतृत्व में नई सरकार गठित हुई है और नेपाल कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने एक महीना पहले प्रधानमंत्री पद का ज़िम्मा संभाला है।

प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के नेतृत्व में नेपाल और भारत के संबंधों में सुधार होगा, यह उम्मीद लगातार जताई जा रही है। भारत समर्थक प्रधानमंत्री देउबा के नेतृत्व में बदलती हुई नीति दिखाई देने लगी है। देउबा की सरकार के कार्यकाल का एक महीना पूरा होने की पृष्ठभूमि पर नेपाल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता उदय शमशेर ने भारत नेपाल के लिए कितना अहम है, यह रेखांकित किया है।

‘नेपाल अब ‘पड़ोसी प्रथम’ इस नीति पर काम कर रहा है। नेपाल को अपने पड़ोसी देशों के साथ अच्छे ताल्लुकात रखने है। नेपाल को चीन की आवश्‍यकता है और चीन नेपाल का अच्छा पड़ोसी है। लेकिन, चीन कभी भी भारत का यह ‘विशेष’ स्थान प्राप्त नहीं कर सकता’, ऐसा शमशेर ने कहा है। प्रधानमंत्री देउबा यह अलग अलग राजनीतिक दलों के गठबंधन की सरकार चला रहे हैं और अपने सहयोगी दलों को साथ लेकर उन्हें भारत और चीन के संबंधों में संतुलन बनाए रखना होगा, ऐसा शमशेर ने कहा। साथ ही भारत और नेपाल के बीच कालापानी, लिपुलेख, लिम्पियाधुरा को लेकर जो सीमा विवाद जारी है, उसका हल चर्चा के माध्यम से ही निकालने पर जोर रहेगा, यह बात भी नेपाल कांग्रेस ने स्पष्ट की है।

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