गलवान के संघर्ष में अधिकारी समेत पांच जवान गँवाए होने की चीन की कबुली

नई दिल्ली/बीजिंग – लद्दाख के पँगॉंग सरोवर क्षेत्र से चीन के लष्कर ने वापसी करने के बाद, दोनों देशों के लष्करी अधिकारियों में चर्चा का दसवाँ सत्र शुरू होगा। शनिवार से शुरू होने वाली इस चर्चा में लद्दाख की एलएसी पर तनाव कम करने की अन्य उपाय योजनाओं पर विचार किया जाएगा। लेकिन इस चर्चा से भी अधिक, चीन ने अपने पाँच अधिकारी और जवान मारे गए होने की दी हुई कबुली माध्यमों का ध्यान आकर्षित कर रही है। पिछले कुछ दिनों से गलवान वैली में हुए संघर्ष में चीन ने ४५ जवान गँवाये होने की खबरें जारी हो रही है और भारत के लष्करी अधिकारियों से भी उनकी पुष्टि की जा रही है। इस पृष्ठभूमि पर चीन को यह कबुली देनी पड़ी, ऐसा बोला जा रहा है।

गलवान के संघर्ष में भारतीय लष्कर के कर्नल संतोष बाबू समेत २० सैनिक शहीद हुए थे। उनका पराक्रम और बलिदान का देश को कभी भी विस्मरण नहीं होगा, ऐसा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग ने संसद में कहा था। इन शहीदों का स्मारक भी बनाया जा रहा है। लेकिन चीन ने अब तक गलवान के संघर्ष में मारे गए अपने अधिकारी तथा जवानों की जानकारी छुपा कर रखी थी। उस पर इनके सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने गुस्सा जाहिर किया था। इस संघर्ष में चीन ने ४५ जवान गँवाने का दावा रशियन माध्यमों ने किया था। भारतीय लष्कर के नॉर्दन कमांड के प्रमुख लेफ्टनंट जनरल वाय. के. जोशी ने रशियन माध्यमों के इस दावे की पुष्टि करने वाले बयान किए थे। गलवान के संघर्ष के बाद ६० चिनी जवानों को स्ट्रेचर पर से ले जाया गया था।

लेकिन उनके जख्म कितने गंभीर थे, इसका अंदाजा हमें नहीं है, ऐसा ले. जनरल जोशी ने कहा था। भारतीय माध्यमों में इस खबर की बहुत चर्चा हुई थी। उसके बाद दबाव बढ़े हुए चीन को यह मानना ही पड़ा कि गलवान के संघर्ष में अपने पाँच अधिकारी और जवान मारे गए। उनके नाम भी इनमें चीन ने सार्वजनिक किए । लेकिन चीन इस मामले में अर्धसत्य बता रहा होकर, मारे गए चिनी अधिकारी और जवानों की संख्या इससे कई ज्यादा होने के पुख्ता दावे रशियन तथा अमरीकी माध्यमों ने जारी किए हैं।

इसी बीच, इस संदर्भ में वीडियो भी चीन ने जारी किया है। इसके जरिए, भारतीय सैनिकों ने ही चीनी जवानों पर हमला किया होने का आरोप करके चीन ने यह दावा किया कि इस संघर्ष के लिए भारत कारणीभूत है। विदेशी लष्कर ने घुसपैठ करके चीन के अधिकारी और जवानों की हत्या की होने के दावे चिनी लष्कर ने किए हैं। ठेंठ भारत का उल्लेख न करके, चिनी लष्कर ने दोनों देशों में दुश्मनी नहीं बढ़ाई, ऐसी प्रशंसा चीन का सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाईम्स ने की। इससे पहले भी चीन ने गलवानो वैली में मारे गए अपने जवानों की जानकारी सार्वजनिक करना टालते हुए, इससे दोनों देशों में शत्रुता बढ़ेगी, ऐसा कहा था।

लेकिन भारत के लष्करी अधिकारियों तथा माध्यमों ने गलवान के संघर्ष की जानकारी सार्वजनिक करने के कारण, चीन को भी यह मानना पड़ा कि उसके भी जवान इसमें मारे गए। पिछले कुछ वर्षों में चीन ने किसी भी संघर्ष में अपना जवान नहीं गंवाया था। इसी कारण भारत के साथ बने संघर्ष में इस हानि का स्वीकार करना पड़ा और इस क्षेत्र में चीन के लष्कर को वापसी भी करनी पड़ी है, यह बात भारत का लष्करी सामर्थ्य सिद्ध करने वाली साबित होती है। पश्चिमी माध्यमों ने भी यह बात मान्य की थी। लद्दाख की कड़ी सर्दियों में चीन का लष्कर टिक नहीं सका, यह बात भी जगजाहिर हुई है। प्रचंड लष्करी सामर्थ्य होने वाला ताकतवर देश, इस चीन की आन्तर्राष्ट्रीय छवि को इससे बहुत बड़ा झटका लगा है। उसी में लद्दाख की एलएसी तथा गलवान वैली के संघर्ष की जानकारी छिपाकर रखने वाले चीन की विश्‍वासार्हता मिट्टी में मिल चुकी है।

ऐसी स्थिति में चीन अपना पक्ष संवारने की जान तोड़ कोशिश कर रहा है। गलवान के संघर्ष मैं मारी गई अपने अधिकारी और जवानों की संख्या महज पांच इतनी ही है, ऐसा बताने वाला चीन, आने वाले दौर में इस संघर्ष में उसके इससे अधिक जवान मारे गए यह मान्य करेगा, ऐसे ताने भारतीय नेटीजन सोशल मीडिया पर मार रहे हैं। उसी समय चीन की लद्दाख से वापसी, इस देश पर निर्भर रहने वाली पाकिस्तान के लिए धक्कादायी है ऐसा दिखाई देने लगा है।

पाकिस्तान में नियुक्त चीन के राजदूत ने लद्दाख की इस सेनावापसी की पृष्ठभूमि पर, पाकिस्तानी लष्कर के प्रमुख से मुलाकात की, ऐसा बताया जा रहा है। चीन ने लद्दाख की एलएसी वापस करने के बाद कामा भारत अब पाकिस्तान की सीमा पर ध्यान केंद्रित करेगा, ऐसी चिंता पाकिस्तान को लगने लगी है। इस कारण चीन के राजदूत और पाकिस्तानी लष्करप्रमुख के बीच हुई चर्चा गौरतलब साबित होती है।

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