‘ध्रुवास्त्र’ वायुसेना में शामिल होने के लिए तैयार – अंतिम परीक्षण पुरा हुआ

नई दिल्ली/पोखरण – राजस्थान स्थित पोखरण में टैंक विरोधी ‘ध्रुवास्त्र’ मिसाइल के एक ही दिन में चार परीक्षण किए गए। भारतीय वायुसेना के बेड़े में मौजूद कम भार के ‘ध्रुव’ हेलिकॉप्टर से किए गए यह परीक्षण कामयाब हुए हैं, यह जानकारी भारतीय रक्षा एवं अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) ने प्रदान की। इन चार परीक्षणों के साथ ‘ध्रुवास्त्र’ के सभी परीक्षण पूरे हुए और यह मिसाइल अब भारतीय वायुसेना के बेड़े में जल्द ही शामिल किया जाएगा, ऐसा वृत्त है।

‘ध्रुवास्त्र’

‘डीआरडीओ’ ने विकसित किए ‘ऐन्टी टैंक गाइडेड मिसाईल’ (एटीजीएम) ‘नाग’ पहले से ही भारतीय सेना के बेड़े में शामिल किया गया है। यह मिसाइल ‘हेलिना’ नाम से भी पहचाना जाता है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन के तौर पर जाने जा रहे डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम के मार्गदर्शन से वर्ष १९९० के दशक में सेना के लिए ‘नाग’ मिसाइल विकसित करने का कार्यक्रम शुरू किया गया था। वर्ष २०१९ में यह मिसाइल सेना के बेड़े में शामिल किया गया। नाग मिसाइल के निर्माण का कार्यक्रम शुरू होने से यह मिसाइल सेना के बेड़े में शामिल होने तक काफी देर हुई थी। फिर भी अब ‘डीआरडीओ’ ने समय की आवश्‍यकता के अनुसार इसमें बदलाव किए हैं। साथ ही अब यह मिसाइल हेलिकॉप्टर्स से भी दागी जानेवाली आवृत्ती भी रक्षाबलों के बेड़े में शामिल करने के लिए तैयार है।

सेना में दाखिल किए गए ‘नाग’ मिसाइलों की मारक क्षमता चार किलोमीटर है। वहीं, हेलिकॉप्टर्स से दागा जानेवाले इस मिसाईल की आवृत्ति की मारक क्षमता ७ से १० किलोमीटर है। साथ ही यह मिसाइल प्रतिघंटा ८२८ किलोमीटर गति से अपने लक्ष्य को निशाना कर सकता है। विश्‍व के प्रगत टैंक विरोधी मिसाइल के तौर पर इस मिसाइल की पहचान बनी है। ‘धु्रवास्त्र’ दिन या रात किसी भी समय और किसी भी माहौल में अपने लक्ष्य को बड़ी सटिकता से निशाना कर सकता है, यह जानकारी ‘डीआरडीओ’ ने प्रदान की है।

पोखरण के रण में ‘ध्रुव’ हेलिकॉप्टर से किए गए इस मिसाइल के चार परीक्षणों के दौरान इन मिसाइलों ने अपने निर्धारित लक्ष्य को बड़ी सटीकता के साथ निशाना किया। इन परीक्षणों के दौरान इन मिसाइलों ने अपनी क्षमता साबित की है, ऐसा ‘डीआरडीओ’ ने कहा है। यह परीक्षण सेना और वायुसेना के लिए किए गए। वायुसेना के बेड़े में मौजूद ‘ध्रुव हेलिकॉप्टर’ पर यह मिसाइल तैनात किए जाएंगे। साथ ही सेना के बेड़े में मौजूद हेलिकॉप्टर्स पर भी यह मिसाइल तैनात किए जाएंगे। इस वजह से दुर्गम क्षेत्र में मौजूद शत्रु के टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों को भी आसानी से लक्ष्य करना संभव होगा।

हाल ही में किए गए परीक्षणों के साथ ‘ध्रुवास्त्र’ के सभी परीक्षण पूरे हुए। इस वजह से वायुसेना के बेड़े में शामिल होने के लिए भी यह मिसाइल तैयार होने का वृत्त है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ द्वारा थलसेना और वायुसेना के लिए किए गए परीक्षणों की सफलता पर अभिवादन किया है।

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