नेताजी-८०

नेताजी-८०

आँखों से ओझल हो रहे भारत के किनारे को देखते समय सुभाषबाबू का मन विचारों के सैलाब से घिर चुका था। अपने प्रियजनों के, विशेषतः अपनी प्राणप्रिय मातृभूमि के वियोग के दुख की पहली लहर की तीव्रता के कुछ कम होते ही उनका मन आगे की सोचने लगा। पिछली मर्तबा आयसीएस परीक्षा देने के लिए […]

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परमहंस-२१

परमहंस-२१

अपने सभी आप्त-नौकर-आवश्यक वस्तुभांडार तथा वाराणसी के मंदिर में अर्पण करना चाहनेवाली मूल्यवान् वस्तुओं का भांडार लेकर, कुल २४ नौकाओं का ताफ़ा लेकर कोलकाता से वाराणसी तीर्थयात्रा के लिए जाने की योजना राणी राशमणि को त्याग देनी पड़ी। इसके बारे में ऐसी कथा कही जाती है – प्रस्थान करने के पहले की रात राशमणि को […]

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क्रान्तिगाथा-२५

क्रान्तिगाथा-२५

१८५८ के जून महीने की २० तारीख तक क्रान्तिवीरों का अँग्रेज़ों के साथ संघर्ष चल रहा था। आखिर जून २०, १८५८ को अँग्रेज़ों ने ग्वालियर पर कब्ज़ा कर लिया और अँग्रेज़ों को लगा कि भारतीयों के दिमाग़ पर सवार हुआ स्वतन्त्रताप्राप्ति का जुनून शायद उतर गया है। क्योंकि तब तक अनेक वीर शहीद हो चुके […]

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नेताजी- ७९

नेताजी- ७९

इलाज के लिए विदेशगमन करने से पहले कोलकाता जाकर अपने वृद्ध मातापिता से मिलने की सुभाषबाबू की दऱख्वास्त सरकार द्वारा नकार दी जाने के बाद, कम से कम मुझे अपने मेजदा से – शरदबाबू से तो मिलने दिया जाये, ऐसा तक़ाज़ा सुभाषबाबू ने खतों के जरिये सरकार के पास लगाया। आख़िर उनके प्रयास सफ़ल हुए […]

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परमहंस-२०

परमहंस-२०

बहुत ही अमीर रहते हुए भी अत्यधिक सात्त्विक प्रवृत्ति की, कोलकाता (उस समय का कलकत्ता) के नज़दीक प्रचंड बड़ी ज़मीनदारी की मालकीन होनेवाली राणी राशमणि प्रजाभिमुख थी। उसके प्रजाभिमुख शासन की एक कथा ऐसी बतायी जाती है – जब वहाँ के मछुआरों पर अँग्रेज़ सरकार ने एक अन्याय्य अतिरिक्त कर (टैक्स) लगाया, तब वे अपनी […]

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समय की करवट (भाग २४) – युरोपियन कोल अँड स्टील कम्युनिटी

समय की करवट (भाग २४) – युरोपियन कोल अँड स्टील कम्युनिटी

‘समय की करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इसका अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। हम १९९० के दशक के, पूर्व एवं पश्चिम जर्मनियों के एकत्रीकरण के बाद, बुज़ुर्ग अमरिकी राजनयिक हेन्री किसिंजर ने जो यह निम्नलिखित वक्तव्य किया, उसके आधार पर दुनिया की गतिविधियों का अध्ययन कर रहे हैं। ‘यह दोनों […]

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नेताजी-७८

नेताजी-७८

सेवनी की नरकप्रद जेल के बाद जबलपूर फौजी अस्पताल, वहाँ से मद्रास जेल, फिर भोवाली क्षयरोग-उपचार केन्द्र, उसके बाद लखनौ का बलरामपूर अस्पताल इस तरह, सेहद ख़राब हो चुके सुभाषबाबू को यहाँ से वहाँ ले जाया जा रहा था। उन्हें भारत का अपना नं. १ का दुश्मन माननेवाली अँग्रे़ज सरकार का उनकी सेहद से कोई […]

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परमहंस-१९

परमहंस-१९

गदाधर को कोलकाता पधारकर कुछ ही महीने हुए थे और वह यहाँ के माहौल से, दिनक्रम से अच्छाख़ासा परिचित हुआ दिखायी दे रहा था। बड़े भाई रामकुमार की सिफ़ारिश से, पूजापाठ आदि करने के काम हालाँकि उसे मिलने लगे थे, मग़र फिर भी उसे कोलकाता ले आने में – ‘उसकी स्कूली शिक्षा पूरी हों’ यह […]

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क्रान्तिगाथा-२४

क्रान्तिगाथा-२४

झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के वीर हौतात्म्य से अब भारत के उत्तरी इलाक़ों में क्रान्ति की ज्वालाएँ कुछ कम सी हो जाने के आसार दिखायी दे रहे थे। लेकिन जब उत्तरी भारत में स्वतन्त्रता का यज्ञकुंड प्रज्वलित था, तब दक्षिणी और पश्‍चिमी भारत में क्या परिस्थितियाँ थीं, यह देखना भी उतना ही ज़रूरी है। भारत […]

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नेताजी-७७

नेताजी-७७

गाँधीजी द्वारा पुनः शुरू किये जा रहे सविनय क़ायदाभंग के आन्दोलन की योजनाओं को मन में साकार करते हुए ही सुभाषबाबू मुंबई से कोलकाता जा रही मेल में बैठे थे। घण्टेभर में ही कल्याण स्टेशन आया और यकायक चारों तऱफ से पुलीस की सीटियों की आवा़ज सुनायी देने लगी। क्या हुआ है, यह समझने से […]

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